भारी अव्यवस्था के बीच शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता शुरू

BHASKAR MISHRA
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IMG20161220150038बिलासपुर— भारी अव्यवस्था के बीच बहतराई स्थित स्टेडियम में 62 वीं राष्ट्रीय शालेय खेलकूद प्रतियोगिता का शुभारम्भ हुआ। अधिकारियों के नाफरमानी के साथ बिलासपुर को राष्ट्रीय प्रतियोगिता की मेजमानी का सम्मान मिला। आयोजकों की व्यवस्था बहुत ही साधारण स्तर की दिखाई दी। एक महीने से कलेक्टर की कवायद के बाद भी जिला प्रशासन के किसी भी महकमे ने निर्देशों को गंभीरता से पालन नहीं लिया। खाना पानी से लेकर मैदान तक जहां भी देखों अव्यवस्था ही अव्यवस्था पहले दिन नजर आयी।

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                                बदहाली के बीच शालेय राष्ट्रीय प्रतियोगिता का शुभारम्भ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने किया। बेहतर व्यवस्था का दावा करने वाली आयोजकों की टीम ने बिलासपुर को शर्मसार किया है। व्यवस्था के नाम पर कलेक्टर के निर्देशों का अधिकारियों ने भद्द पीटा है। किसी भी विभाग ने शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता को गंभीरता से नहीं लिया है। फिर चाहे वन विभाग हो या बिलासपुर नगर निगम,पीडब्लूडी हो या खाद्य विभाग या फिर जेल अधीक्षक या स्वाध्य विभाग किसी ने भी अपने काम को जिम्मेदारी के साथ नहीं लिया है।

                                                                           मालूम हो कि 62 वीं राष्ट्रीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता में देश के18 राज्यों के करीब एक हजार खिलाड़ी शिरकत कर रहे हैं। छात्र और छात्राओं को अलग अलग हास्टल में व्यवस्था के अनुसार शिफ्ट किया गया है। खिलाड़ियों का हास्टल व्यवस्था बद से बदतर है। फर्स धूल से अटा पड़ा है। छात्र और छात्राओं की पहली रात मच्छर मारने में गुजर गयी। खिलाड़ियों के साथ राज्यों से आए ट्रेनर और मैनेजरों ने प्रबंधन पर सवालिया निशान लगाया है।

साफ सफाई के नाम पर मजाक

               IMG20161220145529         तेलगांना,गोवा,महाराष्ट्र,आंध्रप्रदेश,दिल्ली,पंजाब,मध्यप्रदेश,चंडीगढ़ के खिलाडी और कोच ने बताया कि हम लोगों को जमीन पर सोने को दिया गया है। ऐसा सभी जगह होता है। लेकिन यहां तो ऐसा लगा कि फर्स सालों से नहीं धोया गया है। शिकायत के बाद आयोजकों ने फर्स साफ करने की वजाय धूल सने फर्स पर ब्लिचिंग पाउडर का छिड़काव कर दिया। जिसके कारण हास्टल में रहना मुश्किल हो गया है। साफ सफाई नहीं होने से मच्छरों की भरमार है। हास्टल के बाहर गंदगी होने के कारण मच्छरों को मारते हमारी रात गुजरी है।

 कमरे में टायलट का पानी

   IMG20161220145557                         खिलाड़ियों ने बताया कि कमोबेश दोनों हास्टल का टायलट चोक है। टायलट भर गया है। पानी निकलकर कमरों में आ रहा है। शिकायत के दस घंटे बाद भी चोक टॉयलट को ठीक नहीं किया गया। ऐसे में यहां पांच दिन गुजारना नामुमकिन है। डर है कि हम में से कोई बीमार ना पड़ जाए। मध्यप्रदेश और दिल्ली के कोच ने बताया कि इस प्रकार की गंदी व्यवस्था के बीच रहना मुश्किल है। हमारी शिकायतों को कोई नहीं सुन रहा है। आखिर अपनी परेशानियों को किससे बताये कि समस्या दूर हो जाए। किसी ने कमरों में फैली गंदगी को दूर करने के वजाय टायलट और आस पास ब्लीचिंग का छिड़काव कर अपना धर्म पूरा कर दिया है।

अधिकारियों ने की लापरवाही

                        प्रतियोगिता शुरू होने से सप्ताह भर पहले कलेक्टर ने सभी विभागों के बीच कार्य का बंटवारा किया। लेकिन किसी भी विभाग ने कलेक्टर के निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया। ना ही किसी ने प्रतियोगिता को महत्व दिया। निगम और पीडब्लूडी ने अपने कार्यों को फर्जी तरीके से काम कर हाथ झाड़ लिया है। आयोजक मंडल के एक सदस्य ने बताया कि यदि प्रतियोगिता का उद्घाटन मुख्यमंत्री करते तो मैदान भी समतल हो जाता। वन विभाग की टीम यहां बांस बल्लियों का लाट लगा देता। चूंकि कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने नहीं किया है इसलिए कलेक्टर के निर्देश को भी किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। मैदान उबड खाबड़ है। टायलट चोक है। जहां तहां गंदगी का अंबार है। अभी तक ना तो फ्लेग पोल लगाया गया है और ना ही बेरीकेटिंग ही हुई है। पानी का टैंकर कब आएगा या आएगा भी नहीं कहा नही जा सकता है।

IMG20161220151122स्वाथ्य टीम नदारद

                         खेल के दौरान हमेशा दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है। चूंकि स्टेडियम के चारो तरफ गंदगी का अँबार है। जहरीले कीड़े मकोड़े भी हैं। जानकारी के अनुसार स्टेडियम में स्वास्थ्य विभाग ने भी कागज में डाक्टरों की टीम तैनात किया है।आधे दिन के बाद लिंगियाडीह पीएचएसी से डॉ.दुष्यंत सिंह जरूर पहुंचे लेकिन उन्हें टेन्ट लगाने के लिए स्थान नहीं मिला। डॉ.सिंह ने बताया कि हमारे पास और भी काम है इसलिए यहां आने में देरी हुई है। लडकियों के हास्टल में अभी तक अलग से डाक्टर की व्यवस्था नहीं की गयी है। जरूरत पड़ने पर रात्रि में डॉ.मनोज श्याम खेल गांव में रहेंगे।

खिलाड़ी पी रहे हैं गंदा पानी 

           IMG20161220145916     देश के जूनियर खिलाड़ियों को साफ पानी भी नसीब नहीं है। पानी टंकी में काई लगी है। उसी पानी का उपयोग खाने बनाने और पीने में किया जाता है। एक छात्र ने बताया कि पानी में दुर्गन्ध है। यदि ना पिए तो करें क्या। बाहर से बोतल का पानी खरीदकर पी रहे हैं। तेंलगना और कर्नाटक के कोच ने बताया कि गंदा पानी पीने से बीमारी का खतरा है। हमने इसकी शिकायत की है लेकिन समस्या यहां सुनता कौन है।

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