सत्यप्रकाश पाण्डेय।सुनिए प्रभु,आपकी रेल में कुछ भी ठीक नही चल रहा । खासकर छत्तीसगढ़ में । यहां आपके यात्री कभी टीटीई तो कभी पेंट्रीकार वालो की लूट का शिकार बन रहे हैं । हद तो ये है प्रभु सफाई का भी मालिक भगवान् नही है । ट्रेन में पानी भी ऐसा पिला रहे हैं प्रभु जिसमें ना पैकिंग की तारीख है, न बिक्री का मूल्य अंकित है । बिना बैच नंबर का बोतल बंद पानी कहीं आपके यात्रियों के प्राण ना हर ले । आपकी ट्रेन में रोज का मुसाफिर हूँ, परेशानी ये भी है कि पेशे से पत्रकार हूँ और शौकिया फोटोग्राफर । ऐसे में रोज की गड़बड़ी देखने की आदत से जब ऊब गया और प्यास से सूखते गले को गीला करने एक पानी का बोतल कल बिलासपुर लौटते वक्त जनशताब्दी एक्सप्रेस में खरीदी । हाथ आई बोतल का ब्रांड और उसकी पैकिंग को देख मेरी त्यौरियां चढ़ गई । सच कहूँ प्रभु ‘पम्पप’ नाम का पानी बोतल कल पहली बार खरीदा । सूखते गले को राहत देकर उसकी पैकिंग पर नज़रे दौड़ाई । सब कुछ गोलमाल था ।
पेंट्रीकार के मुलाजिमों से ली गई बोतल की रसीद मैंने मांगी तो थोड़ी आनाकानी हुई । फिर रसीद पर बेचे जा रहे पानी बोतल को दूसरे ब्रांड का लिखकर देने की कोशिश । थोड़ा जिद्दी हूँ, मेनेजर ने गलती स्वीकार ली पर मुझे तो उस पानी बोतल के ब्रांड की ही रसीद चाहिए थी जो मेरे हलक से उतर चुका था । उसकी मिन्नतों पर मेरी जिद् भारी थी । मैंने रसीद ली और प्रभु आपके मुलाजिमों (रेलवे के जिम्मेदार अफसरों) से शिकायत भी की ।
सूना है कार्रवाही होगी, मगर कोई देखने वाला क्यों नही प्रभु ? आखिर क्यों यात्रियों को कुछ भी औने पौने दाम में बेचकर ठेकेदार और कुछ रेल अफसर रूपये बटोर रहें है । हमारें प्रधान स्वछता अभियान, भ्रष्टाचार ख़त्म करके कैशलेस भारत निर्माण कर रहे हैं और आपकी ट्रेन का मुसाफिर सिर्फ ठगी, बेईमानी का शिकार है ।
कुछ करो ‘प्रभु’….