क्यों नहीं बना खोंदरा वन्यप्राणी आवास…दोषी कौन

BHASKAR MISHRA
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kanan p 3बिलासपुर— घोषणा के करीब आठ – दस महीने के बाद भी खोंदरा में वन्यप्राणी रहवास केन्द्र नहीं बना। लगता है योजना धीरे-धीरे ठण्डे बस्ते में चली गयी है। बताया जा रहा है कि सीसीएफ ने कभी योजना को गंभीरता से लिया ही नहीं। जबकि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक मंच से घोषणा की थी कि खोंदरा में वन्यप्राणी रहवास केन्द्र बनाया जाएगा। वनमण्जल बिलासपुर के अधिकारी जल्द से जल्द योजना की रूप रेखा पेश करें। बावजूद इसके अपने आप में मस्त सीसीएफ बी.आनन्द बाबू ने मुख्यमंत्री के एलान को गंभीरता से नहीं लिया। घोषणा के कई महीनों बाद भी आज शासन को टीसी नहीं भेजा है। बताया जा रहा है कि बी.आनन्द बाबू को ना तो वन्यप्राणियों के रहवास की चिन्ता है और ना ही  कामकाज को लेकर दिलचस्पी ही है।

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                          आठ दस महीने पहले लालबहादुर शास्त्री मैदान में आयोजित सामुहिक लोकार्पण और उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्मंत्री डॉ.रमन सिंह ने खोंदरा में वन्यप्राणी रहवास केन्द्र बनाने का एलान किया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि इससे खोन्दरा क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित होगा। वन्यप्राणियों को भी सुरक्षा के साथ बेहतर रहवास की सुविधा होगी। मुख्यमंत्री ने खोंदरा वन्यप्राणी रहवास केन्द्र के लिए पांच करोड़ का एलान भी किया। उन्होने कहा था कि जरूरत पड़ने पर वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए राशि की कमी नहीं आएगी। कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने वनअधिकारियों को प्लान तैयार कर टीसी के साथ भेजने को कहा था। बावजूद इसके आज सीसीएफ ने ना तो प्लान ही तैयार किया और ना ही टीसी भेजा है। जिसके चलते वन्यप्राणी रहवास केन्द्र की योजना खटाई में पडते नजर आ रही है। कुछ वन अधिकारियों की माने तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ सीसीएफ बी.आनन्द बाबू ही जिम्मेदार हैं।

                                                         मालूम हो कि खोंदरा में वन्यप्राणी रहवास के लिए तात्कालीन संभागायुक्त सोनमणि वोरा ने प्रयास किया था। वोरा के ही प्रयास से सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री ने तत्काल पांच करोड़ की लागत से रहवास केन्द्र बनाने का एलान किया। योजना में किसी प्रकार की दिक्कत ना आए इसके लिए सीएम ने अतिरिक्त सहयोग का भी आश्वासन दिया था।

                                     नाम नहीं छापने की शर्त पर एक जंगल अधिकारी ने बताया कि सीसीएफ कोई काम ही नहीं करना चाहते हैं। खोंदरा ही नहीं बल्कि कई योजनाएं हैं जिन्हे अभी तक पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन बी,आनन्द बाबू का इन योजनाओं के प्रति कभी भी गंभीर नहीं देखा गया। उल्टे उन्होने सरकार को तमाम योजनाओं के लिए आवंटित 30 करोड़ रूपए को ही वापस कर दिया है। जिसके चलते बिलासपुर वनमण्डल को काफी नुकसान हुआ है। जंगल के फील्ड कर्मचारी ने बताया कि विकास के नाम पर प्लान तो तैयार करवा लिया जाता है लेकिन किसी भी योजना को अमली जामा पहनाने में बी.आनन्द बाबू फिसड्डी साबित हुए हैं। उन्होने जियोमेट्रिक सेंटर में दिलचस्पी तो दिखाई लेकिन वहां क्या हुआ…किसी से भी छिपी नहीं है। कल तक सीसीएफ कहते थे कि जियोमेट्रिक सेन्टर में बाहर से योग्य लोगों को लाकर वन विकास की दिशा में काम किया जा रहा है। लेकिन फारेस्ट मंत्री के बिलासपुर दौरा के दौरान जियोमेट्रिक सेंटर के तीनो लड़कियों को भगा दिया गया। मंत्री को आनन्द बाबू ने बताया कि यहां लड़कियां कभी थी ही नहीं।

                          कर्मचारी ने बताया कि सीसीएफ कार्यालय में केवल योजनाएं बनती हैं। कामधाम कुछ नहीं होता । मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी आज तक खोंदरा में वन्यप्राणी रहवास केन्द्र के लिए टीसी नहीं भेजा गया है। अमूमन खोंदरा वन्यप्राणी रहवास योजना भी खटाई में है। यदि इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो केवल सीसीएफ दूसरा कोई नहीं।

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