बिलासपुर— निगम सामान्य और बजट सभा में मंगलवार को अभूतपूर्व हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस और भाजपा पार्षदों के बीच जमकर तू-तू मै मैं हुई। कांग्रेस पार्षदों और सभा के बार बार निलंबन के बीच महापौर ने 635 का बजट एक लाइन में पेश कर दिया।
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बजट के बाद महापौर ने बताया कि कांग्रेस पार्टी विकास की सोच से काफी दूर है। सदन में हंगामा खड़ा करना ही उनका काम है। नेता प्रतिपक्ष शेख नजरूद्दीन ने बताया कि निगम सरकार ने लोकतंत्र का गला घोटा है। शराबबंदी समाज से जुड़ा मुद्दा है। कांग्रेस बजट और सामान्य सभा की प्रत्येक गतिविधियों पर चर्चा को तैयार थी। इसके पहले शराबबंदी पर चर्चा करना बहुत जरूरी था। शैलेन्द्र ने बताया कि महापौर ने सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेसियों को सदन से बाहर करवाया। तीन मिनट में 635 करोड़ का बजट पास कर दिया।
सामान्य सभा के बाद नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह से दी…
किशोर राय महापौर
महापौर किशो्र राय ने बताया कि कांग्रेस पार्षदों का व्यवहार संसदीय आचरण के खिलाफ था। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी पार्षदों को सदन के अनुरूप आचरण को बनाकर रखना है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने खुद ही ऐसा आचरण पेश किया जिससे यह साबित नहीं होता कि कांग्रेस पार्षद स्वस्थ्य लोकतंत्र की चाहत रखते हों। महापौर ने बताया कि हंगामा खड़ा करना ही कांग्रेस की आदत है। उनके पास मुद्दे अब रह नहीं गए हैं। सभापति ने सामान्य प्रस्ताव के बाद शराब पर चर्चा करने की इजाजत दी थी लेकिन उन्होने सभापति के आदेशों का उल्लघंन किया। कांग्रेसियों ने सदन में अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया। महापौर ने बताया कि भाजपा की तरफ से किसी ने भी रामा बघेल को जातिगत गाली नहीं दी है। दरअसल मुंह की खाते देख माहौल बनाने के लिए कांग्रेस नेताओं ने सोझी समझी रणनीति के तहत हंगामा मचाया है। बजट पर हम चर्चा करने को तैयार थे…लेकिन कांग्रेसियों ने शराबबंदी का बहाना बनाकर चर्चा से पीछे हट गए।
शराबबंदी पर चर्चा क्यों नहीं— शेख नजरूद्दीन
शराबबंदी पर चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए। यह मुद्दा आम जीवन से जुड़ा हुआ है। निगम क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में शराबबंदी की मांग हो रही है। महापौर से हम जानना चाहते थे कि आखिर निगम क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर शराब दुकान क्यों बनाया जा रहा है। इसके पीछे जिम्मेदार कौन है। शेख नजरूद्दीन ने बताया कि हमने सामान्य सभा का कभी भी विरोध नहीं किया। सभा में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। कांग्रेस पार्टी ने शराब दुकान और बंदी का मुद्दा रखा। लेकिन भाजपा नेताओं में इतनी हिम्मत नहीं है कि इस मुद्दे पर चर्चा कर सकें। हम निगम क्षेत्र में शराबबंदी की मांग करते रहेंगे।
भाजपा नेताओं ने दबाया लोकतंत्र का गला
कांग्रेस पार्षद दल प्रवक्ता शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि सदन में शराब दुकान निर्माण को लेकर हमारा विरोध था। इसकी मुख्य वजह शराब दुकान निर्माण में कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। नियमों को ताक पर रखकर शराब दुकान बनाये जा रहे हैं। सदन में हम अपने अभियान में कामयाब हुए। जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का हमने सफल प्रयास किया। बिलासपुर की जनता शराब विक्री और दुकान निर्माण का विरोध कर रही है। लेकिन निगम ने शराब दुकान बनाने का बिना सोचे समझे बीड़ा उठा लिया है। इसे न तो जनता बर्दास्त करेगी न ही कांग्रेस के पार्षद। सदन में शराबबंदी पोस्टर को लाकर हमने नियमों का कहीं उल्लघंन नहीं किया। ना ही असंसदीय आचरण किया। बल्कि उनके नेता ने ही जातिगत गाली देकर संदन की मर्यादा को कलंकित किया है। शैलेन्द्र ने बताया कि शराबबंदी आज का मुख्य मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी सभी मंच से इस मुद्दे को उठाएगी।
कांग्रेसियों ने किया पंडो की तरह काम
एल्डरमेन मनीष अग्रवाल ने बताया कि जब से सरकार ने कार्पोरेशन का गठन किया है। कांग्रियों में बेचैनी का महौल है। शराब ठेकेदारों के इशारे पर कांग्रेसियों ने सदन में पोस्टर पहनकर प्रवेश किया। दरअसल कांग्रिसियों को जनता की चिंता कम..शराब ठेकेदारों की चिंता ज्यादा है। आज सदन में कांग्रेसियों ने शराब व्यवसायियों के पंडों की तरह काम किया है। कांग्रेसियों के प्रदर्शन को देखकर ऐसा लगा कि शराब ठेकेदारों ने आंदोलन के लिए फंडिग की है। उन्हें यह भी नहीं मालूम कि कांग्रेस सरकार ने ही कारपोरेशन बनाने का फैसला किया था। मनीष अग्रवाल ने बताया कि कांग्रेस बौद्धिक रूप से दिवालिया हो चुकी है। उन्हे समझना होगा कि सरकार ने धीरे धीरेे शराबबंदी की तरफ कदम बढ़ाया है। जब जनता चाहेगी तो एक दिन प्रदेश में शराब की बिक्री पूरी तरह से बंद हो जाएगी। आज कांग्रेस ने सदन की मर्यादा को भंग किया है। जनता सब देख रही है। आश्चर्य होता है कि कांग्रेस के पार्षद बजट जैसे मामले को भी गंभीरता से नहीं लिया। उन्हें हंगामा करने से फुर्सत नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें चिंता सताने लगी है कि यदि सरकार ने यकायक शराबबंदी का फैसला ले लिया तो उनके पास मुद्दे क्या रह जाएंगे।