गैर वाजिब फतवा से गिरी साख–इकबाल रिजवी

BHASKAR MISHRA
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rijaviबिलासपुर—-जोगी कांग्रेस मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी ने नौकरीशुदा मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ देवबंद के फतवा को गैरजरूरी बताया है। रिजवी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं का नौकरी करना नाजायज बताने वाला फतवा बेतुका, गैर वाजिब और अव्यवहारिक है।

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                रिजवी ने कहा कि देवबंद के मौलाना नदीम-उल-वाजदी को सोच समझकर फतवा जारी करना चाहिए था। दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ती मंहगाई के लिए मर्द की आमदनी परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। परिवार की बढ़ती जिम्मेदारियों के लिए पढ़ी लिखी महिलाओं को नौकरी करने आगे आना ही पड़ता है। देवबंद से पहले भी ऐसे गैर वाजिब फतवे जारी होते रहे हैं। जो समाज को केवल दिग्भ्रिमित करने के लिए जारी किया जाता है।

                                 रिजवी ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि ऐसे फतवों से फतवे की साख धूमिल हो चुकी है। मुसलमान फतवों की अनदेखी करने लगा है। मुसलमानों को बेरोजगारी के कारण दो वक्त की रोटी के लाले पड़े गए हैं। जब मर्द की आमदनी से घर चलाना मुश्किल हो जाता है उसी समय महिलायें नौकरी करने सामने आती हें। घर और बच्चों के लालन पालन पर खर्च दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। अगर पत्नी नौकरी करने से पति का बोझ कम होता है तो इसमें किसी को क्या हर्ज है।

           रिजवी के अनुसार समाज में तलाकशुदा, परित्यक्ता और बेवा बेसहारा महिलायें हैं। उनके सामने गुजर बसर करने के लिए नौकरी ही एकमात्र सहारा है। फतवा जारी करने से पहले मौलाना को गंभीरता से मनन करना चाहिए था। आनन फानन में महिलाओं की नौकरी को नाजायज करार देना उचित नहीं है। इस्लाम में ऐसा कहीं नहीं है कि औरतें नौकरी या रोजगार करने बाहर न निकलें। इतना जरूर है कि जहां नौकरी करें वहां के माहौल पर ध्यान रखें और मुनासिब समझे तो हिजाब का प्रयोग करें।

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