सीमांकन नियम की अनदेखी,आदिवासी पर भारी तहसीलदार की लापरवाही

BHASKAR MISHRA
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imagesबिलासपुर(सीजीवाल)।सीमांकन नही करने के लिए बदनाम बिलासपुर तहसील कार्यालय के एक आरआई ने आदिवासी का आशियाना उजाड़ कर अपना दाग साफ कर लिया है। तात्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार के आदेश पर यह कारनामा एक सीनियर आरआई ने किया है। आरआई ने अपनी जमीन का न केवल सीमांकन किया। बल्कि पड़ोसी आदिवासी परिवार की जमीन को भी अपना बना लिया। मामले में अब तहसीलदार कुछ भी कहने से बच रहे हैं। तहसीलदार और आरआई की तानाशाही से परेशान आदिवासी परिवार जमीन के लिए दर दर भटक रहा है।

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                                     बिलासपुर तहसील का एक सीनियर आरआई के बारे में कहावत है कि जितनी साल की उनकी नौकरी हुई…उन्होने नौकरी के साल का आधा सीमांकन भी नहीं किया है। क्योंकि आरआई  को सीमांकन से परहेज है।सीजीवाल,लेकिन…आरआई ने जब सीमांकन किया तो पड़ोसी आदिवासी की जमीन को अपनी चौहद्दी में ले लिया।

                                जानकारी के अनुसार आरआई ने तात्कालीन अतिरिक्त और वर्तमान तहसीलदार के निर्देश पर मंगला स्थित अपनी जमीन का दिसम्बर में सीमांकन किया। सीमांकन के दौरान अपनी जमीन की चौहद्दी आदिवासी के घर तक पहुंचा दिया। तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार के आदेश पर आदिवासी परिवार को दशकों से काबिज जमीन से  बेदखल कर दिया गया। बताया जा रहा है कि आदिवासी सरकारी जमीन पर दशकों से काबिज था। जिस पर आरआई की बहुत दिनों से नजर थी।

                                 नियमानुसार तहसील कार्यालय में जमीन सम्बधित विवादों का निराकरण क्षेत्र का तहसीलदार करता है। संबधित क्षेत्र के तहसीलदार के निर्देश पर आरआई पटवारियों के साथ जमीन का नाप जोख करता है।सीजीवाल,प्रक्रिया के तहत सीनियर आरआई ने मंगला स्थित अपने घर के पास जमीन सीमांकन के लिए आवेदन किया। आवेदन के समय मंगला क्षेत्र तत्कालीन बिलासपुर तहसीलदार का था। लेकिन आरआई ने जमीन सीमांकन का आवेदन  तात्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार के कार्यालय में पेश किया। ऐसा उसने अतिरिक्त तहसीलदार के साथ अच्छी बांडिग के कारण किया।

                            जानते हुए भी कि मंगला क्षेत्र तत्कालीन समय अतिरिक्त तहसीलदार का कार्यक्षेत्र नहीं था..। बावजूद इसके तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार ने नियमों की अनदेखी कर तात्कालीन आरआई को विवादित जमीन का सीमांकन करने को कहा। आरआई ने अपनी जमीन का  सीमाकंन कुछ इस तरह से किया कि पड़ोसी आदिवासी परिवार की जमीन ही गायब हो गयी।

                         मालूम हो कि कोई भी आरआई कार्यक्षेत्र के बाहर बिना विशेष आदेश के सीमांकन नहीं कर सकता है। खासतौर पर अपनी जमीन का सीमांकन तो कर ही नहीं सकता है।सीजीवाल,इतना ही नहीं अतिरिक्त तहसीलदार भी दूसरे क्षेत्र में जमीन का नापजोख  नहीं कर सकता है। बावजूद इसके मंगला स्थित अपनी जमीन का सीमांकन आरआई ने किया। यानि तात्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार और आरआई ने मिलजुलकर अपने मंसूबों को कामयाब बनाया।

                    सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार को अच्छी तरह से मालूम था कि जमीन उसी आरआई की है जिसे उसने सीमांकन का आदेश दिया है। इससे जाहिर होता है कि आदिवासी की जमीन हड़पने आरआई और अतिरिक्त तहसीलदार ने गहरी साजिश की है।सीजीवाल,तहसील कार्यालय के कुछ पटवारियों ने बताया कि तथाकथित आरआई सीमांकन नहीं करने के लिए मशहूर है। बावजूद इसके उन्होने न केवल अपनी जमीन का सीमांकन किया बल्कि चौहद्दी को आदिवासी परिवार के घर तक पहुंचा दिया। मजेदार बात है कि सब कुछ आनन फानन में हुआ। अतिरिक्त तहसीलदार ने भी आनन फानन में आदेश जारी कर आदिवासी परिवार को पुश्तैनी जमीन से बेदखल कर दिया।

                           समझने वाली बात है कि तहसील कार्यालय को आदिवासी हितों की कितनी चिंता है। जानकारों की माने तो यदि आदिवासी परिवार सिस्टम के अनुसार चलता तो कोई भी आरआई अपनी जमीन का सीमांकन नहीं कर सकता है। लेकिन बिलासपुर तहसील में यह कारनामा गुपचुप तरीके से हुआ। यदि ऐसा नहीं होता तो कोई कारण नहीं कि आज आदिवासी परिवार को अपनी जमीन के लिए दर दर भटकने को मजबूर होना पड़ता।सीजीवाल,सीमांंकन के बाद आरआई ने आदिवासी परिवार काबिज बाउंड्री वाल को गिरा दिया। इसके बाद उसकी जमीन का रकबा खुद ब खुद बढ़ गया। फिलहाल सरकारी जमीन से बेदखल आदिवासी को तहसील में कार्यरत अादिवासी अधिकारियों का भी सहयोग नहीं मिल रहा है। बहरहाल मामले को अब दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

                                                                                  तहसील कार्यालय की खबर जारी है…

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