रायपुर—गुंडरदेही विधायक आरके राय ने कहा कि ताड़मेटला के पीड़ितों को मुआवज़ा और पक्का मकान बनाकर देने की घोषणा करने के लिए राज्य सरकार को दिए 48 घंटे का अल्टीमेटम खत्म हो चुका हैं। सरकार ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे जाहिर होता है कि राज्य सरकार आदिवासी विरोधी है।
आरके राय ने बताया कि अब हम सुकमा से सरगुजा तक सभी आदिवासी विधायकों नेताओं और अधिकारी.कर्मचारियों से आर्थिक मदद मांगेगे। जो भी रूपए मिलेंगे उससे 252 पीड़ित आदिवासियों के मकान बनाएंगे। ऐसा कर हम सरकार को आदिवासियों के विरुद्ध अत्याचार और आदिवासियों के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराएंगे।
राय ने बताया कि राज्य सरकार को पश्चाताप एक मौका दिया था। 48 घंटे का समय अब खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष तक पता नहीं चला कि आखिर ताड़मेटला में हुआ क्या था। कौन दोषी और कौन निर्दोष है। सीबीआई ने प्रमाणित दिया कि आग के लिए नक्सली नहीं प्रशासन और शासन जिम्मेदार है।
बस्तर के गरीब आदिवासियों के घरों को आग लगा देना बहुत बड़ी घटना है। यह छत्तीसगढ़ की अस्मिता पर काला दाग है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में आदिवासियों के साथ यह बड़ा अत्याचार है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मुद्दे पर महज राजनीति की रोटियां सेंक रहे हैं। दोनों को असल में आदिवासी हितों से कोई लेना देना नहीं है। दोनों ही राष्ट्रीय दल आदिवासियों को महज वोट बैंक समझते हैं।
राय ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि सीबीआई की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी पुलिस अधिकारियों और एसपीओ जवानों के खिलाफ निलंबन नहीं बल्कि कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं।