बिलासपुर– पांच जून..मतलब विश्व पर्यावरण दिवस…विश्व पटल पर आज के ही दिन दुनिया के देशों ने जंगल और जीवन को एक दूसरे का पर्याय माना। जंगलों का अधाधुंध दोहन और प्रकृति से खिलवाड़ आज भी दुनिया के सामने बहुत बड़ी समस्या है। जंगलों का विनाश…चिंता का विषय है। वन विभाग जंगलों और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए रात दिन मेहनत करता है। संपूर्ण सफलता के लिए लोगों को एकजुट होकर सामने आना होगा। नहीं किया गया तो एक दिन मानव सभ्यता को बहुत बडी समस्या का सामना करना पड़ेगा। विभाग अपना काम कर रहा है..जब तक लोगों को इस बात का अहसास नहीं होगा कि जंगल में जीवन का मंगल है..तब तक पर्यावरण संरक्षण की बात अधूरी रहेगी। यह बात बिलासपुर वनमण्डलाधिकारी अमिताभ वाजपेयी ने सीजी वाल से पर्यावरण दिवस पर कही।
अमिताभ वाजपेयी ने बताया कि जंगल और वन्य जीवों का संरक्षण हमारी सामुहिक जिम्मेदारी हैं। जब तक लोगों में जंगल और जीवों के प्रति प्यार या लगाव नहीं होगा…तब तक प्रकृति का संरक्षण संभव नहीं है। वन विभाग 365 दिन जंगल और जीवों के संवर्धन के लिए दिन रात काम करता है। आगे भी करता रहेगा..ऐसा करना हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन सौ प्रतिशत सफलता समेकित प्रयास ही संभव है। जिस प्रकार लोग अपनी संपत्ती से प्यार करते हैं…जंगलों के संरक्षण और जीवों के संवर्धन में कुछ इसी तरह के जज्बे की जरूरत है। वन विभाग लोगों को जागरूक करने के साथ बताने प्रयास कर रहा है कि मानव सभ्यता की बुनियाद में जंगल और जीव का अहम स्थान हैं। कुछ ऐसी ही बातें विश्व पर्यावरण दिवस की पहली बैठक में हुई थी। दुनिया के बुद्धिजीवियों ने मंच साझा कर सालों पहले जंंगल और वन्यजीवों पर गहराते संकट की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया था।
जंगल और वन्य जीव हमारे धरोहर हैं। संरक्षण की जिम्मेदारी ना केवल वन विभाग बल्कि सभी भारतियों,प्रदेश वासियों,शहरी और ग्रामीणों की है। कई जीव हमारी उच्च मह्त्वाकांक्षा के शिकार हो गए। किताबों में चित्र बनकर रह गए हैं। कई जीव जातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। इस हालात के लिए हम लोग जिम्मेदार हैं। विश्व पर्यावरण मनाने का मुख्य उद्देश्य जंगलों और जीवों के महत्व को समझना है। उसकी उपयोगिता को आत्मसात करना है। इसके बाद ही संवर्धन को सफलता मिलेगी। जंगल विभाग सिस्टम का एक हिस्सा है। लोगों को स्वस्फूर्त जिम्मेदारियों को समझना होगा। इसके बाद ही सिस्टम को सौ प्रतिशत सफलता मिलेगी।
अमिताभ वाजपेयी ने बताया कि हमारी सरकार वन और जीवों को संरक्षित करने साल भर सक्रिय रहती है। स्वंय सेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाता है। गांव से लेकर तक अभियान चलाकर जंगल के महत्व को समझाया जाता है। अमिताभ ने बताया कि बिलासपुर वन मण्डल में करीब 170 वन प्रबंधन समितियां जंगलों को बचाने के लिए काम कर रही हैं। समितियों में वन परिक्षेत्र के सभी गांव और परिवार का एक सदस्य शामिल है। वन विभाग समितियों के साथ महीने के पहले सप्ताह में जंगल और जीवों की सुरक्षा गतिविधियों को लेकर बैठक करता है। इस बार समितियों के साथ विश्व पर्यावरण दिवस को बैठक है।
वन विभाग के रेंजर सुनील बच्चन ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस पर स्कूलों,संगठनों,विभागीय स्तर पर संगोष्टी का आयोजन किया जाता है।लेख,वाद- विवाद,चित्रकला,रंगोली प्रतियोगिता के माध्यम से जन जंगल को बचाने की अपील की जाती है। बच्चों और बूढों को जागरूक किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस पर जंगल और जीवों को बचाने..समिति स्तर तक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया जाता है। जमीनी स्तर तक पौधरोपण अभियान चलाकर जंगल के महत्व पर प्रकाश डालने का काम वन अधिकारी और स्वंय सेवी संस्थाएं करती हैं।
बच्चन ने बताया कि वन विभाग इस बार अपने मुखबिर सिस्टम को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दे रहा है। वनों की अवैध कटाई,जीवों के शिकार पर लगाम किस प्रकार लगाया जाए लगातार प्रयास किया जा रहा है। बच्चन के अनुसार जंगल विभाग ने निश्चित किया है कि मुखबिर सिस्टम को जमीनी स्तर तक मजबूत बनाने के लिए अमला लगातार सक्रिय है।