मंत्री,सचिव और एमडी के खिलाफ जाएंगे न्यायालय

BHASKAR MISHRA
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pc_jogi_febबिलासपुर—ढाई साल पहले देश को दहला देने वाले नसबंदी कांड में उच्च न्यायालय ने डॉ आर के गुप्ता को दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट के निर्णय के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। अमित जोगी ने मरवाही सदन में आयोजित प्रेसवार्ता में उच्च न्यायालय के फैसले को एतिहासिक बताया। मरवाही सदन में आयोजित प्रेसवार्ता में जोगी ने कहा कि मृतकों के परिजनों की उम्मीद जागी है। चैती बाई के बहन के परिवाद को जिस आधार पर निचली अदालत ने अस्वीकार किया था। उन आधारों को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

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                 जोगी ने बताया कि 18 निर्दोष महिलाओं की हत्या के असली दोषी तत्कालीन स्वास्थ मंत्री, स्वास्थ विभाग के सचिव, छत्तीसगढ़ मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन के एमडी, जिला क्रय समिति के सदस्य हैं। दोषियों पर कार्यवाही करने, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) सभी मृतकों के परिजनों के साथ मिलकर उच्च न्यायालय जायेगी।

                  जोगी ने बताया कि 8 नवंबर 2014 को घटना के तत्काल बाद उनके क्षेत्र की मृतिका बहन चैती बाई के पति भाई बुद्ध सिंह और उनके परिजनों ने सीआरपीसी की धारा 200 के तहत न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया । परिवाद में तर्क दिया गया कि चूँकि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (डब्लूएचओ)  और मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ ने नसबंदी शिविरों के लिए निर्धारित मापदंडो का उल्लंघन किया है। 18 निर्दोष जानें गयी और आपराधिक प्रतिनिधित्व जवाबदेही के अंतर्गत दोषियों पर कार्यवाही की जाए। निचली अदालत ने चैती बाई के इस परिवाद को अस्वीकार कर दिया था।

                      अमित जोगी ने बताया कि निचली अदालत ने फैसले में परिवाद अस्वीकार करने का पहला कारण बताया था कि परिवादी चैती बाई और उसके परिजनों ने ऑपरेशन के पूर्व सहमति पत्र दिया था। दूसरा कारण अनावेदकगण ने सिप्रोसिन 500 गोली खिलाकर मृतका की मृत्यु कारित किया…स्पष्ट नहीं है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इन दोनों कारणों को खारिज कर दिया है। चैती बाई राशन कार्ड और स्कूल में सभी जगह अपने हस्ताक्षर करती थी।  ऑपरेशन पूर्व सहमति पत्र पर अंगूठा क्यों लगाएगी जो संदेहास्पद है।

                   जोगी ने कहा कि निचली अदालत ने महत्वपूर्ण बिंदु पर गौर नहीं किया। उच्च न्यायालय ने फैसले में डॉ आर के गुप्ता को दोषमुक्त करते हुए कहा है कि एक सर्जन का दायरा सर्जरी तक सिमित होता है। डॉ आर के गुप्ता ने इसका पालन किया। लेकिन नसबंदी के दौरान दूसरी व्यवस्थाओं का पालन नहीं किया गया जिसके कारण 18 लोगों की जानें गयी।

                 जोगी ने कहा कि राज्य सरकार ने नसबंदी काण्ड का ठीकरा  डॉ आर के गुप्ता पर फोड़ा था…दो दिन पहले उच्च न्यायालय उन्हें दोषमुक्त कर दिया। दवाओं में जहर नहीं था, प्रक्रियाएँ और परिस्थितियां सब अनुकूल थी, किसी की कोई गलती नहीं थी ? तो मैं सरकार से पूछता हूँ कि क्या इसका मतलब ये हुआ कि मरने वाली हमारी 18 बहनों ने आत्महत्या कर ली ?

                जोगी ने कहा कि उन्हें न्यायप्रणाली पर पूरा विशवास है। पीड़ित परिवारों के लिए न्याय मांगने उच्च अदालत जायेंगे। नसबंदी कांड में मरने वाली बहनों की मौत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। न्याय के लिए सड़क से सदन तक की लड़ेंगे।

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