मदिरा अम्मा की जय हो…

Shri Mi

vyomkeshसमाज जीवन के आसपास की हलचल पर समय समय कलाम चलाने वाले पत्रकार व्योमकेश त्रिवेदी ने शराब बिक्री पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से उठाए गए कदम को लेकर सोश्ल मीडिया मे अच्छा लिखा है।व्यंग-कटाक्ष के लहजे मे उनका लिखा साभार यहाँ प्रस्तुत कर रहे है।व्योमकेश त्रिवेदी का लिखा-
छत्तीसगढ़ में शराब को जिस तरह प्रमुखता दी जा रही है,असंतुष्ट, विपक्षी और शराब विरोधी लोग उसकी जबरिया आलोचना कर रहे हैं, वे भविष्य को नहीं देख पा रहे हैं।वे नहीं समझ पा रहे हैं कि आधुनिक युग में शराब ही आत्मिक और भौतिक प्रगति का एकमात्र जरिया है, विकास सिर्फ शराब से ही हो सकता है, बाकी सब तो विनाश के साधन हैं।हमारे प्यारे प्रदेश को जितना अधिक नुक्सान आय के परंपरागत साधनों, कृषि आदि से हुआ है,उतना किसी दूसरी बात से नहीं हुआ। हमारे यहां बहुत अधिक धान की उपज होती है, इसलिए हमें पिछड़ा कहा जाता है, अब हम जब तक इस पहचान को बदलेंगे नहीं, तब तक हमें कोई विकसित नहीं कहेगा, हमारी आय भी नहीं बढ़ेगी।

                                                    इसलिए हम तो शराब के सहारे आत्मिक व भौतिक प्रगति करने, आय बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु विरोधी इतनी सी बात नहीं समझ पा रहे हैं, वे नहीं समझ पा रहे हैं कि ये सारी कवायद छत्तीसगढ़ की पुरानी धान के कटोरे वाली पहचान को बदलने, शराब बेचने वालों के अलावा शराबी भाइयों की सुख सुविधाओं में वृद्धि करने, शराब को सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने, प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों और विदेशों तक यहां की शराब पहुंचाकर अपनी कमाई बढ़ाने के लिए की जा रही है।

                                         देखिए, शराब के सहारे आय बढ़ाने के लिए हम क्या क्या करने जा रहे हैं, शराब को प्रचारित व प्रतिष्ठित करने के लिए वर्तमान में इस प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों तक वैध के साथ अवैध रूप से शराब बेचने की व्यवस्था की जा चुकी है, लेकिन चूँकि लोगों को शराब खरीदने दुकान तक जाना पड़ता है, इससे शराबियों का बहुमूल्य समय नष्ट होता है…

                                             इसे देखते हुए भविष्य में जिस तरह हर चौक चौराहे में पीने के पानी के लिए सार्वजनिक नल लगे हैं, उसी तरह नलों के आसपास दारू के स्टाल खोल दिए जाएंगे, उन स्टालों में आय वर्ग के हिसाब से दारू कार्ड के माध्यम से दारू दी जाएगी।

                                         वर्तमान में शराब बेचने वालों की सुरक्षा व्यवस्था बहुत पुख्ता की जा चुकी है, वे क़ानून से भी ऊपर उठाएं जा चुके हैं, लेकिन शराबी भाई असुरक्षित हैं, वे शराब पीने के बाद नालियों में लोटते हैं, या सड़कों पर झूमते हैं, इससे दुर्घटनाएं होती हैं, अतः उनकी सुविधा के लिए नालियों और सड़कों का चौड़ीकरण कराया जाएगा, ट्रैफिक व्यवस्था बदल दी जाएगी, उनकी सुरक्षा के लिए अलग से क़ानून बनाए जाएंगे।

                                      अब तक हमारी पुलिस शराब बेचने वालों की सुरक्षा करती रही है, भविष्य में यह शराब पीने वालों की भी पूरी सुरक्षा करेगी। शराबी घूम घूमकर आतंक मचाएंगे, पुलिस उनकी रक्षा करते हुए उनकी पिटाई करने वालों को पीटेगी, पुलिस से पिटे गैर शराबी भयभीत होकर शराब पीने लगेंगे, इससे शराब का प्रचार होगा और आय बढ़ेगी।

                                     अरबों रुपए के विकास कार्य होने के बावजूद कई इलाकों तक मदिरा नहीं पहुँच पा रही है, अतः भविष्य में पहुंचविहीन क्षेत्रों तक मदिरा पहुंचाने के लिए सड़कों का जाल बिछाया जाएगा, पुल पुलिए बनाए जाएंगे। तात्पर्य यह कि भविष्य में समस्त विकास कार्य शराब की बिक्री और शराबियों की सुविधा के लिए किए जाएंगे।

                                              इन सारी कवायदों के बाद शास्त्र आदि के माध्यम से मदिरा को दिव्य औषधि घोषित करते हुए सामाजिक मान्यता, प्रतिष्ठा दिलाई जाएगी। प्रदेश स्तर पर दारू पियो प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, घरफूंक शराबी पुरस्कृत व प्रोत्साहित किए जाएंगे । जब दारू को सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त हो जाएगी, वह पदोन्नत होकर चाय का दर्जा प्राप्त कर लेगी, तो शराब की घर पहुँच सेवा शुरू हो जाएगी, ऑर्डर देते ही घर में माल हाजिर हो जाएगा…

                                               यह सब करने के बाद ” कच्ची ” के एक्सपोर्ट की व्यवस्था भी की जाएगी, आकर्षक पैकेजिंग कर उसे पडोसी राज्यों, देशों से लेकर दूरदराज के देशों तक भेजा जाएगा।

                                           और तब ” राइस बाउल ” या धान के कटोरे के रूप में जाना जाने वाला यह प्रदेश ” लीकर लेक ” शराब की झील के नाम से जाना जाने लगेगा।

                                             वर्तमान में दूसरे प्रदेशों के अलावा पडोसी देशों , यहां तक कि यूरोपीय देशों के लोग भी यहां के चावल का स्वाद चखते हैं, भविष्य में वे यहां की खालिस महुआ से बनी ” कच्ची ” का सेवन कर मदमस्त होने लगेंगे, इससे राज्य की आय कई गुना बढ़ जाएगी, पुरानी पहचान भी मिट जाएगी।जनता मस्त और प्रदेश मालामाल हो जाएगा।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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