नोटबंदीःआलू प्याज बेंचे कि कार्ड घिसें..साहब हमें नगदी चाहिए

BHASKAR MISHRA
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DSCN6362बिलासपुर— नोटबंदी अभियान के बाद बाजार में फुटकर की भारी कमी है। लेकिन धीरे धीरे बाजार में चिल्हर दिखाई देने लगा है। बावजूद इसके सब्जी मण्डी में आज भी छोटे नोटों का टोंटा है। दो हजार के नोट कोई लेने को तैयार नहीं है…जब तक ग्राहकों का बिल लम्बा ना हो।

             
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                                     नोटबंदी अभियान का असर आज भी सब्जी मण्डी पर है। सब्जी व्यवसायी बड़े नोट लेने से बच रहे हैं। मण्डी में आज भी 100 और 50 के नोटों का टोंटा है। दुकानदार के साथ खरीदार भी परेशान है। मेडिकल दुकान और पेट्रोल पंप में पांच सौ से अधिक बिल होने पर ही दो हजार का नोट तो चल रहा है। लेकिन सब्जी बाजार में ऐसा कुछ नहीं है।

                        बृहस्पति बाजार सब्जी विक्रेता संघ के अध्यक्ष ने बताया कि सब्जी पर नोटबंदी का बुरा असर हुआ है। काम धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। शुरू के पन्द्रह दिन के बनिस्पत हालात में अभी कुछ सुधार जरूर हुआ है। लेकिन सब्जी मण्डी को पटरी पर आने में अभी कुछ समय लगेगा।

                         सब्जी संघ अध्यक्ष ने बताया कि नोटबंदी के बाद टनों सब्जियों को फेंका गया है। इसके अलावा हमारे पास कोई चारा भी नहीं था। जाहिर सी बात है कि व्यापारियों को दोहरी मार मिली है। सब्जी कच्चा धंधा है…। इसे रोककर रखना असंभव है। नोटबंदी के बाद भारी मात्रा में पालक, भिण्डी,परवल,गोभी जैसी सब्जियों को या तो बांटना प़ड़ा है या फिर कटरे के ढेर में फेंकना पड़ा है। किसानों को भारी नुकासन हुआ है। सब्जियों के भाव भी गिरे हैं।

                                              सब्जी विक्रेता संघ के अनुसार टमाटर, गोभी, लौकी और पत्ती वाली सब्जियों के दाम जरूर गिरे हैं। लोग खरीदने के लिए आ भी रहे हैं। लेकिन सौ रूपए के सामान पर दो हजार का नोट थमा रहे हैं। जबकि व्यापारियों के पास छोटे नोट नहीं है। जिसके चलते कुछ ग्राहक सब्जी लौटा देते हैं य़ा फिर कम मात्रा में लेते हैं। हां पहचान वाले चेहरों को बाद में रूपए देने का कहा जा रहा है।

                       दुलारिन बाई गांव से सब्जी लाकर बेेचती है। दुलारिन ने बताया कि भाजी कछार से लाती है। एक समय दस रूपए में पांच से सात मूठी भाजी बेचती थी। लेकिन अब दस रूपए में दो गुना से अधिक मात्रा में लोग भाजी खरीद रहे हैं। बावजूद इसके कमाई नहीं हो रही है। मुख्य वजह मण्डी में सौ और पचास का चिल्हर नहीं है। लेकिन बड़े व्यापारियों के पास है। दुलारिन ने बताया कि उसने अभी तक पांच सौ का नया नोट नहीं देखा है। लोग बता रहे हैं कि जल्द ही बैंक से मिलेगा।

                                एक अन्य सब्जी विक्रेता ने बताया कि सब्जी मण्डी में स्वाइप मशीन लगाने का सवाल ही नहीं उठता है। मशीन पर हमें विश्वास भी नहीं है। मशीन यदि हैंग हो गयी तो या तो हमें नुकसान होगा या ग्राहक का। हमारे पास इतना समय भी नहीं है कि कार्ड रगड़ते रहें। ग्राहक भी जल्दबाजी में रहता है।

                        एक युवा सब्जी विक्रेता ने बताया कि आनलाइन पेमेंट कपड़े और किराना दुकान में ही संभव है। अब तो पेट्रोल पंप में भी घिसने वाली मशीन लग गयी है। लेकिन स्वाइप मशीन सब्जी मण्डी में नहीं चलेगी। आलू प्याज चिल्लाने से हमें फुर्सत नहीं मिलती ऐसे में हम किसको- किसको नम्बर बताते रहेंगे।पेटीएम का सवाल ही नहीं उठता है। हमें नगद चाहिए…।

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