बिलासपुर– मस्तूरी विधायक पूर्व प्रतिनिधि संतोष दुबे ने बताया कि दिलीप लहरिया मुझे मर्यादा का पाठ ना पढ़ाएं। उनकी राजनैतिक यात्रा इतनी भी नहीं है कि वे मूझे राजनीति का पाठ पढ़ा सकें। पहले उन्हें राजनैतिक रूप से परिपक्व होना पड़ेगा। उन्हें नहीं मालूम कि मस्तूरी की जनता उनकी कार्यप्रणाली से कितना असंतुष्ट है।
सीजी वाल से संतोष दुबे ने बताया कि लहरिया ने नहीं बल्कि मैने खुद उनकी गतिविधियों को लेकर किनारा किया है। मुझे अनुशासन की पाठ वह ना पढाएं तो ठीक होगा। क्योंकि वे कितना अनुशासित हैं यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं। दिलीप लहरिया को मेरा ठाठापुर जाना अच्छा नहीं लगा। उन्होने मुझ पर दबाव डाला कि मरवाही जाना है। लेकिन मैने इंकार कर दिया। दूसरे दिन प्रतिनिधि से हटने का भी एलान कर दिया।
संतोष दुबे ने बताया कि दिलीप में अभी राजनैतिक अनुभव की कमी है। उनके अगल बगल रहने वाले जनता से अवैध वसूली करते हैं। समझाने के बाद भी दिलीप ने ऐसे लोगों पर नियंत्रण नहीं किया। कई बार तो मुझे चुप रहने को कहा। संतोष दुबे के अनुसार मैने अपने राजनैतिक जीवन में इतना अकर्मण्डय और उदासीन विधायक नहीं देखा। दिलीप में निर्णय लेने की क्षमता में भी कमी है। वह मुझ पर आरोप लगाने से पहले अपना दामन झांके। जिसमें दाग ही दाग है।
संतोष दुबे के अनुसार लहरिया को दूसरी बार मस्तूरी की जनता बर्दास्त नहीं करने वाली है। उन्होने जनता के लिए कम सिर्फ अपने हितों के लिए ही काम किया है। जिसका नतीजा साल 2018 के चुनाव में सामने आ जाएगा।
संतोष दुबे ने बताया कि मेरी आस्था जोगी में है। लहरिया ने मुझे ठाठापुर जाने से रोका..। नहीं मानने पर विधायक प्रतिनिधि से हटाने की धमकी दी। इसके पहले वे प्रतिनिधि की जिम्मेदारी हटाते…मैने खुद जिम्मेदारी को अपने सिर से उतार दिया। वे अब क्या करते हैं या कहते हैं वह जाने। यदि उन्होने अनावश्यक आरोप थोपने का प्रयास किया तो इसके जिम्मेदार मैं नहीं लहरिया ही होंगे।