मिनटों में मिट गया..बिलासपुर का गवाह

BHASKAR MISHRA
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IMG-20161015-WA0080 बिलासपुर— सौ साल से अधिक के इतिहास के साथ तोरवा पावर हाऊस चिमनी को आज धराशाही कर दिया गया। यद्यपि जिला प्रशासन ने इसे पुरातत्व की नजर से बचाने का कई प्रयास किया। लेकिन जर्जर होने के कारण चिमनी कभी भी जानलेवा साबित हो सकती था। इसलिए आज कलेक्टर आदेश के बाद बिल्डिंग को गिरा दिया गया। बिल्डींग गिरते समय भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।चिमनी जमीदोज होने के बाद बिलासपुर का एक इतिहास अब पन्नों में सिमटकर रह गया।

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                                 प्रदेश की सबसे पुरान चिमनी को आज जमीदोज कर दिया गया। रायपुर की कंपनी ने तोरवा स्थित सबसे पुरानी 40 मीटर ऊंची चिमनी को गिराया। जानकारी के अनुसार विभाग ने चिमनी को गिराने के लिए 4 लाख को टेंडर दिया था।

      बताया जाता है कि चिमनी का करीब सौ साल पहले हुआ था। चिमनी कब बनायी गयी..लोगों का इस पर कई तर्क हैं। जानकारी के अनुसार चिमनी का निर्माण साल 1903 के बाद ही हुआ । आजादी के पहले तोरवा में सेन्ट्रल इलेक्ट्रानिक पावर कम्पनी के नाम से बिल्डींग की स्थापाना हुई थी। कम्पनी पर कोलकाता के व्यापारियों का मालिकाना हिस्सा था। उन्होने कई बार कंपनी को शुरू करने का प्रयास किया लेकिन असफलता हाथ लगी।

                 मालिकाना हक की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक चली। 1986 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बिल्डिंग को चिमनी को मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक बोर्ड के हवाले कर दिया। तात्कालीन समय तोरवा पावर हाउस से 1 मेगावाट यूनिट का निर्माण किया जाता था। तिलकनगर के आसपास क्षेत्रों में तैयार बिजली की सप्लाई की जाती थी। चूंकि बिजली उत्पादन में काफी खर्च आता था इसलिए उपभोक्ताओं की संख्या धीरे धीरे कम हो गयी।IMG-20161015-WA0076

                             करीब पांच साल पहले चिमनी का 15 फिट हिस्सा गिर चुका है। चुंकि चिमनी काफी जर्जर हो चुकी थी इसलिए लोगों को जान का हमेशा खतरा बना रहता था। लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने चिमनी तोडने से पहले पुरातत्व विभाग से सम्पर्क किया। पुरातत्व विभाग ने चिमनी की जर्जर हालत को देखते हुए संरक्षण किए जाने से बेहतर जमीदोज करने की सलाह दी।

                                       पुरातत्व से  सलाह के बाद जिला प्रशासन ने चिमनी को गिराने के लिए ड्रीलिग एंड ब्लास्टिंग इंजिनियर कम्पनी को 4 लाख में ठेका दिया। ड्रीलिंग एंड ब्लास्टिंग कम्पनी के संचालक बलजिन्दर सिंग ग्रोवर ने बताया की चिमनी के आस पास कुल 125 सुराग में विस्फोटक का प्रयोग किया गया है। इसमें 10 विशेषज्ञ मजदूरों ने काम किया।

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