बिलासपुर—-नाटकीय घटनाक्रम में करीब 18 घंटे बाद दवाई से भरे पिकअप वाहन को पुलिस ने छोड़ दिया। औषधि विभाग ने जांच पड़ताल के बाद पिकअप में भरी दवाइयों को निजी कंपनी का होना बताया। पुलिस को शक था कि दवाईयां सरकारी हैं। जिन्हें ड्रग सप्लायर अवैध रूप से निजी दुकानों में खपाने के लिए कोरबा से बिलासपुर के लाए थे।
आईपीएस शलभ सिन्हां की माने तो सूचना कुछ ऐसी ही थी। लेकिन ड्रग कन्ट्रोल विभाग के अधिकारियों ने दवाइयों को निजी संस्थान का होना बताया। लिहाजा दवाइयों से भरे पिकअप को छोड़ दिया गया ।
जिला प्रशासन से पुलिस को जानकारी मिली कि कोरबा से दोपहर करीब दो से तीन बजे के बीच दवाइयों से भरा पिकअप वाहन बिलासपुर आ रहा है। पिकअप में सरकारी दवाइयां हैं। जिन्हें बिलासपुर के मेडिकल दुकानों में अवैध रूप से खपाया जाएगा। सूचना मिलते ही पुलिस ने पिकअप का इंतजार शुरू कर दिया। मुखबिर से मिली जानकारी के अनुसार गाड़ी का नम्बर सीजी 12 एक्यू-0492 है।
तत्परता दिखाते हुए कोनी और सेन्दरी के बीच खुफिया तौर पर पुलिस के जवानों को तैनात कर दिया। करीब चार घंटे बाद वाहन को कोरबा से आते हुए देखा गया। पुलिस ने पीछा करते हुए वाहन को तेलीपारा स्थित मेडिकल काम्पलेक्स के सामने पकड़ा। ड्रग कंट्रोलर को भी मामले की जानकारी दी गयी। करीब साढ़े आठ से नौ बजे के बीच दवाइयों से भरे वाहन को कोतवाली थाना लाया गया। पिकअप के पकड़े जाने की सूचना पर कई दवा व्यापारी रात को ही कोतलवाली थाना पहुंच गए। लेकिन नगर पुलिस कप्तान शलभ ने जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई का निर्देश दिया।
रविवार को पिकअप को छुड़ाने सुबह से ही दवा व्यवसायियो की भीड़ कोतवाली थाने पहुंच गयी। गाड़ी को छुड़ाने हाथ पांव मारना शुरू कर दिया। करीब दो बजे ड्रग इंस्पेक्टर ने आईपीएस शलभ सिन्हा को पिकअप में भरी सभी दवाइयों को व्यवसायियों का होना बताया। जरूरी कार्रवाई के बाद पिकअप को छोड़ दिया गया।
सूचना सरकारी दवाइयों की थी
आईपीएस और नगर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जैसा की हमें जानकारी मिली थी कि पिकअप में सरकारी दवाईयां हैं। इन्हें निजी दुकानों में बेचने की पुख्ता जानकारी थी। लेकिन ड्रग अधिकारियों ने जांच पड़ताल के बाद पिकअप में सरकारी दवाईयां नहीं होना बताया है। सभी दवाइयां निजी मेडिकल दुकानों की हैं। इसलिए पिकअप को जरूरी कार्रवाई के बाद छोड़ दिया गया।
फोन पर ड्रक कंट्रोलर से भी बातचीत हुई हैं। उन्होने बताया कि हम अलग से जांच करेंगे। पत्रकारों के सवाल पर शलभ ने बताया कि सूचना पुख्ता थी कि पिकअप में सरकारी दवाईयां हैं। दवाईयों को बिलासपुर में बेचा जाना है। लेकिन जांच के दौरान ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया।
निजी दुकानों की हैं दवाईयां
ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि जांच में सरकारी दवाईयां नहीं मिली हैं। हमने रिपोर्ट नगर पुलिस अधीक्षक दिखा दिया है। रिपोर्ट ड्रग कंट्रोलर के सामने भी रखा जाएगा। सभी दवाइयां रायपुर के एसबी फार्मा एन्ड सर्जिकल्स के नाम पर हैं।
रातो रात निजी हो गयी सरकारी दवा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन की जानकारी सही थी। पिकअप में सरकारी दवाइयां ही थी। पर्याप्त समय मिलने के कारण सभी सरकारी दवाईयां निजी हो गयी। दस्तावेज भी तैयार हो गये। हो सकता है कि पुलिस को इसकी जानकारी ना हो..लेकिन जिला प्रशासन को अच्छी तरह से मालूम था कि दवाईयां सरकारी ही हैं। सरकारी मेडिसिन को बिलासपुर खपाने के लिए ही लाया गया है। कोरबा में भी प्रयास किया गया था। सूत्र की मानें तो पूरे मामले में सात से आठ चिकित्सकों की भी भूमिका है। जो पिछले कई सालों से सरकारी दवाइयों को निजी बनाने का काम करते हैं।
बहरहाल चिकित्सकों का नाम आने से पहले ही पिकअप समेत दवाइयों को ड्रग कंट्रोल को सौंप दिया गया है। व्यापारियों ने भी राहत की सांस ली है। पुलिस का कहना है कि मामले में नजर रहेगी।