बिलासपुर(करगीरोड)।डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसके लिए भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यम मंत्रालय ने इसकी मान्यता दी है। सीवीआरयू में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र के माध्यम से कक्षा 8वीं के बाद के विद्यार्थियों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारत सरकार ने डाॅ.सी.वी.रामन् विवि को विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षण देने की अनुमति प्रदान की है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विष्वविद्यालय के कुलसचिव षैलेप पाण्डेय ने बताया कि भविष्य के बाजारों के लिए कौशल विकास से लेकर मानव संसाधन विकसित करने के लिए हाल में ही घोषित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से अवश्य ही हमारी अर्थव्यवस्था को पूर्ण लाभ मिलेगा। नई नीति के तहत मिशन के तौर पर लागू की गई यह योजना मानव संसाधन और उद्योग के विकास में एक नए युग की शुरुआत करेगी।
पाण्डेय ने बताया कि किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कौशल और ज्ञान दो प्रेरक बल हैं। वर्तमान वैश्विक माहौल में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य चुनौती से निपटने में वे देश आगे हैं जिन्होंने कौशल का उच्च स्तर प्राप्त कर लिया है। श्री पाण्डेय ने बताया कि किसी भी देश में कौशल विकास कार्यक्रम के लिए मुख्य रूप से युवाओं पर ही जोर होता है। इस मामले में हमारा देश अच्छी स्िथति में है।
जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उत्पादक आयु समूह में है। यह भारत को सुनहरा अवसर प्रदान करता है, परंतु एक बड़ी चुनौती भी पेश करता है। हमारी अर्थव्यवस्था को इसका लाभ तभी मिलेगा जब हमारी जनसंख्या विशेषकर युवा स्वस्थ, शिक्षित और कुशल होगी। इस क्रम में डाॅ.सी.वी.रामन् विष्वविद्यालय नया आयाम तय करने जा रहा है। भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यम मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कौशल केंद्र की स्थापना की अनुमति दी है। आज आईसेक्ट के अधिकारियों ने सांसद लखन लाल साहू से मुलाकात की और इस संबंध में पूरी जानकारी श्री साहू को दी। साहू ने हर्प व्यक्त् करते हुए अधिकारियों ने जरूरी सहयोग देने की बात कही।
सामाजिक व आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा-कुलसचिव
कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि भारत में बड़ी युवा जनसंख्या है जिससे आने वाले समय में सामाजिक-आर्थिक विकास को जोरदार बढ़ावा मिलना तय है। हमारे पास 60.5 करोड़ लोग 25 वर्ष से कम आयु के हैं। रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल प्राप्त करके ये युवा परिवर्तन के प्रतिनिधि हो सकते हैं। वे न केवल अपने जीवन को प्रभावित करने के काबिल होंगे साथ ही दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सकेंगे। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत पाठ्यक्रमों में सुधार, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्य पहलुओं के साथ व्यवहार कुशलता और व्यवहार में परिवर्तन भी शामिल है। कौशल प्रशिक्षण नेशनल स्िकल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क और उद्योग द्वारा तय मानदंडों पर आधारित है।
पाण्डेय ने बताया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्य रूप से श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश कर रहे लोगों पर जोर होगा और विशेषकर कक्षा 10 व 12 के दौरान स्कूल छोड़ गये छात्रों पर ध्यान दिया गया है। कौशल व उद्यम विकास वर्तमान सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। नवगठित कौशल व उद्यम विकास मंत्रालय की मेक इन इंडिया अभियान के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह अभियान भारत को एक विनिर्माण केन्द्र के रूप में परिवर्तित करने के लिए अहम पहल है। विकासशील अर्थव्यवस्था के विनिर्माण क्षेत्र समेत सभी क्षेत्रों की मांग के अनुसार प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करने में इस मंत्रालय की अहम भूमिका है।
7 ट्रेड्स में मास्टर ट्रेनर देंगें प्रषिक्षण
श्री पाण्डेय ने बताया कि उद्योगों की जरूरत के अनुसार वर्तमान में केंद्र में 7 टेªड्स में प्रषिक्षण दिया जाएगा। इसमें डाटा इंट्री आॅपरेटर, इलेक्ट्रीषियन, आटोमोटिव टेक्नीषियन,कस्टमर रिलेषन एक्जीक्यूटिव, एकाउंट एक्जीक्यूटीव सहित कई सेक्टर षामिल हैं। इसके लिए विष्वविद्यालय में बेहतर अधोसंरचना, लैब, वर्कशाप,कम्प्यूटर लैब उपलब्ध है। इसके साथ हमारे पर मास्टर ट्रेनर हैं, जो विद्यार्थियों को दक्ष करने में अनुभवी हैं। श्री पाण्डेय ने बताया कि इस तरह विद्यार्थियों को अधिकतम 3 महिने के शॉर्ट टर्म प्रशिक्षण के माध्यम से दक्ष किया जाएगा। जिससे वे रोजगार के अवसर का लाभ उठाकर जल्द ही जाॅब में जाएं।
अपनी रूचि से प्रषिक्षण लेकर पाएं रोजगार-साहू
इस संबंध में जानकारी देते हुए बिलासपुर के सांसद लखन लाल साहू ने बताया कि केंद्र सरकार ने अलग से मंत्रालय बनाकर युवाओं को कौशल में दक्ष करने की योजना तैयार की है। यह खुषी की बात है कि सरकार ने प्रधानमंत्री कौषल केंद्र के लिए सीवीआरयू का चयन किया है। बिलासपुर के युवा अपनी रूचि और सुविधा के अनुसार ट्रेड्स में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। साथ ही उन्हें रोजगार मिल सकेंगा। यह बात सामने आई है कि निजी क्षेत्रों में कुशल लोगों की काम करने वालों की जरूरत है। इसके माध्यम क्षेत्र के युवाओं को रोजगार का बेहतर अवसर मिलेगा। ये युवा जो बेराजगार थे वे भी समाज के विकास में अपनी भूमिका निभा पाएंगे।