बिलासपुर— नगर निगम के अनुसार ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना कार्य की जिम्मेदारी किसी ब्लैक लिस्टेड कंपनी को नहीं दी गयी है। ना ही किसी प्रकार की अनियमितता हुई है। पिछले दिनों कुछ लोगों ने जनता के बीच भ्रामक जानकारी दी है कि सालिड वेस्ट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी ब्लेक लिस्टेड कंपनी को दी गयी है। यह पूरी तरह असत्य, नगर के विकास में बाधा उत्पन्न करने वालों की मानसिकता को जाहिर करता है।
निगम अधिकारियों ने बताया कि प्रमाण यदि किसी के पास कंपनी से जुड़ी कोई गलत जानकारी हो उसे उचित जगह रखा जाए। प्रमाण के साथ लिखित शिकायत मिलने पर मामले में तत्काल जांच होगी। जांच में कंपनी को लेकर किसी प्रकार की प्रमाणिक जानकारी मिलती है तो समुचित कार्यवाही होगी। निगम प्रशासन ने कहा कि बिना जानकारी बयानबाजी करना। जनता को गलत जानकारी देना निंदनीय है।
निगम प्रशासन ने बताया कि सालिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना के तहत शहर के सभी घरों में दो नग डस्टबीन का वितरण किया जाएगा। ठेकेदार देहली एम.एस.डब्ल्यू के कर्मचारी घर-घर जाकर कचरा इकठ्ठा करेंगें।
निगम प्रशासन ने बताया कि कंपनी से 300 टन कचरा प्रति दिन उठाने की बात हुई थी। लेकिन इतना कचरा बिलासपुर नहीं होता है। इसलिए अब केवल 170 टन कचरा प्रतिदिन उठाया जाएगा। मालूम हो कि बिलासपुर की जनसंख्या करीब साढ़े तीन लाख है। इतनी जनसंख्या में मुश्किल से 150 टन कचरा ही प्रति दिन होगा। ठेकेदार कचरा इकठ्ठा कर शहर से 15 कि.मी. दूर ग्राम कछार में डंप करेगा। कचरे से खाद और आर.डी.एफ. बनाया जाएगा। इसकी जानकारी टेन्डर में दी गयी है।
मालूम हो कि पूर्व परिषद काल में सामान्य सभा पारित किया गया था कि प्रत्येक घर से ‘युजर चार्ज‘ ठेकेदार को दिया जाएगा। नागरिकों और ठेकेदार के बीच संभावित विवाद को देखते हुए वर्तमान परिषद ने ठेकेदार को ‘यूजर चार्ज‘ वसूली से अलग कर दिया है। निगम अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में एक मात्र बिलासपुर में ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन योजना लागू की गई है। एक माह से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का सर्वे कंपनी सर्वे कर रही है। अप्रैल से 20 वार्डो और जुलाई तक नगर के सभी वार्डो के घरों से कचरा उठाने का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा।
निगम प्रशासन के अनुसारअन्य राज्यों के निकायों ने ठेकेदारों को योजना लागत का 70 प्रतिशत राशि दी है। । जबकि बिलासपुर में योजना की पूरी राशि ठेकेदार लगाएगा।