राष्ट्रपति ने बताए समावेशी विकास के लिए नौ सूत्र

Shri Mi
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vc_ggu♦वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाना चाहिए
♦युवाओँ के पास रचनात्मकता, व्याकुलता और जिज्ञासु बुद्धि
बिलासपुर। भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा आबादी वाला देश है जहां की कुल करीब 128 करोड़ की आबादी में 60 करोड़ युवा 25 वर्ष की आयु से कम हैं। हमारे देश के इन युवाओँ के पास रचनात्मकता, व्याकुलता और जिज्ञासु बुद्धि है। प्रतिस्पर्धा और आपस में एक दूसरे से जुड़े वर्तमान वातावरण में भारत की उम्मीदों को साकार करने के लिए हमें देश के जोशीले युवाओँ की ताकत की जरूरत है। और इसी वजह से मैंने नये शैक्षणिक सत्र के अवसर पर अपने संबोधन के लिए “नावाचार: जीवन की शैली” (Innovation: A way of life) विषय को चुना है। यह बात भारत के माननीय राष्ट्रपति एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलाध्याक्ष प्रणब मुखर्जी ने विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों, सिविल सर्विस के प्रोबेशनरी अधिकारियों एवं छात्र-छात्राओँ को एनकेएन (नेशनल नॉलेज नेटवर्क) के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहें।

             
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                                 गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता की उपस्थिति में बुधवार दिनांक 10 अगस्त 2016 को दोपहर 12.30 विश्वविद्यलाय के कुलसचिव कार्यवाहक प्रोफेसर बी.एन.तिवारी, विभिन्न अध्ययनशालाओँ के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षों एवं अधिकारियों ने प्रशासनिक भवन के सभागार में माननीय राष्ट्रपति जी के संबोधन के अवसर पर उपस्थित रहे।

                               राष्ट्रपति के संबोधन को लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं में खासा उत्साह देखने को मिला। माननीय राष्ट्रपति जी के संबोधन के दौरान रजत जयंती सभागार में छात्र-छात्राओं से खचाखच भरा रहा ऐसा ही हाल लाइब्रेरी, सीएसआईटी विभाग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के ई-क्लास रूम का रहा। विशेवविद्यलाय प्रशासन ने राष्ट्रपति जी के संबोधन को बेहतर तरीके से देखने एवं सुनने के लिए क्रमश: चार केंद्र रजत जयंती सभागार, प्रौद्योगिकी संस्थान (ई-क्लासरूम), सीएसआईटी विभाग एवं केंद्रीय ग्रंथालय में सुव्यवस्थित इंतजाम किये थे।

                                        राष्ट्रपति ने विविधताओं से भरे भारतीय समाज के समावेशी एवं टिकाऊ विकास के लिए नौ सूत्र दिये -हमें बच्चों की क्षमता एवं प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें सवाल पूछने के लिए प्रेरित करना चाहिए और अगर हमें उनके सवालों के जवाब नहीं मालूम हैं तो उन्हें खोजने की ललक भी दिखाना चाहिए। ताकि हम नये तथ्यों की जानकारी कर सकें।हमें वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाना चाहिए। वैज्ञानिक तर्कों पर तथ्यों की परख करनी चाहिए।स्कूल, कॉलेजों एवं शोध संस्थानों में इनोवेशन क्लब और थिंकर लैब बनानी चाहिए। जहां छात्र-छात्राएं समाज को बेहतर के लिए प्रयोग कर सकें।हमें औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा माध्यमों के बीच एक सेतु तैयार करना चाहिए जिसके माध्यम से समावेशी विकास संभव हो।

                                         रोजगारमुखी गांरटी एवं अन्य कौशल विकास की योजनाओँ को बनाते हुए हमें सांस्कृतिक, टेक्नालॉजिकल, एवं परंपरागत कौशल क्षमता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।मैं पिछले 4 सालों से उच्च शिक्षण संस्थानों के कुलपतियों एवं निदेशकों से इनोवेशन को शिक्षा के हर स्तर तक पहुंचाने के विषय में बात कर रहा हूं।हमने अपनी समस्याओं के साथ जीना सीख लिया है। अब हमें इस मानसिकता से बाहर आकर समस्याओँ के निदान के बारे में विचार करना होगा, भले ही हम असफल हो जाएं। इसके लिए हमें सतत् प्रयास करना होगा।हमें स्वयं में तात्कालिकता का भाव पैदा करना होगा। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में ऐसी तात्कालिकता बेहद जरूरी है।हमें बेहतर से बेहतर कार्य संपादित करके दिखाना है और ऊंचे मानदंड स्थापित करने हैं।

                                      प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत भले ही उच्च तकनीकी इनोवेशन में पिछड़ गया हो लेकिन जब बात रोजमर्रा की जिंदगी में पड़ने वाली जरूरतों की होती है तो हमने बेहतर इनोवेशन को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि इनोवेशन क्लब के तहत राष्ट्रपति भवन में पिछले तीन सालों से ‘इन-रेसीडेंस’ कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से विभिन्न क्षेत्रों के रचनात्मक लोग शामिल होते हैं और अपने नये-नये विचारों को आपस में आदान-प्रदान करते है।

                                         राष्ट्रपति भवन में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति के कॉन्फ्रेंस के निर्णयानुसार, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी इनोवेशन क्लब का गठन किया गया है। पिछले वर्षों में राष्ट्रपति भवन में आयोजित इनोवेशन फेयर में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के इनोवेशन क्लब के सदस्य सम्मिलित हुए हैं।

                                       कार्यक्रम का समन्वय एवं धन्यवाद ज्ञापन आईआईटी, मद्रास के निदेशक द्वारा किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति जी से तेजपुर विश्वविद्यालय, आईआईएससी, बैंगलुरू, एनआईटी, दुर्गापुर, आईआईटी, बॉम्बे, एनआईएफटीईएम, सोनीपत, एनएसीईएन, फरीदाबाद एवं नेशनल पुलिस अकादमी, हैदराबाद के प्रतिभागियों ने सवाल किये एवं अपने विचार रखे।

 

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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