बिलासपुर—स्थानीय कांग्रेस भवन में जिला शहर कांग्रेस कमेटी और पार्षद दल ने शहर की बदहाल व्यवस्था पर चिंता जाहिर की है। शहर की बदहाल व्यवस्था की तरफ सरकार और प्रशासन का ध्यान खींचने जन आंदोलन खड़ा करने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय मंत्री ने शहर को कहीं का नहीं छोड़ा है। शहर पर विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं थोप दी गयी हैं। अरबो रूपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। बावजूद इसके शहर आगे बढ़ने के वजाय विकास में पीछे खिसकता जा रहा है। सभी योजनाओं को एक दशक होने जा रहे है.लेकिन सभी अधूरे हैं। गौरव पथ में हुए भ्रष्टाचार को लेकर उच्च न्यायालय ने दोषी अधिकारियों के पर एफआईआर दर्ज करने को कहा है लेकिन अधिकारियों पर आज कार्रवाई नहीं हुई है। सीवरेज योजना को हाई पावर कमेटी ने असफल घोषित कर दिया है।
शहर अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर ने कहा कि सीवरेज ने सभी सड़कों को यम लोक का रास्ता बना दिया है। लगातार दुर्घटनाएं हो रही है। निष्क्रिय मंत्री, महापौर और जिला प्रशासन ने बिलासपुर की जनता को जीने-मरने के लिए छोड़ दिया है। जिला शहर कांग्रेस कमेटी आम नागरिकों के साथ आन्दोलन करेगी। सीवरेज भ्रष्टाचार का स्त्रोत और साधन बन गया है।
प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य और वरिष्ठ कांग्रेसी शेख गफ्फार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में जमीं आसमान का अंतर है। आज शहर कचरे का ढेर बन गया हैं। नालियां बजबजा रही हैं। वर्षा जनित बिमारी होने की संभावना बढ़ गयी है। सफाई के नाम पर ठेकेदारों को प्रतिमाह लगभग 1.5 करोड़ भुगतान किया जा रहा है। प्रतिमाह इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी शहर गंदा क्यों है? निगम के अधिकारी, सत्ता पक्ष के पार्षद और सफाई ठेकेदार के मिली भगत से राशि का बंदरबांट हो रहा है।
बैठक को ग्रामीण अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला, प्रदेश सचिव रामशरण यादव, नेता प्रतिपक्ष शेख नजुरूद्दीन, पार्षद एस.डी. कार्टर, पार्षद तजमुलहक, महामंत्री मनोज शर्मा, उपाध्यक्ष सीमा सोनी, शहर प्रवक्ता ऋषि पाण्डेय आदि ने भी संबोधित किया।
श्रद्धांजलि
कांग्रेस नेताओं ने जमुना प्रसाद वर्मा शासकीय स्नात्तकोतर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. अरविन्द शर्मा की असमायिक निधन पर शोक संवेदना जाहिर की है। प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने कहा कि डाॅ. शर्मा जाने- माने शिक्षाविद्, कवि, लेखक और अच्छे प्रशासक थे। राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर होते हुए भी हिन्दी और अंग्रेजी पर उनका एकाधिकार था। डाॅ. शर्मा की अपनी एक शैली थी। किसी भी विषय पर गहरी जानकारी रखते थे। उनके असामायिक निधन पर शिक्षा जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है। जिसे भरना नामुमकिन है।