फिर भी बुरा मान गए

Shri Mi
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SUNDAY_FILE_SDबद्रीनारायण मीणा बोले तो पोस्टिंग के मामले में सूबे के सबसे लकी एसपी। 2008 से वे लगातार कप्तानी पारी खेल रहे हैं। बलरामपुर से उनकी इनिंग की शुरूआत हुई। इसके बाद कवर्धा, जगदलपुर, कोरबा, राजनांदगांव, बिलासपुर, रायपुर और अब रायगढ़। याने आठवां जिला। देश में शायद ऐसा कोई एसपी होगा, जिसे लगातार आठ जिला करने का मौका मिला हो। लेकिन, राजधानी में जब कानून-व्यवस्था बेकाबू होने लगी तो उन्हें बदल दिया गया। आमतौर पर किसी अफसर को ऐसे मामलों में छुट्टी करने पर कुछ दिनों के लिए आराम वाली जगह पर पोस्ट किया जाता है। ताकि, चिंतन-मनन कर सकें, हमसे क्या कमी रह गई। मीणा को भी पीएचक्यू भेजने की प्लानिंग थी। मगर कहीं से स्ट्रांग जैक लगा और उन्हें एसपी बनाकर रायगढ़ भेज दिया गया। आईपीएस में रायगढ़ को आजकल क्रीम पोस्टिंग माना जाता है। इसके बाद भी पता चला है, मीणा नाराज हैं। वे एडिशनल एसपी अजातशत्रु को चार्ज देकर चुपके से रायगढ़ निकल लिए। किसी से बात भी नहीं की। मीडिया से भी नहीं। मीणा को इस सरकार ने छप्पड़ फाड़कर दिया। सम्मान के साथ रायगढ़ भेजा। फिर भी जनाब बुरा मान गए!

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आईएएस का कांप्लेन

एडिशनल चीफ सिकरेट्री एवं एपीसी अजय सिंह ने 15 जुलाई को एक युवा आईएएस के मामलों की जांच के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को लेटर लिखा है। पत्र में उन्होंने सिलसिलेवार बताया है कि मंडी बोर्ड में रहने के दौरान आईएएस ने किस तरह काला-पीला किया। एसीएस का कांप्लेन आईएएस के लिए यह किसी झटके से कम नहीं होगा। क्योंकि, कुछ दिनों से उनके चंपू व्हाट्सएप कर रहे हैं कि साब को रायगढ़ या कोरबा का कलेक्टर बनाया जा रहा है। अफसर भी अरसे से इस जुगत में हैं कि किसी तरह एक बार और कलेक्टरी मिल जाए। बता दें, आईएएस के कारनामे कम नहीं रहे हैं। इसी ख्याति के चलते सरकार ने एक जिला करने के बाद उन्हेें शंट कर दिया था। अब, एसीएस की शिकायत के बाद आईएएस का कलेक्टर बनने का सपना कहीं बिखर न जाए।

सर्विस का रिकार्ड

आईएएस की 38 साल की पारी खेलकर राधाकृष्णन इस महीने बिदा हो जाएंगे। वे 78 बैच के आईएएस हैं। और, फिलहाल देश के सर्वाधिक सीनियर तीन अफसरों में शामिल हैं। राधाकृष्णन महज 22 साल की उमर में आईएएस में सलेक्ट हो गए थे। अविभाजित मध्यप्रदेश में 22 साल में आईएएस बनने वाला कोई आईएएस नहीं है। इस तरह सबसे अधिक समय तक आईएएसगिरी करने का तो रिकार्ड उनके नाम दर्ज हो ही जाएगा। उधर, आईपीएस नरेंद्र खरे भी इस महीने रिटायर हो जाएंगे।

याचिका खारिज

नान घोटाले में आईएएस अनिल टुटेजा ने एसीबी के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। हाईकोर्ट को उन्होंने बताया था कि किस तरह एसीबी ने अकारण फंसा दिया। लेकिन, किस्मत ने इस बार भी उनका साथ नहीं दिया। जस्टिस संजय अग्रवाल ने दोनों पक्षों की सुनने के बाद उनकी याचिका खारिज कर दी है। अब, एसीबी को कहने का हो गया, उसकी कार्रवाई गलत नहीं थी।

बड़बोलापन भारी पड़ा

बिलासपुर के माईनिंग आफिसर बंजारे का बड़बोलापन भारी पड़ गया। जून फस्र्ट वीक में एसीबी ने उनके यहां दबिश दी थी। इसमें एसीबी के हाथ कुछ आया नहीं। तब बताते हैं, बंजारे ने एसीबी अफसरों को हड़का दिया था, अब मैं देख लूंगा….देखना, कैसे सबको कोर्ट में घसीटता हूं। इसके बाद एसीबी अफसरों ने चुटिया बांध ली। और, 45 लाख कैश बरामदगी के साथ ही दो करोड़ की अवैध संपति ढूंढ निकाला। यही नहीं, बंजारे को जेल भी हो जाए, तो अचरज नहीं। क्योंकि, महज सात साल की सर्विस में दो साल प्रोबेशन। याने पांच साल में दो करोड़। हर साल 40 लाख। मामला गंभीर तो है।

फिर झाड़ मिल गई

संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं। तभी तो विधानसभा में भी स्पीकर ने भी उनकी खिंचाई कर डाली। विपक्ष के एक सवाल पर चंद्राकर जब बार-बार घूमा-फिरा कर जवाब दे रहे थे तो स्पीकर ने कहा, आप मंत्री हैं, जवाब देना चाहिए। याद होगा, बजट सत्र में भी स्पीकर ने उन्हें इसी तरह की नसीहत दी थी।

पुलिस की चूक या सरकार की?

राजधानी की पोलिसिंग चुनौतीपूर्ण है, इसे नए आईजी प्रदीप गुप्ता और कप्तान संजीव शुक्ला समझ गए होंगे। 15 जुलाई को किस तरह एनएसयूआई कार्यकर्ता गच्चा देते हुए सीएम हाउस पहंुच गए। और, लाठी चार्ज करना पड़ गया। भिलाई के मेयर तो पिटे ही। रायपुर मेयर प्रमोद दुबे भी नहीं बच पाए। पुलिस ने एनएसयूआई नेताओं को खामोख्वाह राजनीति चमकाने का अवसर दे दिया। बोनस में सोमवार को विस में हंगामा करने के लिए कांग्रेस को इश्यू मिल गया। जबकि, पिछले साल सीएम हाउस घेराव मे राजा बराड़ जैसे कांग्रेस के नेता आए थे। उनके खूनी पंजा वाला पोस्टर चिपकाए गए। लेकिन, धक्कामुक्की तक नहीं हो पाई। हालांकि, आईजी एवं कप्तान दोनों काबिल आफिसर हैं। एसपी तो राजनांदगांव और रायगढ़ के आउटस्टैंडिंग वर्क के चलते ही राजधानी लाए गए। तो क्या एसपी, आईजी को एक साथ बदलना गलत तो नहीं हो गया।

छत्तीसगढ़ियां सबले…

बिहार में टापर कांड हुआ, वहां आरोपी स्टूडेंट समेत उसके माता-पिता जेल में हैं। बिहार सरकार ने उसकी परीक्षा निरस्त कर दी। और, अपनी पोरा बाई को देखिए। पोरा बाई का केस भी बिहार के टापर कांड जैसा ही था। दूसरा आदमी पेपर दिया और पोरा बाई बारहवीं में टाप आ गई। लेकिन, अफसरों ने उसकी परीक्षा रद्द नहीं की। पोरा बाई अब उसी मार्कशीट के आधार पर कसडोल में शिक्षाकर्मी बन गई है। अब पीएमटी की बात करें। मध्यप्रदेश में पीएमटी में गड़बड़झाला उजागर होने के बाद मंत्री से लेकर कई दर्जनों मेडिकल छात्रों को जेल जाना पड़ा। सरकार ने उनकी परीक्षा भी निरस्त कर दिया। और, अपने छत्तीसगढ़ में ऐसे 25 से अधिक आरोपी छात्र एमबीबीएस करके नौकरी कर रहे हैं। पुलिस में केस होने के बाद भी उनका बाल बांका नहीं हुआ। बस, जांच चल रही है।

प्रोफेशनल्स की टीम

अजीत जोगी ने 2018 की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। वे न केवल कांग्रेस में सेंध लगा रहे हैं बल्कि, आम आदमी पार्टी की तरह प्रोफेशनल की टीम तैयार कर रहे हैं। जोगी हाउस में बकायदा कंट्रोल रुप बन गया है। मीडिया मैनेजमेंट के लिए नागपुर से प्रकाश पाण्डेय को लाया गया है। मीडिया का पूरा काम अब प्रकाश के हवाले रहेगा। भीड़भाड़ से बचने उन्होंने बाउसंर रख ही लिया है।

गुड न्यूज

चिप्स ने 75 हजार करोड़ के निर्माण की मानिटरिंग करने वाला साफ्टवेयर तैयार किया है। 40 हजार करोड़ की तो प्रदेश में सड़क ही बननी है। बाकी, सिंचाई से लेकर अन्य निर्माण कार्य अब चिप्स के राडार पर होंगे। कहीं कोई गड़बड़ी होगी, उसकी जानकारी मिल जाएगी। आप सोच रहे होंगे, इसे चिप्स के सीईओ ने तैयार किया होगा। नहीं! उन्हें सोशल मीडिया से फुरसत मिले तब तो। इस साफट्वेयर को पीएस अमन सिंह के नेतृत्व में एक्स सीईओ सौरव कुमार ने बनाया है।

अंत में दो सवाल आपसे

1. ठेका निरस्त हो जाने के बाद किस मंत्री के चंपू से अंबिकापुर के ठेकेदारों ने मारपीट कर 80 लाख रुपए वसूल लिया?
2. रिश्वत की राशि में से अपना कमीशन निकाल लेने वाले किस पीएस को मंत्री के बेटे ने बाहर का रास्ता दिखा दिया?

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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