महानदी के पानी पर किसी भी किस्म का विवाद अनावश्यक-रमन

Shri Mi
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mahanadi_vivad_cmनई दिल्ली।शनिवार को महानदी मसले पर केन्द्र सरकार ,छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य की त्रिपक्षीय बैठक हुई।बैठक मे मुख्यमंत्री ने कहा कि महानदी के पानी पर किसी भी तरह का विवाद अनावश्यक है।उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि महानदी के पानी पर विवाद करने के बजाय किस तरह इसका बेहतर उपयोग किया जाये ।केन्द्र सरकार ,छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य की त्रिपक्षीय बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने तथ्यात्मक प्रस्तुतिकरण से महानदी के संबंध में व्याप्त सभी आशंकाओं का समाधान किया। डॉ रम ने कहा कि महानदी पर छत्तीसगढ़ में निर्मित सभी जल परियोजनाएं केन्द्र सरकार के निर्धारित मापदंडो और नियमों के अनुरूप है ।सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ पूरी पारदर्शिता के साथ अपनी जल परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है और इससे ओडिशा का हित प्रभावित नहीं होता है ।

             
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                                             बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय जल संसाधन और नदी विकास मंत्री सुश्री उमा भारती ने की। बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक और छत्तीसगढ़ के जल संसाधन  मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल और मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड भी उपस्थित थे ।

                                            बैठक में छत्तीसगढ़ ने केन्द्रीय जल आयोग की संयुक्त समिति द्वारा एक सप्ताह में छत्तीसगढ़ और ओडिशा की जल परियोजनाओं की प्राथमिक समीक्षा के केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती के प्रस्ताव को सहमति प्रदान की । मुख्यमंत्री ने कहा कि महानदी पर वह हर तरह की बातचीत और विचार विमर्श के लिए हमेशा तैयार है और बातचीत से ही इस विषय का समाधान निकलेगा । उन्होंने ओडिशा के सामने दोनो राज्यों का एक कंट्रोल बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भी रखा और कहा कि इससे भविष्य के सभी परियोजनाओं के लिए भी आपसी सामजंस्य की राह बनेगी ।  महानदी के बहाव को मापने के लिए छत्तीसगढ़ की सीमा पर गाज़ स्टेशन लगाने के मुख्यमंत्री  डॉ रमन सिंह के प्रस्ताव को सीडब्लूसी ने अपनी मंजूरी दे दी है।

                                  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि महानदी पर ओडिशा की सभी आशंकाए भ्रम या सही तथ्यों की जानकारी न होने पर आधारित है । उन्होंने कहा कि तथ्य यह बताते है कि छत्तीसगढ़ में निर्माणाधीन सभी जल परियोजनाओं के बाद भी महानदी में इतना पानी शेष बचता है कि इससे हीराकूद बॉंध 5 से 7 बार तक भरा जा सकता है । उन्होंने कहा कि महानदी में मानसून में जल का प्रवाह 96 प्रतिशत और गैरमानसून में केवल 4 प्रतिशत होता है , इसलिए किसी भी बॉंध में केवल वर्षा का जल ही संचय रहता है । उन्होंने कहा कि आंकड़े यह भी दर्शाते है कि इन्ही बॉंधों के चलते 70 के दशक से गैरमानसून समय में नदी में पानी के बहाव में वृ़ि़द्ध देखी गयी है । मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ ने केवल 274 एमसीएम नई जल संग्रहण क्षमता निर्मित की है जो की बांधों में सिल्टिंग के कारण हुई खोई क्षमता से भी  कम है ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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