संविधान में महिला और पुरूष को समान नैसर्गिक न्याय..हर्षिता

BHASKAR MISHRA

Mahila_aayogबिलासपुर—महिला आयोग में विशेषज्ञ सदस्यों को प्राथमिकता दी गयी है। महिलाओं की समस्याओं का निदान करना राज्य महिला आयोग की प्राथमिकता है। आयोग महिलाओं की समस्याओं को ना केवल सुनती है बल्कि प्राथमिकता के आधार पर निराकरण भी करती है। सार्वजनिक जीवन में महिलाओं को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आयोग महिलाओं की समस्याओं को लेकर सजग है। संविधान में महिला और पुरूष को बराबरी का दर्जा है। अधिकारों का हनन करने का अधिकार किसी को नहीं है…यह बातें आज राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय पत्रवार्ता के दौरान दी।

                 राज्य महिला आयोग अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय ने कहा कि जो लक्ष्य साल 2016 में था वही लक्ष्य साल 2017 में होगा। महिलाओं की समस्याओं का निराकरण करना, नैसर्गिक न्याय की रक्षा करना महिला आयोग की जिम्मेदारी है। हर्षिता पाण्डेय ने बताया कि बसंत विहार स्थित डीएव्ही स्कूल में महिला शिक्षिका ने प्रबंधन पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। मामले को संज्ञान में लेकर प्राथमिकता के साथ कार्रवाई चल रही है। स्कूल प्रबंधन की बातों को भी सुना जाएगा। शिक्षिका के साथ प्रबंधन को भी आयोग के सामने पेश होना होगा।

                                           राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने बताया कि यौन प्रताड़ना को लेकर बनाए गए विशाखा गाइड लाइन को 2013 एक्ट के रूप में भी जाना जाता है। एक्ट के अनुसार सार्वजनिक जगहों में होने वाले अन्याय के खिलाफ महिला को न्याय दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। एक सवाल के जवाब में हर्षिता पाण्डेय ने इकार करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि महिलाएं किसी को परेशान करने के लिए उत्पीड़न का सहारा लेती है। कभी ऐसा देखने को मिला नहीं। फिर भी बताना चाहूंगी कि आयोग का काम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना ही नहीं बल्कि समुचित न्याय भी करना है। ऐसे में किसी पुरूष को महिला आयोग में जानबूझकर घसीटने का सवाल ही नहीं उठता है। आयोग में केवल महिलाओं की ही नहीं बल्कि पुरूषों के नैसर्गिक अधिकारों को भी ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाता है।

              हर्षिता पाण्डेय ने बताया राज्य महिला आयोग पांच संभागों में नियमित कार्यशाला का आयोजन करता है। कार्यशाला में महिलाओं को अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाती है। अन्याय के खिलाफ कानूनी सुरक्षा के बारे में भी बताया जाता है। महिला आयोग अध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल नवम्बर में महिला आयोग में नए सदस्यों की नियुक्ति की गयी है। विशेषज्ञों को भी स्थान दिया गया है। काम बहुत है..बावजूद इसके हमेशा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किसी के साथ भी अन्याय ना हो…चाहे पुरूष हों या महिला…

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