बिलासपुर।बुधवार को वन मंत्री महेश गागड़ा ने संभाग के वन अधिकारियों की बैठक ली। गागड़ा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आवासीय क्षेत्रों में हाथियों के प्रवेश और इससे होने वाली जनहानि व अन्य क्षति को रोकना पहली प्राथमिकता है। इसके लिए बेहतर कार्य योजना बनाई जाये। गागड़ा ने कहा कि जंगली हाथियों से लगातार हानियां बढ़ रही है। जिसको रोकने लिए विभिन्न विभागों से समन्वय कर ठोस योजना बनाएं। हाथियों के लिए पानी की व्यवस्था हेतु वर्षाकाल में ही संरचना निर्माण करने के निर्देश दिये। इसके लिए मनरेगा से कार्ययोजना बनाने कहा। प्रभावितों के पुनर्वास एवं मुआवजा वितरण का कार्य त्वरित रूप से हो। ग्रामीणों में जागरूकता लाने के लिए कार्य करें। जिन क्षेत्रों में जंगली हाथी घूमते हैं वहां बोर्ड लगाकर जागरूक किया जाये।
साथ ही वन विभाग के प्रमुख सचिव आर.पी. मण्डल ने कहा कि कटघोरा, लैलुंगा, धरमजयगढ़ के कुछ क्षेत्र जो हाथी से सर्वाधिक प्रभावित हैं वहां जनप्रतिनिधि, ग्रामीणों व फारेस्ट गार्ड को इस संबंध में जागरूक किया जाये। हाथियों से प्रभावित गांवों में फोकस कर उसके हिसाब से कार्ययोजना बनाने संभाग के सभी डीएफओ को निर्देशित किया। जो भी कार्य हो रहे हैं, उनके लिए समयसीमा बनाये जाये। तत्कालीक रूप से अस्थाई डेम तैयार करने, मनरेगा से नाला बंधान करने, जनहानि पर मुआवजा स्वीकृति जल्द से जल्द करने कहा। हाथी धान और महुए को सूंघ कर आते हैं ऐसे गांवों में लोहे के कन्टेनर रखवाये जायें।
मण्डल ने वन विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कोरबा, धरमजयगढ़, कटघोरा, लैलुंगा, तमनार क्षेत्र में 7 दिवस के भीतर दौरा करने तथा आगामी एक वर्ष के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया। पीसीसीएफ शरण सिंह ने कहा कि जंगली हाथी के प्रभाव को रोकने के लिए लंबी अवधि की योजना बनाएं, जल स्त्रोतों का विकास तथा तत्कालीक रूप से जो संभव हो वह व्यवस्था बनाई जाये।