कोयला तो काला है..सीजी वाल की विशेष रपट

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160420_113712   IMG_20160411_175110 बिलासपुर—कोयला तो काला है….अंदर काला…बाहर काला…यह गीत भाग मिल्खा भाग का है…बिलासपुर का कोयला अन्दर से बहुत काला है..लेकिन बाहर झक…। बिलासपुर के कोयला कारोबारी ही कुछ ऐसे हैं..जो काले थे.उन पर छापा पड़ गया…जो सफेद थे उन पर मेहरबानी बरस गयी..। एक समय लगा था कि बिलासपुर से काले कोयले का काला कारोबार बंद हो जाएगा…लेकिन सारे कयास निरर्थक साबित हुए। कारोबार अब भी चल रहा है..लेकिन सफेदी के साथ। इत्तफाक कहें या रणनीति…पुलिस के नाक के नीचे आज भी कोयले का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। कारोबारी पुलिस के आंख का काजल चुराकर ऐसा कर रहे हैं या फिर पुलिस ने ही आंख बंद कर लिया है। उम्मीद है कि नए पुलिस कप्तान..आईजी साहब के कंधे से कंधा मिलाकर अवैध कोयला कारोबार पर नकेल जरूर कसेंगे।

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                            बहुत दिनों बाद ऐसा लगा था कि अवैध कोयला प्लाट के खिलाफ पुलिस महकमा कुछ कर रहा है..लेकिन जल्द ही भ्रम टूट गया। कोयले का अवैध कारोबार आज भी फल फूल रहा है। कुछ ने कोयले के अवैध कारोबार के लिए  नया ठिकाना ढूंढ लिया है…तो कुछ ने अवैध कारोबार का नया रास्ता इजाद कर लिया। कुल मिलाकर कोयला व्यापाारियों ने पुलिस के आंख से काजल चुरा लिया है। बिलासपुर जिले के ज्यादातर व्यवसायी आज भी कोयला का अवैध कारोबार धड़ल्ले से कर रहे हैं। आई जी का खौफ अाज भी बरकरार है…लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अकूत धन और रसूख के दम पर काले कोयले को सफेद बनाने का कारोबार बड़ी इमानदारी से कर रहे हैं।

           IMG-20160430-WA0034    मरवाही से मस्तूरी..बेलतरा से सरगांव तक कोयले का अवैध कारोबार निर्वाध रूप से चल रहा है। आई जी के प्रयास के बाद कई कारोबारियों ने अब जंगल में ठिकाना ढूंढ लिया…लेकिन कारोबार को बंद नहीं किया है। कुछ लोग दूसरे के लायसेंस पर कोयले का कारोबार कर रहे हैं। जिस व्यक्ति के नाम पर लायसेंस है वह कोयला कारोबार का एबीसीडी तक नहीं जानता। कई लोग रात्रि के दूसरे पहर में कोयला के कारोबार को अंजाम देते हैं। कुछ कोल व्यवसायियों ने बताया कि पुलिस को अधिकार नहीं है कि कोयला कारोबार पर छापामार कार्रवाई करे। खनिज विभाग ऐसा करे तो बात समझ में आता है। जब तब कोयला के अवैध कारोबार को लेकर बड़े अधिकारियों के सामने प्रश्न भी उठता रहता है। नए पुलिस कप्तान के सामने भी प्रश्न उठा। उन्होने दो टूक कहा कि अवैध कभी वैध हो ही नहीं सकता।

                          हाल ही में पदभार लेने के बाद पत्रवार्ता में नए पुलिस कप्तान ने अवैध कोयला कारोबार पर कहा कि अवैध कारोबार कभी वैध नही हो सकता है। जिस प्रकार अभी तक कार्रवाई की गयी है…उसे आगे बढ़ाया जाएगा।

                 कुछ लोगों ने बताया कि अकेले आईजी के दम पर कोयले के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाया तो जा सकता है लेकिन बंद कभी नहीं किया जा सकता। जब तक परिवहन, खनिज, पर्यावरण विभाग सहयोग नहीं करेगा..तब तक कोयले का अवैध व्यवसाय फलता फूलता रहेगा। चाटुकारों के अव्यस्थित विभाग को भी नियंत्रित करना पड़ेगा। यह सच है कि आई जी को अवैध कोल प्लाट को बंद करने में काफी हद तक सफलता मिली है..कोल व्यवसायियों पर कौफ सिर चढ़कर बोल रहा है…लेकिन उससे कहीं ज्यादा कोलवाशरी पैदा हो गए है। कहने का मतलब बड़ी मछलियां अब भी अवैध कारोबार में गोते लगा रही हैं। क्या इन पर कभी आई जी और नए पुलिस कप्तान की नजर जाएगी। जानकारी के अनुसार कुछ कोलवाशरियों पर कार्रवाई हुई…लेकिन हमेशा की तरह रसूख और धन आड़े आ गया। नतीजतन चाटूकार समेत परिवहन, खनिज और पर्यावरण विभाग के शह पर कोयले का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।

कैसे होता है कोयले का अवैध कारोबार–IMG_20160415_121406

                             कोयला जितना काला है…व्यवसाय की रणनीति उससे कहीं ज्यादा स्याह है। लिंकेज का कोयला ट्रेडर्स में मिट्टी के मोल बंट जाता है। खामियाजा फैक्ट्री के मालिक को भुगतना होता है। खनिज विभाग ने रेवड़ी की तरह ट्रेडर्स लायसेंस बांटा है। यह वही लायसेंसधारी ट्रेडर्स हैं जो बेलतरा से लेकर सरगांव तक कोयला चोरी करने प्लाट सजाकर बैठें हैं। कोरबा से निकला प्योर बीस टन कोयला डेस्टिनेशन तक पहुंचते–पहुंंचते पचास प्रतिशत पत्थर हो जाता है।

                       आईजी को कोयला कारोबारियों की गणित का अच्छा अंदाजा है..यही कारण है कि उन्होने प्लाट लगाने वालों के खिलाफ जमकर कार्रवाई की है। कोरबा से निकला 20 टन कोयला परिवहन के हिसाब से अपने आप में अवैध है। लेकिन परिवहन विभाग को 4 टन अतिरिक्त कोयले से कोई मतलब नहीं होता। ऐसा क्यों…सभी लोग जानते हैं। लेकिन 20 टन कोयला बेलतरा, रतनपुर, हिर्री, सरगांव के प्लाट से गुजरकर पचास प्रतिशत प्योर कोयला पचास प्रतिशत प्योर पत्थर के साथ डेस्टिनेशन तक पहुंचता है। इस बीच ड्रायवर मालामाल हो जाता है। डिस्टिनेशन पर कोयले की लिफ्टिंग और टेस्टिंग के समय एक बार फिर पैसे का खेल चलता है। रूपयों के दम पर ड्रायवर गाड़ी में लदे 10 टन पत्थर को प्योर कोयला बना देता है। इसका असर सीधे उत्पाद पर पड़ता है। यही कारण है कि आज फैक्ट्रियां दम तोड़ रही हैं। कोयला ट्रेडर्स बिना हर्रा फिटकरी लगे चोखा रंग बेंच रहे हैं।

                            बताने की जरूरत नहीं है कि जगह-जगह उतारे गए सस्ते दर पर प्योर कोयला अच्छे दाम पर फैक्ट्रियों में बेंच दी जाती है। ट्रेडर्स को बिना लिंंकेज और झंझट के लाखों का फायदा हो जाता है।

मालामाल कोलवाशरी

                     अवैध कोल प्लाट बंद होने से कोलवाशरी मालामाल हो गए हैं। कोलवाशरी के नुमाइंदे खनिज विभाग में पिट बनाने का काम करते हैं। कितना कोयला… वाशरी मेंं आया और गया किसी को जानकारी नहीं होती। अवैध प्लाट बंद होने के बाद कोलवाशरी की बाढ़ आ गयी है। वाशरी में क्षमता से अधिक कोयला डंंप है लेकिन खनिज विभाग को इससे कोई लेना देना नहीं है।

                                 जारी है…..        सीजी वाल की कोयला तो काला है कि विशेष रपट में कल पढ़े..क्या है रेलवे साइडिंग की….

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