रायपुर । राज्य शासन के सहयोग से छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के रामगढ़ में आयोजित रामगढ़ महोत्सव में लोक संगीत और लोकनृत्य की लगातार धूम मचती रही। दो दिवसीय महोत्सव में लोक नृत्य और क्विज प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई। उल्लेखनीय है कि विद्वानों के अनुसार रामगढ़ की पहाड़ी को महाकवि कालीदास की साहित्य साधना स्थली के रूप में भी जाना जाता है, जहां उन्होंने अपने महाकाव्य ‘मेघदूतम’ की रचना की थी। इस पहाड़ी की दो गुफाओं को विश्व की प्राचीनतम नाट्य शाला के रूप में भी चिन्हांकित किया गया है। हर साल आषाढ महीने के आगमन पर ‘आषाढ़स्य प्रथम दिवसे’ शीर्षक से रामगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
इस महीने की दो और तीन तारीख को मनाए गए रामगढ़ महोत्सव में करमा, गौरा, शैला, पण्डवानी आदि लोक नृत्यों की प्रतियोगिता आयोजित की गई। लोक नृत्य प्रतियोगिता में जापानपारा के महोरी लाल एवं साथियों को प्रथम स्थान, बकोई ग्राम के विश्राम एवं साथियों को दूसरा स्थान, बोलगा ग्राम के जय बरइहां देव स्व सहायता समूह को तीसरा स्थान, उदयपुर के कलम साय एवं साथियों को चौथा स्थान, बेलढाब के आगर साय एवं साथियों को पांचवा स्थान प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त बुले ग्राम के दिनेश, बेलढाब के शोभित पण्डों, मोरनपुर के संतू राम, मृगाडांड के राम साय ने अपनी साथी कलाकारों के साथ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले लोक नृत्यदल को 10 हजार रूपये, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले को 7 हजार रूपये, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले को 5 हजार रूपये तथा अन्य सभी दलों को 3-3 हजार रूपये का सांत्वना पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार वितरण धार्मिक न्यास, धर्मस्व और कृषि मंत्री श् बृजमोहन अग्रवाल तथा गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने किया ।
रामगढ़ में ” आषाढ़ का पहला दिन….”
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