बिलासपुर— निगम सामान्य सभा में इस बार भी मनोनित पार्षदों को प्रश्न पुूछने का अधिकार नहीं होगा। नाराज मनोनित पार्षदों ने निगम आयुक्त और निकाय सचिव को पत्र लिखकर महापौर और सभापति पर विपक्ष के दबाव सांठगांठ का आरोप लगाया है। मनोनित पार्षदों ने पत्र में निकाय सचिव को बताया है कि महापौर और सभापति विपक्ष के चंद नेताओं की उंगली पर नांच रहे हैं। इससे ना केवल एल्डरमैनों के अधिकारों का हनन हो रहा है बल्कि संवैधानिक व्यवस्था को पंगु बनाने की साजिश रची जा रही है।
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मनोनित पार्षद मनीष अग्रवाल ने बताया कि पिछली बार भी एल्डरमैनों के साथ मजाक किया गया था। इस बार भी ऐसा ही कुछ सामान्य सभा में होने वाला है। पिछली बार की तरह इस बार भी एल्डरमैनों से प्रश्न तो लिया गया लेकिन सवालों को प्रश्नकाल में शामिल नहीं करने का फैसला निगम सभापति अशोक विधानी ने लिया है। इससे जाहिर होता है कि सभापति विपक्ष के हाथों के कठपुतली हो चुके हैं। मनीष ने बताया कि पिछली बार सामान्य सभा में चन्द कांग्रेसियों ने नियम का हवाला देकर एल्डरमैनों के प्रश्नों को प्रश्नकाल में नहीं शामिल नहीं करने दिया। जबकि नियम में ऐसा कुछ है ही नहीं कि मनोनित पार्षद जनहित के मुद्दों को प्रश्नकाल में नहीं उठा सकते हैं।
मनीष अग्रवाल ने बताया कि सभापति अशोक विधानी और महापौर किशोर राय नेता प्रतिपक्ष शेख नजरूद्दीन, कांग्रेस पार्षद शैलेन्द्र जायसवाल और चन्द्रप्रदीप वाजपेयी से डरते हैं। दोनों को लगता है कि कांग्रेस के तीनों पार्षद जो कहते हैं वही सही है। महापौर और सभापति ने कभी जानने का प्रयास नहीं किया कि नियम क्या कहता है। जबकि निकाय मंत्री ने कहा है कि प्रश्नकाल में जनहित के मुद्दों को एल्डरमैन भी उठा सकते हैं। बावजूद इसके नजरूद्दीन,शैलेन्द्र,तैय्यब और वाजपेयी के डर से सभापति और महापौर ने इस बार भी मनोनित पार्षदों के साथ भद्दा मजाक किया है। पहले प्रश्न बुलाया गया अब कहा जा रहा है कि प्रश्नों को शामिल नहीं किया जाएगा। मनीष ने बताया कि इन सब गतिविधियों से जाहिर होता है कि महापौर और सभापति कांग्रेस के चन्द नेताओं को संविधान और नियम से ऊपर रखते हैं। सच्चाई तो यह है कि यदि एल्डरमैनों के प्रश्नों को शामिल किया जाता है तो कांग्रेस के वार्डों की पोल खुलने में समय नहीं लगेगा। जो दबाव बनाकर अपनी रोटी सेंक रहे हैं।
राजेन्द्र भण्डारी ने बताया कि यदि मनोनित पार्षदों को प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है तो सरकार ने हमें मनोनित ही क्यों किया। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आखिर वह कारण कौन से हैं जिसके कारण महापौर और सभापति नजरूद्दीन और शैलेन्द्र के सामने नतमस्तक हैं। यह निश्चित रूप से सोचने वाली बात है। 23 तारीख को सामान्य सभा होना है। यदि मनोनित पार्षदों को प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं दिया गया तो हम सभा का ना केवल विरोध करेंगे बल्कि जनहित मुद्दों को सदन में रखने के लिए हर कानूनी पहलुओं का सहारा भी लेंगे।