बिलासपुर— गौरांग की मौत अब अतीत की घटना होने को है। बहुत लिखा और पढ़ा जा चुका है। उम्मीद है कि आगे भी लिखा जाता रहेगा। जिस तरह से मामला आगे बढ़ रहा है…इससे अब संभावना बनने लगी है कि लोग आने वाले कुछ दिनों में एक दूसरे पर कीचड़ भी उछालना शुरू कर दें। सोशल मीडिया गौरांग की मौत पर बहुत सक्रिय नजर आया। लेकिन इन दो एक दिनों में लोगों ने महसूस करना शुरू कर दिया है कि अब बहुत हुआ..न्यायालय के पक्ष का भी इंतजार किया जाए। मीडिया ट्रायल की जरूरत नहीं हैं।
महाराष्ट्र भाजयुमों प्रभारी सुशांत शुक्ला ने बताया कि मै पिछले कुछ दिनों से बाहर था। शहर लौटकर पता चला कि गौरांग अब हमारे बीच नहीं रहा। युवा “गौरांग” की असामायिक मौत हो गयी है। लोगों से जानकारी मिली कि वह शहर के एक नामी बिल्डर का इकलौता बेटा था। उसकी मौत को लेकर लोगों में अलग अलग विचार है। उन विचारों ने अब धाराणा का शक्ल अख्तियार कर लिया है। जो निर्णय तक पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा है।
सुशांत ने बताया कि देर रात पार्टी में नशे के दौरान हज़ारों ख़र्च करने के बाद किसी विवाद में गौरांग की जान गयी है। निश्चित रूप से अच्छी बात नहीं है। प्रश्न उठता है कि आख़िर इन नौजवानों को नशे की ओर नहीं जाने के लिये उनके परिवार ने कुछ ठोस क़दम क्यों नहीं ऊठाया। अगर परिवार ने नहीं उठाए तो परिणाम सामने है…। उन्हें अब न्यायालय का इंतजार करना ही होगा। जितनी गलती व्यवस्था को लोग ठहरा रहे हैं..उतनी ही गलती परिवार की भी है…इसे लोगों को महसूस करना होगा। क्योंकि ताली दोनों हाथ से बजती है। व्यवस्था हमसे है…हम ही व्यवस्था को अब दोषी ठहरा रहे हैं। इसे जितनी जल्दी समझा जाएगा..उतना ही हितकर होगा।
सुशांत ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के बीच इस बात पर भी चर्चा होनी चाहिए कि घटना मे शामिल सभी युवाओं की सोशल नेटवर्किंग साइट कुछ कहता है। सोशल साइट पर डाले गये मैटर…चैटिंग और फ़ोटो युवााओं के संस्कारों की कहानी कहते हैं। सुशांत शुक्ला ने बताया कि हमें तो पुलिस और प्रशासन को ही गाली देनी है। मैं भी पुलिस और प्रशासन का बहुत विषयों पर मुखर विरोधी रहा हू । लेकिन इस विषय पर मैं पुलिस का विरोध नहीं करूंगा।
सुशांत ने बताया कि मुझे शहर की कई समस्याये झकझोरती हैं। मौक़े के इंतज़ार मे मैं अपने आपको संयम की घूटी पिलाता हू कि कभी तो मेरा शहर बदलेगा। लेकिन अफसोस…..ना मै बदल पा रहा हूं… ना मेरा शहर बदल और ना ही हमारा युवा वर्ग