किसानों ने की फसल बीमा की मांग

BHASKAR MISHRA
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IMG_20161213_181804_049बिलासपुर—रतनपुर के किसानों आज कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर फसल बीमा की मांग की है। किसानों ने बताया कि पानी नहीं मिलने से फसल खराब हो गयी है। उनके सामने जीने मरने की नौबत आ गयी है। समितियों को लोन भी पटाना है।

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                       रतनपुर के किसानों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर फसल खराब होने के बाद फसल बीमा की गुहार लगाई है। किसानों ने बताया कि रतनपुर क्षेत्र में बारिश कम होने से क्षेत्र के कई गावों की फसल चौपट हो गयी है। फसल लगाने के लिए उन लोगों ने समितियों से लोन लिया था। लोन के समय सभी किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा का प्रीमियम लिया था। उसका उन्हें फायाद मिलना चाहिए। अन्यथा उनके सामने आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। किसानों ने बताया कि समिति के कर्मचारी कम्प्यूटर में जानकारी नहीं होने का हवाला देकर उन्हें लौटा रहे हैं।

                         जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला और आशीष सिंह ठाकुर भी किसानों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंंचे।  कांग्रेस नेताओं ने बताया किा रतनपुर में ही करीब 17 हेक्टेयर अधिक क्षेत्र  में धान की फसल ली जाती है। मछोले और कमजोर किसानों की फसल पानी नहीं मिलने से पूरी तरह से खराब हो चुकी है। जिनके पास सिंचाई की सुविधा थी उनकी फसल ठीक हुई है

                 कांग्रेस नेताओं ने बताया कि रतनपुर में खूंटाघाट और चांपी जलाशय होने के बाद भी फसल को सही समय पर पानी नही मिला। किसानों ने बताया कि रतनपुर क्षेत्र को खूटांघाट से कम पानी मिलने की भी शिकायत की है। पानी कम बरसने से चांपी जलाशय भी नही भरा।

                                       मालूम होकि करीब एक महीने पहले कांग्रेस नेता अजय सिंंह की अगुवाई में किसानों ने फसल केे लिए कलेक्टर से पानी की मांग की थी। जिला प्रशासन ने पानी छोड़ा भी था लेकिन फसल के लिए नाकाफी था। चांपी जलाशय से ही रतनपुर क्षेत्र के फसलों को पानी दिया जाता है।

           जानकारी के अनुसार चांपी और खूंटाघाट जलाशयों के अलावा क्षेत्र में सबसे ज्यादा एनीकट बेलतरा क्षेत्र में है।  लेकिन इनमें भी पानी नही के बराबर है।
किसानों से मिलने के बाद एडीएम के.डी. कुंजाम ने बताया कि अधिकारियों को निरीक्षण के लिए भेजा जाएगा। रिपोर्ट आने के बाद जरूरी कदम भी उठाया जाएगा।

                    इस दौरान किसानों ने एडीएम से निवेदन किया कि प्रभावित कृषकों की उपस्थिति में ही निरीक्षण किया जाए।

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