रायपुर । शारीरिक अनुकरण ही अभिनय है । बाहरी रूप में अनुपातिक संबंध रखें । अध्यात्म का संबंघ भाव से है । हम एक क्षण भी कहीं नही टिकते विचारों के साथ विचरते रहते थे । हम जिसको याद करते हैं उसके साथ स्मरण जुड़ जाता है । अवाक मुद्रा में दिमाग काम नही करता मुंह खुला रह जाता है । भाव से स्वरूप से से मुद्रा में आते हैं भाव की दशा मुद्रा की दशा से शरीर की दशा भी बदलने लगती है । एक्शन से भी भाव में भेद होता है । बहुत सी बातें हैं यह जीवन भर साधना का क्षेत्र है । “भविष्य का रंगमंच कविता रंगमंच होगा” क्योंकि कविता में देखने अनंत दृष्टी है । यह बात आज थिएटर रस्वादन कोर्स के दौरान रानवि के पूर्व निर्देशक व रंगमंच और फिल्मों के सुप्रसिद्ध अभिनेता रामगोपाल बजाज ने पाठ्यक्रम सत्र के दौरान यह बातें बताई ।
उन्होनें कहा हमारे गुरू अलकाजी रहे हैं । अलकाजी साहब कभी आलिया कदान के असिटेन्ट रह चुके थे । आलिया कदान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय आए हुए थे । उन्हें दिल्ली घुमाने का जिम्मा अलकाजी साहब ने मुझे दिया था । हम घूम फिर कर जब लौटे तो एलिया कदान से हमने पूछा “एक्टर को कैसा होना चाहिए ?” उन्होनें मेरी ओर गौर से देखा फिर उन्होनें कहा “एक्टर को बटन वाले चाकू की तरह होना चाहिए ।” लेकिन इस अवस्था को बिना रियाज के प्राप्त नही किया जा सकता । बटन चाकू कैसे खुलता है खटाक ! ऐसे ही एक्टर को खुलना चाहिए । यानी अपने चरित्र में खटाक से घुसना आना चाहिए ।
इसे समझने की कोशिश करें जब एक्टिंग करें तो सिर्फ़ अपने चरित्र पर ही नजर रखें दिमाग को इधर उधर भटकने न दें ।
चरित्र को देखने का अभ्यास करें यानी अपने दृष्टि क्षेत्र का विस्तार करें । यही अभिनेता की दृष्टि है ।
थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स का मतलब है- जीवन और जगत को देखना, विचरना और उसे टुकड़े टुकड़े में देखना, तो आप देखना शुरू करें । देखना ही अभिनेता का अनुभव है । आप एक जीवन में कितने चरित्र निभाते हैं कभी पुत्र, कभी भाई, कभी पति, कभी पिता, कभी दोस्त ।
एकत्र सर्वत्र जो होगा वह सब जगह होगा ।
इसके लिए तैयारी शारीरिक और मानसिक रूप से करनी पड़ेगी ।
जीव की आंख में देखने और उसकी आँखों के भाव को याद रखने का अभ्यास करें ।
भगवान से ज्यादा अकेला और मजबूर कोई है क्या ? जो सर्वशक्तिमान होते हुए भी मजबूर है ।
प्रकृति से जुड़े उसमें भाव तलाशें
जुड़ाव की क्षमता बढ़ाएं । स्थूल से सूक्ष्म से जुड़ने की कोशिश करें ।
आधुनिक सभ्यता का जगत है यह आप मिनारें देखते हैं बड़ी बड़ी बिल्डिंगें देखते है देखने को समझने के लिए मुक्तिबोध की कविता अंधेरे में पढ़ें । अब चांद का मुंह टेढ़ा यह कवि ने कैसे देख लिया कि चाँद का मुँह टेढ़ा है ! उन्होंनें कहा “भविष्य का रंगमंच कविता रंगमंच होगा ।” क्योंकि कविता में देखने की अनंत दृष्टी है । ” फिर उन्होने अंधेरे में कविता सुनाकर कविता के शिल्प और बिम्ब को समझाया और कवि की अपार कल्पना से साक्षात्कार करवाते हुए उन्होंने कहा अपनी स्मृति कल्पना और इच्छा को बढ़ाएं क्योंकि अभिनेता अतिजीवी होता है । एक जिन्दगी में कई जिन्दगियाँ वह जीता है ।
ये सब साधना से संभव होगा ।
उन्होंने कहा जीव का विकास हुए कितने वर्ष हो गए, हर जीव से एक दूसरे से संबंध रहा है । तो अभिनेता का जुड़ाव भी उन सबसे होना चाहिए ।
दशावतार कि कितनी अवस्थाएं हैं ? यदि हम इसे डाराविन से मिला दें तो देखिए मत्स्य भाव से कछुआ के भाव से उसकी काया उसकी गति को अनुभव करें ।
शरीर भेद, काया भेद की गति को समझने का प्रयास करें साऊंड का एसोसिएशन जीव से है । उस साऊंड को पहचाने, उनकी गतियों को देखें । जीव की अलग अलग अवस्था को नही देखोगे, उसे एनालाइज नही करोगे, अपने उपर लागू नही करोगे तो अभिनय कैसे करोगे ?
यह अभिनय का शब्दकोष देखने की तरह है । जीव की अवस्था उसका भाव उसका साऊंड यह सब अभिनय का शब्दाकोष है ।
यह सब विभिन्न संदर्भों में अभिनेता के लिए सहायक होते हैं ।
मनुष्य में पृथ्वी के प्रत्येक जीव की गति दृष्टिगोचर है । चाल में, बोली में, व्यवहार में ये सब जीव की गति मनुष्यों में भी नजर आती है ।
जब आप चल रहे होते हैं तो कई अलग-अलग वेव्स की चाल में चलते हैं । इन विभिन्न गतियों को देखिए और खुद पर उतारते रहिए ।
चाल की तरह आवाजें ध्वनियाँ भी सबकी अलग होती है उनके लहजे को पकड़ने की कोशिश करें अपने पर लागू करें तो आपके अभिनय को विस्तार मिलेगा । उन्होंने कहा “सितारों पे जहाँ और भी हैं, अभी आपके इम्तहाँ और भी है ।”
इमोशनल मेमोरी किसी एक व्यक्ति की नही होती ।
कोई दूसरा हिमालय बनाया जा सकता है क्या ? हाँ, अगर बना भी लिया तो क्या तीर मान लिया ? पर मै उस हिमालय से अलग अपनी दृष्टिकोण के विस्तार से हिमालय बनाऊँ तब वाह है । नकल में वाहवाही नहीं मिलती ।
परघटित स्वानुभूति से अभिनय करें । सारी घटनाएँ आपके एक जीवन में ही कभी नही घटेंगी । आपको दूसरे के जीवन की घटनाओं को अपने जीवन का अनुभव बनाना होगा । उक्त जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ विजुअल आर्ट सोसायटी से योग मिश्र ने बताया राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के “रंगमंच रसास्वादन पाठ्यक्रम के अंतर्गत, छत्तीसगढ़ फिल्म एण्ड विजुअल आर्ट सोसायटी द्वारा संस्कृति विभाग रायपुर के सहयोग से आयोजित प्रथम थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स का गुरूवार को पाँचवाँ दिन था ।