ग्रामीण क्षेत्रों का तैयार होगा भू-अभिलेख

BHASKAR MISHRA
3 Min Read

mantralay_rprरायपुर—ग्रामीण क्षेत्रों में खसरे के अनुसार जमीनों के नक्शोें का सुधार किया जाएगा। लगातार तीन महीने के अभियान में समस्याओं को दूर किया जाएगा। राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने संभागीय आयुक्तों और कलेक्टरों को आदेश जारी किया है।

                           मंत्रालय से जारी परिपत्र के अनुसार राज्य के सभी 27 जिलों के भू-अभिलेखों का शत-प्रतिशत कम्प्यूटरीकरण कर लिया गया है। नामांतरण, बंटवारा मामलों में विवादों को अब जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। देखा गया है कि रिकार्ड दुरूस्तीकरण के समय खसरे में भू-खण्ड विभाजन कर लिया जाता है, लेकिन नक्शे में नहीं किया जाता। इससे राजस्व रिकार्ड में काफी अंतर आ जाता है।  दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बेमेतरा, बालोद और महासमुन्द जिले को छोड़कर 22 जिलों में खसरा पंचसाला में भू-खण्डों की संख्या और भू-नक्शे में भूखण्डों की संख्या में काफी अंतर है।

                                        राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि शहरी क्षेत्रों में छोटे-छोटे भूखण्डों को 1.4000 के स्केल में बने छोटे नक्शे को प्रदर्शित करना संभव नही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रोें में इस अन्तर ठीक किया जा सकता है। मैदानी स्तर पर खसरा के अनुरूप नक्शा में दुरूस्ती की कार्रवाई नहीं की जा रही है। जब भी नामान्तरण, बटवारा के कारण खसरा पांचसाला का विभाजन किया जाता है, तो नक्शें में उसका विभाजन नहीं होता।  जिसके कारण खसरा पांचसाला में खसरों की संख्या बढ़ जाती है। जबकि नक्शे की स्थिति पुरानी ही बनी हुई है। राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है।

                                     संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जिलों में तत्काल समीक्षा करें। नगरीय क्षेत्रों को छोड़कर सभी क्षेत्रों में खसरा के अनुसार नक्शा सुधारने की कार्रवाई तीन महीने के भीतर पूरा करें।

                                                मालूम हो कि बंदोबस्त की कार्रवाई के दौरान किसी गांव का सर्वेक्षण कर भू-नक्शे और खसरा तैयार किया जाता है। इस दौरान गांव की समस्त जमीन को भू-खण्डों में विभाजित किया जाता है और नक्शे में प्रत्येक भू-खण्ड को बढ़ते क्रम में अलग-अलग क्रमांक दिया जाता है। इसे खसरा नम्बर कहा जाता है। भू-अभिलेख तैयार करने के बाद गांव के नक्शे में जितने भू-खण्ड निर्धारित किए जाते है, उतनी ही संख्या में खसरा नम्बर भी तय किए जाते हैं।

close