शिक्षा का बाजारीकरण..शिक्षकों का अपमान..अभय

BHASKAR MISHRA
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abhay बिलासपुर—-छत्तीसगढ़ और बिलासपुर जिले में शिक्षा  की दयनीय स्थिति पर कांग्रेसियों ने चिंता जाहिर की है। कांग्रेस नेताओं ने सरकार की शिक्षा नीति पर निशाना साधा है। कांग्रेसियों के अनुसार भाजपा सरकार ने शिक्षा का बाजारीकरण किया है।समाज में अमीर और गरीब के बीच की खायी बढ़ गयी है। सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर है। प्रायवेट स्कूलों की फीस ने गरीबों के बच्चों उत्तम शिक्षा से दूर कर दिया है।

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                                     कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता अभय नारायण राय ने प्रेस नोट जारी कर सरकार की शिक्षा नीति पर निशाना साधा है। अभय ने बताया कि सरकारी स्कूलों की स्थिति की बद से बदतर है। पढ़ाई के दौरान बच्चों के सिर पर छत गिर जाती है। शिक्षकों का ध्यान पूरे समय मध्यान्ह भोजन संचालन या गैर शिक्षकीय कार्यो में लगा रहता है। शिक्षाकर्मी राजनीतिक व्यक्तियों के ईद-गिर्द घूमकर स्थानांतरण से बचने का प्रयास करते हैं। सरकार की शिक्षा नीति का सबसे ज्यादा फायदा प्राइवेट स्कूलों को मिल रहा है। सरकार ने शिक्षा नीति से बाजारीकरण को बढ़ावा दिया है।

                                                  अभय नारायण ने बयान जारी कर कहा कि बिलासपुर शहर के शासकीय स्कूलों की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है। स्कूली शिक्षा के साथ महाविद्यालय और विश्वविद्यालय शिक्षा की भी हालत ठीक नहीं है। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय आज भी किराये के कुल सचिव से चल रहा है। कुलपति आर.एस.एस.के एजेन्डें को प्राथमिकता दे रहें है। बिलासपुर विश्वविद्यालय..परीक्षा आयोजन से लेकर रिजल्ट निकलने तक विवादों का कीर्तिमान रचने का काम करता है।

                               अभय ने बताया कि पं. सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय को मंत्रियों के पत्नियों को पास कराने का ठेका मिला है। एक समय प्रदेश में स्कूली शिक्षा में उच्च स्थान रखने वाला मल्टीपरपज हाई स्कूल , लाल बहादुर शास्त्री हाई स्कूल की हालत आज काफी दयनीय है। बावजूद इसके प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर चंद शिक्षकों का सम्मान कर वाह-वाही लूटने वाली सरकार शिक्षा नीति में आमूल चूल परिवर्तन कर खस्ताहाल संस्थाओं को बचाए। शिक्षण संस्थाओं को राजनीतिक का अड्डा ना बनने दे। शिक्षाकर्मियों को शिक्षा के रूप में मान्यता प्रदान करे। समान वेतन, समान पद की अवधारणा लागू करें। शिक्षकों से चुनाव के अलावा कोई भी गैर शिक्षकीय कार्य नहीं कराने का संकल्प ले। इसके बाद ही शिक्षा में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

               अभय ने बताया कि सरकार जब तक शिक्षा नीतियों में राजनीति से हटकर आमूल चूल परिवर्तन नहीं करती है तब तक सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्ण के सपने को साकार नहीं किया जा सकता है। जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा तब तक शिक्षक दिवस कार्यक्रम केवल औपचारिक बनकर रह जाएगा।

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