बिलासपुर।बिलासपुर वन वृत के डीएफओ सात आठ महीने बाद रिटायर्ड हो जाएंगे। इसलिए विकास के काम में हाथ नहीं डालना चाहते हैं। जाहिर सी बात है कि यदि काम करेंगे तो उंंगलियां उठेंगी। उंगलियों से बचने डीएफओ हाइबरनेशन प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। सात आठ महीने किसी प्रकार के विवाद से बचना चाहते हैं। हो सकता है यह सब ठीक है लेकिन वन विभाग में करोड़ों का विकास कार्य डीएफओ के हाइबरनेशन से प्रभावित हो रहा है। अधिकारी हाथ पर हाथ रखे बैठें हैं।
वनवृत बिलासपुर डीएफओ इस समय हाइबरनेशन पर है। हाइबरनेशन का पीरीयड करीब सात या आठ महीने का होगा। मतलब इस दौरान वन विभाग की सारी योजनाएं या बड़े कार्य नहीं होंगे।जानकारी के अनुसार डीएफओ मानना है कि काम होगा तो कीचड़ उछलेगा। बेहतर होगा कि समय काटा जाए। काम आने वाला डीेएफओ करेगा। निवेदन आवेदन और शिकायतों के बाद भी डीएफओ किसी कार्रवाई को लेकर बहुत अधिक गंभीर नहीं है।
जानकारी के अनुसार कोटा डिपो में लकडियों के अवैध कारोबार से जु़ड़े कई वाहनों को वन विभाग ने राजसात किया था। खड़ी गाड़ियों के कई पार्ट चोरी हो रहे हैं। लोगों ने कई बार शिकायत की लेकिन डीएफओं ने मामले में दिलचस्पी नहीं लिया है। जिसके चलते गाड़ियों के पार्ट अब रात्रि के वजाय दिन में चोरी होने लगे हैं। चोरी करने वाले लोग भी अपने हैं। बावजूद इसके डीएफओं ने चोरी को गंभीरता से नहीं लिया है। लोगों ने बताया कि मामले में कार्रवाई कर डीएफओ कर्मचारियों के नजर में विवादित नहीं होना चाहते हैं।
विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि डीएफओ साहब दरअसल समय काट रहे हैं। कुछ महीने बाद ही रिटायर्ड होने वाले हैं। सवालों से बचने पत्रकारों से भी किनारा करते हैं। कर्मचारी ने बताया कि आरएमकेके सड़क दुरूस्त करने भूमि संरक्षण के लिए 2 करोड़ विभाग को मिला। लेकिन पूर्ववर्ती डीएफओ की तरह वर्तमान डीएफओं ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया। जबकि सीसीएफ ने इस काम के लिए डीएफओ को विशेष रूप से निदेशित किया है। बावजूद इसके योजना को लेकर डीएफओ किसी भी तरह से गंभीर नहीं है। मजेदार बात है कि रेंजर रतनपुर,रेजर बेलगहना,एसडीओ कोटा ने भी योजना को लेकर अनदेखी कर रहे हैं। डीएफओं ने अधिकारियों पर दबाव भी डालना मुनासिब नहीं समझा है। यही कारण है कि आज तक टीएस भी लंबित है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर फारेस्ट के एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि डीएफओ की निष्क्रिता से पौधरोपण का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जिला पंचायत सीईओ के आदेश के बाद भी आज तक मनरेगा योजना से मिलने वाले रोड प्लांटेशन के कार्य नहीं किये गए। जिला पंचायत ने प्लाटेंशन, सुरक्षा एवं रखरखाव की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर कार्ययोजना में परिवर्तन किया है। योजना में खर्च बढ़ेगा। इस बारे में डीएफओ ने सीईओ से मिलकर बताने का प्रयास भी नहीं किया कि परिवर्तित योजना से कास्ट बढ़ेंगी।
प्लांटेशन में जिला पंचायत सीईओ चाहते हैं कि प्लांटेशन के बाद पौधों का रखरखाव वुड ट्री गार्ड से किया जाए। ऐसा करने से बजट बढ़ेगा। मामले में सीईओ के आदेश के बाद भी डीएफओ बिलासपुर ने ना तो कास्ट के बारे में बताया और न ही मुलाकात ही की। मुलाकत करने के बाद शायद रास्ता निकल जाता। ऐसा नहीं करने से योजना अधर में है ही साथ में राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। ऐसा सिर्फ इसलिए कि डीएफओ कुछ महीने बाद रिटायर्ड हो रहे हैं।