बदल गया मरवाही के मँच का “हीरो”…

Chief Editor
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fixed_sunday(रुद्र अवस्थी)“मँच पर मरवाही के पूर्व और तानाखार के मौजूदा विधायक रामदयाल उइके भी हैं।अकलतरा विधायक चुन्नीलाल साहू भी हैं।मस्तूरी एमएलए दिलीप लहरिया भी हैं और पूर्व विधायक शिव डहरिया भी मौजूद हैं। मँच का संचालन यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तम वासुदेव कर रहे हैं।”यह कहानी अगर कोई छः महीने पहले सुनाता तो सुनने वाला  कह सकता था कि यह मरवाही में मरवाही के बेताज बादशाह अजीत जोगी की रैली का किस्सा है और इसमें आगे मंच पर बैठे अजीत जोगी का नाम भी आएगा। लेकिन ऐसा नहीं है।पेण्ड्रा ब्लॉक में मरवाही विधानसभा इलाके के गाँव मांझेपारा-गिरारी में प्राइमरी स्कूल के सामने हुए इस जलसे में रामदयाल उइके से लेकर शिव डहरिया तक सब नजर आए।लेकिन मंच पर अजीत जोगी मौजूद नहीं थे। बल्कि बतौर खास मेहमान – सूबे में कांग्रेस पार्टी के मुखिया भूपेश बघेल नजर आ रहे थे।इस सीन के गवाह के रूप में मौजूद कोई भी सियासी पंडित यह महसूस कर सकता है कि  मरवाही में कांग्रेस के मंच का  “हीरो” अब बदल गया है और मरवाही के इस मंच पर दिए गए भाषणों को सुनकर यह सवाल भी मन को कुरेदता है कि–क्या अपनी नई पार्टी के जरिए छत्तीसगढ़ में नया इतिहास रचने की तैयारी कर रहे अजीत जोगी ने विधायक–पूर्व विधायक के रूप में अपने ऐसे साथियों को खो दिया है, जिन्हे वे अपनी रैलियों–सभाओँ में अपने “रत्न” के रूप में पेश करते रहे हैं ?

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                                      IMG-20161207-WA0120IMG-20161209-WA0022यह सब देखने को मिला मरवाही इलाके में- कांग्रेस की  किसान अधिकार न्याय पदयात्रा के दौरान।जिला कांग्रेस कमेटी ( देहात) के अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला पूरे जिले में यह आयोजन करते रहे हैं औऱ कर रहे हैं।जिसमें आमतौर पर धान खरीदी-धान बोनस जैसे किसानों के मुद्दों को लेकर बीजेपी को घेरते हुए कांग्रेसी अपनी बात रखते हैं। आजकल नोटबंदी की भी बातें हो जाती हैं।मस्तूरी, बिल्हा , तखतपुर  जैसे इलाकों में कांग्रेस की इस पदयात्रा को अपोजीशन पार्टी की एक कवायद के रूप में देखा जाता रहा है। लेकिन जब यह पदयात्रा अजीत जोगी के पर्याय समझे जाने वाले मरवाही इलाके में हो तब तो इसे देखने के लिए चश्मा बदलना पड़ता है।और नजरिए के साथ यह सवाल भी जुड़ जाता हैं कि कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना चुके अजीत जोगी के इलाके में कांग्रेस की इस कवायद के क्या मायने हैं…क्या असर है। वगैरह….वगैरह…

                                                                                यह सभी को मालूम है कि प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी  ने करीब पांच-छः महीने पहले कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाई थी। उसके बाद मरवाही में अपने बड़े नेताओँ की मौजूदगी में कांग्रेस ने अपनी ताकत की नुमाइश की थी। तब से ताकत की नुमाइश का यह सिलसिला लगातार चल रहा है। प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओँ के इलाके को अपनी पार्टी के गुलाबी रंग में रंगने की कोशिश में अजीत जोगी हर मौके का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। इस होड़ में कांग्रेसी भी कोई मौका हाथ से निकलने नहीं देना चाह रहे हैं। इसी कोशिश में जोगी के माँद ( मरवाही ) में घुसकर ललकारने का मौका किसान अधिकार न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस के हाथ में आया। कांग्रेसियों ने  शतरंज की इस  विसात पर “बादशाह ’ को उनके ही  “प्यादों ”  से घेरते हुए “शह और मात ” के खेल को दिलचस्प मुकाम पर पहुंचा दिया ।

                                         IMG-20161208-WA0193अमरकंटक की वादियों से लगे मरवाही-पेण्ड्रा इलाके में सिहरन भरी ठंडी बयार के बीच ढलती शाम में जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल माँझेपारा-गिरारी गाँव पहुंचे तो कुछ ऐसी ही सियासी गर्माहट का अहसास हुआ। किसान अधिकार न्याय यात्रा के इस पड़ाव पर गांव के मैदान में एक छोटी सी सभा हुआ। लेकिन इस छोटी सी सभा में बातें बड़ी-बड़ी हुई। बातें इतनी बड़ी थी कि कांग्रेस औऱ अजीत जोगी के आने वाले कल की भी झलक इन बातों में देखी जा सकती थी। धीरे-धीरे ठिठुरन की तरफ बढ़ रही शाम के समय उस जलसे में मौजूद गाँव- देहात के लोगों ने इसे चाहे जिस रूप में लिया हो। लेकिन मरवाही इलाके की उस जमीन पर राजनीतिक पर्यवेक्षकों के लिए “पॉलिटिकल मैसेज” साफ निकलकर आया कि “जोगी के घर मरवाही में जोगी को जोगी के अँदाज में जवाब” देने में कांग्रेस कामयाब रही।

                                                                           IMG-20161208-WA0000अजीत जोगी के सियासत की स्टाइल में यह भी शामिल रहा है कि मे वर्तमान- पूर्व विधायक, सांसद या पंचायत पदाधिकारियों को अपने मंच पर लाकर अपनी ताकत दिखाते रहे हैं। कांग्रेस ने जोगी के पुराने साथियों को भूपेश के मंच पर लाकर सियासत की इसी स्टाइल में जवाब देने की कोशिश की है।जिस नौजवान नेता उत्तम वासुदेव ने जोगी खेमे में रहकर प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष की कमांन संभाली,उन्ही के हाथों में मंच संचालन के लिए माइक सौंप दिया गया।गांव—गांव में अपने खास अंदाज में छत्तीसगढ़ी लोक गीत की स्वर लहरियां बिखेरते जो दिलीप लहरिया मस्तूरी से जोगी कोटे से टिकट लाकर  कांग्रेस के विधायक बने–वे मंच से जोगी का नाम लिए बिना बोल रहे थे –“चुनाव में और भी लोग आएँगे, उन्हे वोट नहीं देना है-पँजा छाप पहले भी था-और अब भी पंजा में वोट देना है।”अजीत जोगी के साथ रहते हुए अकलतरा से एमएलए चुनकर आए चुन्नीलाल साहू के तेवर भी कुछ ऐसे ही थे। उन्होने किसानों के मामले में प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार के रवैये को भी आड़े हाथों लिया और कांग्रेस पार्टी के प्रति पूरी वफादारी दिखाई।

                                                                      अविभाजित मध्यप्रदेश के समय और बाद में छत्तीसगढ़ की राजनीति में हर समय अजीत जोगी के साथ रहे पूर्व विधायक डा. शिव डहरिया ने भी खुलकर बात रखी। उनका कहना था कि अजीत जोगी को कांग्रेस नें दो बार राज्यसभा सदस्य, दो बार लोकसभा उम्मीदवार ,राष्ट्रीय प्रवक्ता,मुख्ययमंत्री पद और उनके परिवारजन को लोकसभा-विधानसभा का उम्मीदवार बनाया।कांग्रेस ने उन्हे क्या नहीं दिया। फिर भी कांग्रेस को धोखा देकर नई पार्टी बना रहे हैं।अब इंसाफ मरवाही के लोगों को करना है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी को विधायक बनाने के लिए अपनी मरवाही सीट छोड़ने वाले रामदयाल उइके भी कम नहीं बोले। पिछले कई चुनावों से तानाखार से विधायक चुने जा रहे उइके ने सबके सामने कहा कि “मैने मरवाही की तरक्की के लिए सीट छोड़ी थी। और अजीत जोगी को पूरा सम्मान दिया । लेकिन उन्होने क्या किया-क्या दिया । ” उइके ने यह भी कहा “हमने जोगी जी से कांग्रेस नहीं छोड़ने की गुजारिश भी की थी। मगर वे नहीं माने।”भूपेश बघेल की तुलना शेर से करते हुए रामदयाल उइके ने कहा कि “ अब मरवाही नें एक नहीं – हजार जोगी पैदा कर देंगे। “ उन्होने मंच से यह बात भी कह डाली कि कांग्रेस को जगह-जगह हराने वाला खुद कांग्रेस से अलग हो गया – हमने नहीं निकाला।उइके ने मरवाही वालों से अब नया  “ कमिया ” रखने की अपील भी कर ली।

                                                                     किसान अधिकार न्याय पदयात्रा के बहाने अलग-अलग कई दिन के कार्यक्रम में  डॉ. चरण दास महंत, रविन्द्र चौबे, भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव की हिस्सेदारी से भी यह मैसेज गया है कि मरवाही में अजीत जोगी का  “हौव्वा” खतम करने सभी बड़े नेता एकजुट हैं। मरवाही में कांग्रेस के मंच से हीरो का चेहरा बदलने कांग्रेस  की इस कवायद में अजीत जोगी के पुराने साथी भी साझीदार बन गए हैं। जहाँ एक तरफ दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है कि चुनाव आते – आते कौन से चेहरे  कांग्रेस छोड़कर जोगी का दामन थाम सकते हैं। ऐसे में क्या मरवाही में हुए इस खेल को  कांग्रेस की जोड़ में अपनी तोड़ लगाने में जुटे गुलाबी झंडे के लिए एक चुनौती मानना चाहिए?इस  सवाल का जवाब आने वाला वक्त ही दे सकता है।

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