अभी भी जीवित है कवि सम्मेलन…काव्य फुहार में डूबा बिलासपुर

BHASKAR MISHRA
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IMG20161105221352 बिलासपुर— घर बैठकर टीवी देखने वाले…टेक्नोलाजी की बात करने वाले…ठहराव का विरोध करने वाले…देर शाम घर से नहीं निकलने वाले…समय का रोना रोने वाले..हंसमुख और तुनकमिजाज लोग…नेता अभिनेता…बूढे और जवान…सभी लोग सीएमडी मैदान में देर रात्रि तक कविता के फुहार में सराबोर नजर आए। कविता पाठ सुनने के बाद… पूरा शहर सड़क पर नजर आया…। इस दौरान कुछ गुनगुनाते हुए दिखाई दिेये तो …कुछ लोग कविता की समीक्षा करते हुए पाए गये….। यह सब कुछ उन लोगों को लिए संदेश है जो कहा करते हैं कि अब कवि सम्मेलन सुनने कौन जाता है….। हो सकता है कि सारी बातें सच हो…लेकिन सीएमडी मैदान में गुलाबी ठंड के बीच अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में उमड़ी भीड़ ने सारे नकारात्मक जुमलों को गलत साबित कर दिया। 9 बजे से रात्रि तीन बजे तक मैदान का कोना कोना भरा नजर आया…। भीड़ देखने के बाद कवि सम्मेलन के प्रति दूरी बनाकर रखने वालों के दिमाग में यह जरूर कौंधा होगा कि बिलासपुर में आज भी कविता को सुनने और गुनने वालों की कमी नहीं है।

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                                    रविवार को देर रात तक कवि सम्मेलन का दौर चला। राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कवियों ने नागरिक मंच के बैनर तले काव्य पाठ किया। शाम 9 बजे जो जहां रात्रि तीन बजे तक ठहाका उसी स्थान पर पाया गया। कवि सम्मेलन के बाद मानों ऐसा लगा कि बिलासपुर शहर सड़क पर उतर आया हो…। यातायता दुरूस्त करने पुलिस को भी हाजिर होना पड़ा। देखने में आता है कि नेता कार्यक्रम को हरी झण्डी दिखाकर नदारद हो जाते हैं…। लेकिन सीएमडी मैदान में आयोजित कवि सम्मेलन में ऐसा कुछ नहीं हुआ। संत से लेकर बड़े बड़े नेताओं ने हास्य व्यग्य और गंभीर कविता का आनंद अंत तक उठाया। मजेदार बात तो यह है कि कवि सम्मेलन समापन के बाद पीसीसी अध्यक्ष ने श्रोताओं के धैर्य और मंच पर बैठे सरस्वती पुत्रों की जमकर तारीफ की।

                बिलासपुर में कविता की जड़ बहुत पुरानी है..। कविता के बीज आज भी जीवित हैं….। अन्तर्राष्ट्रीय कवि सुरेन्द्र शर्मा ने मंच से कविता पाठ के साथ ही बिलासपुर में कवि सम्मेलन मेजमानी की जमकर तारीफ की। उन्होने बातों ही बातों में बिलासपुर के कविता रसिकों पर चुटकी लेते हुए कहा कि जाजोदिया जी की शर्त होती थी कि जब तक अंतिम जलेबी नहीं निकलेगी तब तक कविता पाIMG20161105221350ठ का दौर नहीं रूकेगा। अंत में कवियों को ही हलवाई को पकड़कर अंतिम जलेबी निकालने को कहा जाता था ताकि कवि का कविता खजाना खाली ना हो जाए।

                                            सुरेन्द्र शर्मा ने बताया कि बिलासपुर में देश के सबसे कविता के श्रोता होते हैं। जूनी लाइन, लालबहादुर शास्त्री मैदान से लेकर उन्होंने सीएमडी मैदान तक का कवि सम्मेलन की जानकारी दी। उन्होने कविता पाठ के बीच में बताया कि कवियों की सारी बुद्धिमानी और हेकड़ी बिलासपुर स्रोताओं के सामने बौना साबित हो जाते हैं। यहां कविता और कवियों को सम्मान मिलता है। अब जब लोग कहते हैं कि कवि सम्मेलन में भीड़ नहीं होती तो मैं कहना चाहता हूं कि लोग सीएमडी मैदान में आकर देखें बिलासपुर के लोग कविता का कितना सम्मान करते हैं।

              मंच से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कवियों ने श्रोताओं को जमकर हंसाया…बजबजाती व्यवस्था पर जमकर चोट किया…। कवियाों ने जहां स्रोताओं को अंदर तक हिलाकर रख दिया तो वहीं ठठाकर हंसने को मजबूर कर दिया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले मंच पर अतिथियों और कवियों का शाल,श्रीफल और प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत  किया गया। काव्यपाठ के शुरू में लखनऊ की मशहूर कवियत्री ने मां सरस्वती की वंदना की। इसके बाद राजस्थान के प्रतापगढ के कवि पार्थ नवीन,मुम्बई से दिनेश बावरा,सम्पत सरल जयपुर,डॉ.सुमन दुबे लखनऊ,पद्मश्री सुनील जोगी दिल्ली और पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे ने एक से एक बढ़कर कविता सुनाकर लोगों को झूमने और थिरकने को मजबूर कर दिया।

              IMG20161105221101        पार्थ ने पैरोड़ी के सहारे व्यवस्था चोट किया। दिनेश बावरा सामाजिक ताने बाने और आधुनिकता पर जमकर चुटकी ली। सम्पत सरल की गद्य शैली की व्यग्य से बातचीत शीर्षक के बहाने अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर लोगों को अंदर तक गुदगुदाया। डॉ.सुमन दुबे की शानदार गायकी और श्रृगांर गीत ने कवि सम्मेलन को नई ऊंचाई दी। बहु विधा के धनी पद्मश्री सुनील जोगी ने कविता के सारे रसों का रसपान कराया। सुरेन्द्र दुबे ने हमेशा की तरह महिला प्रताडित पतियों के चार लाइन पेश कर मंच को लूट लिया। उन्होने अपनी कविता से व्यवस्था पर चोट करते हुए सम्बधों के ताने बाने का सजीव चित्रण किया।

                                कवि सम्मेलन के अंत में भूपेश बघेल ने उपस्थित सभी लोगों के प्रति धन्यवाद जाहिर किया। उन्होने कहा कि कवि और कविता समाज का दर्पण होता हैं। जमाना कितना भी हाईटेक हो जाए लेकिन कविता का महत्व अनंत काल तक रहेगा। बिलासपुर कवि सम्मेलन ने यह जाहिर कर दिया है। कार्यक्रम में बापू चिन्मयानंद ने भी काव्य फुहार का ना केवल आनंद लिया बल्कि मंच से उपस्थित लोगों को संबोधित किया। उन्होने कहा कि कवि,कथाकार और कलाकार के तीन स्तम्भ पर ही समय समाज का तानाबाना टिका हुआ है। कार्यक्रम को अटल श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।

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