मूल निवासियों को कारखानों में मिलेगी रोजगार की छूट

Chief Editor
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amar inter.

बिलासपुर । हाल ही में मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद  उद्योग विभाग की नई – नई जिम्मेदारी संभाल रहे अमर अग्रवाल मानते हैं कि बिलासपुर क्षेत्र  में क्लस्टर आधार औद्योगिक प्रक्षेत्रों की स्थापना का काफी स्कोप है। एस.ई.सी.एल. और रेल्वे आधारित सहायक उद्योग धंधो की संभावनाओं पर नियोजन स्तर पर कार्य चल रहा है। दगोरी में स्टील इस्पात संयत्र और अरपा भैंसाझार वृद्ध परियोजना से क्षेत्र के औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी।

सीजीवाल से एक बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होने माना कि बिलासपुर निश्चित् ही औद्योगिकीकरण में पिछडा जिला है, लोगों के सहयोग से हम औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में कार्य योजना बनाकर उसे क्रियान्वित करेगें। बिलासपुर जिले के दगौरी में 9 मिलियन टन का इस्पात कारखाना शुरू होने वाला है। निश्चित् ही इस कारखाने के शुरू होने से औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जागेगी। इसी तरह अरपा भैंसाझार परियोजना की भी शुरूवात हो चुकी है। इस परियोजना के माध्यम से क्षेत्र में पानी तथा किसानों की फसल के लिए ऐतिहासिक कदम सरकार ने उठाया है। इन दोनों कामों के प्रारंभ होने से जहां इस क्षेत्र के किसानों को नई उम्मीद दिख रही है। वहीं दूसरी ओर स्टील प्लांट के प्रारंभ हो जाने से क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार तो मिलेगा ही, बल्कि छोटे छोटे इंडस्टीज को भी बड़ी संख्या में काम उपलब्ध हो सकेगा।

छत्तीसघढ़ में उद्योगों की संभावनाओँ से जुड़े सवाल पर उन्होने कहा कि  छत्तीसगढ़ में शहरीकरण के साथ औद्योगकरण का विस्तार तेजी से हुआ है। राज्य की अढ़ाई करोड़ आबादी में  औद्योगीकरण का विस्तार इस तरह से होना डाहिए जिससे कि स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले। स्थानीय व्यापार – कारोबार में बढ़ोतरी हो। साथ ही यहां  वैश्विक निवेश भी आकर्षित हो। यहाँ भी मेक – इन – छत्तीसगढ़ को निशाने पर रखकर छोटे और लघु उद्योगों की स्थापना अपनी प्राथमिकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संपदा का भडार है। औद्योगीकरण में यह भी सहायक है । लेकिन सरकार की औद्योगिक नीति में इस बात पर विशेष ध्यान रखा गया है कि हमारे पर्यावरण का संतुलन पूरी तरह से कायम रहे। स्थानीय उद्योगों में पर्यावरण के मानको का पूरी तरह से पालन हो इस पर भी पूरी निगरानी है।प्रदेश में खेती पर आधारित उद्योग भी लगें और उसमें लोगों की भागीदारी हो , यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है

एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि औद्योगिक विकास एवं यात्री सुविधाओं के नजरिए  से सार्वजनिक निजी भागीदारी पर आधारित 4500 करोड़ के पूंजी निवेश से 452 कि.मी. लंबी राज्य में निर्माणाधीन तीन रेल परियोजनाएं पी.पी.पी. पर आधारित प्राजेक्ट्स  के रूप में मिल का पत्थर साबित होगी।

यह पूछे जाने पर कि राज्य के औद्योगीकरण से स्थानीय लोगों को क्या लाभ मिलोगा – इस पर उन्होने कहा कि जब भी औद्योगिक विकास होता है तो उसका प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष लाभ मिलता है। इसके अलावा राज्य के मूल निवासियों को उद्योगों में रोजगार संबंधी छूट, अनुदान, रियायतो की अनिवार्यता सतत् सुनिश्चित् करायी जा रही है। राज्य की औद्योगिक नीति में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ औद्योगिक विकास को गति देना प्रमुख लक्ष्य है। निवेश्को की सुविधाओं के साथ सुक्ष्म, लघु, माध्यम उद्योगों की स्थापना और वर्तमान उद्योगों के विस्तार के लिए बैंकिग सुविधाओं का विस्तार भी तय किया जावेगा।

उन्होने बताया कि राज्य की आर्थिक विकास दर इस वर्ष 13.20 प्रतिशत् अनुमानित है, जो देश की अनुमानित विकास दर 11.59 प्रतिशत् से अधिक है। औद्योगिक क्षेत्र का  राज्य के सकल घरेलू उत्पादन में योगदान 38 प्रतिशत् हो गया है।  2004 की तुलना में पूरे राज्य में नयी कार्य संस्कृति का तेजी से विकास हो रहा है।। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले दौरे  पर दंतेवाडा में अल्ट्रामेगा इस्पात संयंत्र स्थापना की पहल हुई है।जिसमें  भारतीय इस्पात प्राधिकारण सी.एम.डी.सी. और एन.एम.डी.सी.  3 लाख मिलियन टन की एस.पी. व्ही. यूनिट के लिए 18000 करोड का सीधा निवेश करेंगी। जिससे 10000 से ज्यादा लोगों की रोजगार के साथ आदिवासी क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक संरचना में बदलाव लाएगा। साथ ही नगरनार में पेलेट प्लांट और बचेली तक स्लरी पाईपलाईन और अन्य कार्यो में निवेश होने से दक्षिण छत्तीसगढ़  भी औद्योगिक विकास में अन्य क्षेत्रों की तरह आगे आ सकेगा।

 

 

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