बिलासपुर।सोमवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 11वें सीजे राधाकृष्णन ने पदभार संभाला।और उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों में यह भी है कि देश के लोगों को समय पर गुणात्मक न्याय प्रदान किया जाए। न्यायिक प्रणाली की यह सफलता मानी जाती है। चाहे कोई भी चुनौती हो यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न हो। गुणवत्ता पूर्ण न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया को सामूहिक प्रयासों से बेहतर बनाया जा सकता है।नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस थोट्टाथिल बी. राधाकृष्णन ने सोमवार को हाईकोर्ट में अपने ओवेशन के लिए आयोजित समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि अदालतों के माध्यम से निर्णय लेने में देरी हमेशा बहस का विषय रहा है लेकिन इस वजह से न्याय की गुणवत्ता का त्याग नहीं किया जा सकता है।
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जस्टिस राधाकृष्णन कहा कि हमें न्यायिक कार्यकलापों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के प्रयासों को निरंतर बढ़ाना होगा।बार और बेंच को हमेशा एक सिक्के के दो पहलू कहे जाते हैं लेकिन यह तब तक ठीक तरह से काम नहीं कर सकता जब तक वे एक-दूसरे में अपना चेहरा न देखें।
सीनियर जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने जस्टिस राधाकृष्णन का स्वागत करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में गुणवत्ता पूर्ण न्याय प्रदान करने में हमें सफलता मिलेगी। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की स्थापना के समय से यहां नियुक्त जजों की संख्या कम रही है, जिससे लंबित मामलों की संख्या काफी बढ़ी। बाद में और जजों की नियुक्ति हुई, जिसके बाद काफी प्रयासों के बाद लंबित मुकदमों की संख्या में सुधार लाया गया है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वेब और इंटरनेट के जरिए न्याय प्रक्रिया और सूचनाओं के आदान प्रदान को सरल बनाया गया है। उन्होंने इस संदर्भ में ई कार्नर और ई कमेटी का उल्लेख किया। जस्टिस दिवाकर ने उन्हें यह भी जानकारी दी कि यहां बिजली के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है।
चीफ जस्टिस के कोर्ट हाल में आयोजित ओवेशन कार्यक्रम का संचालन रजिस्ट्रार जनरल अरविन्द चंदेल ने किया। कार्यक्रम में हाईकोर्ट के सभी जज, केरल हाईकोर्ट से आये उनके सहयोगी जज, हाईकोर्ट के रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी तथा परिवार के सदस्य, हाईकोर्ट के अधिवक्ता उपस्थित थे।