सर्णान्ध सिस्टम का दोषी कौन..आबकारी या पुलिस

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— सिस्टम सर्णान्ध हो चुका है। मैने अपना बेटा खो दिया। हाथ जोड़कर निवेदन है कि लोग सर्णान्ध व्यवस्था को ठीक ठाक करने मेरे साथ न्याय की लड़ाई लड़ें। अन्यथा देश का सबसे बड़ा धन बरबाद हो जाएगा। नौजवान हमारे हाथ से निकल जाएँगे। युवा पीढ़ी के साथ ही सर्णान्ध सिस्टम को ठीक करना होगा। यदि आप मीडिया लोग सामने नहीं आएंगे तो एक दिन सब कुछ तबाह हो चुका होगा। यह बातें आज रोते बिलखते एक दिन पहले मैग्नेटो माल में मौत के मुह में जा चुके गौरंग के पिता श्रीरंग चम्पत बोबड़े ने पत्रकारों से कही।

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                         चम्पत बोबड़े की पीड़ा को समझा जा सकता है। सिस्टम सचमुच सड़ चुका है। लोग शायद महसूस करते होगें। युवा पीढ़ी लगातार भटकाव की तरफ है। इसमें जितना जिम्मेदार माता पिता है उससे कहीं ज्यादा सिस्टम है। यदि बार 11 बजे बंद हो जाता तो हादसे को टाला जा सकता था। लेकिन चंद रूपयों की लालच में बार देर रात तक खुला। श्रीरंग बोबड़े का घर उज़ड़ गया।

                                 शहर में चाहे खनिज विभाग हो या आबकारी…राजस्व हो या सहकारिता सभी जगह कानून का नहीं…पूंजीपतियों का रौब चलता है। सीजी वाल ने इन सब बर गंभीरता के साथ खबर को लिखा…लेकिन होना वहीं है जो हमेशा से होता आया। कानून पीछे रह गया…पूंजी जीत गयी। उजड़ गया सिस्टम को मानने वाला। इसलिए श्रीरंग बोबड़े का कहना कि सिस्टम सड़ चुका है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

           बिलासपुर शहर में कुल 20 बार हैं…लाखों रूपए देकर लायसेंस बनाया जाता है। लाखों को करोड़ों में बनाने के लिए सारे काम कानून के पिछवाड़़े से ही संभव है। बिलासपुर में भी यही हो रहा है। शहर के कमोबेश सभी बार कभी 11 बजे बंद नहीं हुए हैं। मंगला चौक स्थित बार में..होते शाम रईसजादे और शोहदे नंगा नाच नाचते हैं। पुलिस को जानकारी है। आबकारी को भी अच्छी तरह से पता है….शिकायते भी कई बार हुई और कार्रवाई भी। लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात साबित हुए। बार में अभी भी रंगरेलिया देर रात होती है।

                                 कई बार इन बारों के बारे में लिखा और पढ़ा गया। लेकिन दो दिन बाद बार कानून को ठेंगा दिखाकर अपनी पर आ गए। ऐसे में सोचने वाली बात है कि क्या कानून सिर्फ गरीबों और आम आदमियों के लिए ही है।

                     सोशल मीडिया पर थानेदार ने लिखा कि मैं शर्मिंदा हूं कि बार को हल्की चेतावनी देखर बंद करने को कहा। जनाब को मालूम हो चुका है कि हल्की चेतावनी ने किसी के घर को उजाड़ दिया है। हर बार हल्की चेतावनी ही तो पुलिस देती है। क्यों गंभीरता से मसले को नहीं लेती। जबकि उनके कंधे पर कानून व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी है। शायद इसे ही सिस्टम को सर्णान्ध होना कहते हैं। यदि बहुत पहले से ही बार और अन्य लोगों पर कानून को गंभीरता के साथ लागू किया जाता तो आज गौरंग श्मशान घाट में नहीं अपने घर में होता।

                                 नाम नहीं छापने की शर्त पर एक आबकारी अधिकारी ने बताया कि हम सिर्फ मानिटरिंग कर सकते हैं। बार या दुकान 11 बजे क्यों बंद नहीं हुआ..इसकी जिम्मेदारी पुलिस को है। टीडीएस बार की कई बार शिकायत की गयी है। लेकिन दस से पचास हजार का जुर्माना लगाकर या फिर दो दिन बार बंद कर सजा का इतिश्री हो जाता है। कलेक्टर को अधिकार है कि वह बार को या कानून को नहीं मानने वालों पर कठोर कार्रवाई करे। मैग्नेटो के टीडीएस बार को बंद करना संभव नहीं है। अधिकारियों की हमेशा यही सोच होती है कि एक दो साल बाद चले जाएंगे। इसलिए बंद करने का आदेश ठीक नहीं होगा।

          आबकारी कर्मचारी ने बताया कि बार बंद होने से सरकार को सीधे राजस्व का नुकसान है। राजस्व कम होने पर विभाग को काफी लानत मलानत झेलनी पड़ती है। इसलिए बार को बंद करना आसान नहीं है। पुलिस का काम कानून व्यवस्था को बनाना है। हम लोग बार और दुकान बंद करने का दबाव डालते हैं लेकिन उसका बहुत ज्यादा असर नहीं होता।

                                             शहर के सभी बार 12 बजे के बाद ही बंद होते हैं। पुलिस को भी जानकारी है। कई बार तंंत्रा बार में पुलिस ने छापा मारा। आपत्तिजनक हालत में लोग मिले। लेकिन बार आज भी उसी ढर्रे पर चल रहा है जैसा कि कार्रवाई के पहले चलता था। जानकारी के अनुसार शिवम बार में कई बार कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन बार संंचालक अपनी आदतों से बाज नहीं आते हैं।

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