धारा 11 से सहकारी केन्द्रीय बैंक को छुटकारा…102 साल बाद रजिस्ट्री

BHASKAR MISHRA
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SAHKARITA_GRADE_VISUAL 003बिलासपुर—दो साल की जद्दोजहद के बाद आखिरकार जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक  नकारात्मक सूची से बाहर आ ही गया। जिला सहकारी बैंक को नाबार्ड ने नाकारात्मक की धारा 11 से बाहर कर दिया है। नाबार्ड के अनुसार बैंक ने इस दौरान बित्तीय पत्रों का सौ प्रतिशत अनुपालन किया है।बैंक की संचालन गतिविधियों में पारदर्शिता पायी गयी है। किसानों के लेन देन, ऋण वसूली और भुगतान का काम ठीक से किया गया है। जिला सहकारी केन्द्रीय मर्यादित बैंक के सीईओ अभिषेक तिवारी के अनुसार इसका श्रेय बैंक कर्मचारियों और प्राधिकृत अधिकारी को जाता है। मालूम हो कि जिला सहकारी बैंक के प्राधिकृत अधिकारी कलेक्टर अन्बलंगन पी. हैं।

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                             नाबार्ड ने जिला सहकारी बैंक के कामकाज को बेहतर बताया है। बेहतर काम काज और पारदर्शिता को देखते हुए नाबार्ड ने जिला सहकारी बैंक को नकारात्मक सूची की धारा 11 से बाहर कर दिया है। 31 मार्च को नाबार्ड ने बैंक के बैलेंस सीट निरीक्षण और सतत मानिटरिंग के बाद जिला सहकारी बैंक को नए सत्र का तोहफा दिया है। मुख्यकार्यपालन अधिकारी अभिषेक तिवारी ने नाबार्ड के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होने बताया कि इस निर्णय से बैंक को किसानों का विश्वास हासिल हुआ है।

              मालूम हो कि करीब डेढ़ साल पहले जिला सहकारी बैंक पूरी तरह से कर्ज में डूब चुका था। वित्तीय हालात चरमरा गयी थी। हजारों किसानों का विश्वास बैंक से उठा चुका था। पूंजी डूबंत में चली गयी थी। प्राधिकृत अधिकारी कलेक्टर अन्बलगन पी. और बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक तिवारी के लगातार प्रयास से बैंक एक बार फिर अपने पैर पर खड़ा हो गया है।

                     जानकारी के अनुसार पिछड़े डेढ़ सालों में जिला सहकारी बैंक 120 करोड़ के नकारात्मक आंकड़ों को पार चुका था। कुल मिलाकर बैंक पूंजी के खिलाफ 120 करोड़ रूपए के घाटे में था। प्राधिकृत अधिकारी कलेक्टर अन्बलगन पी और सीईओ अभिषेक तिवारी के लगातार प्रयास से 190 करोड़ की राजस्व वसूली कर बैंक को नकारात्मक सूची की धारा 11 से बाहर निकाला गया । 31 मार्च 2017 को डेढ़ साल बाद नाबार्ड  बैंक ने एक आदेश जारी कर बताया कि जिला सहकारी बैंक अब सकारात्मक सूची में शामिल हो चुका है। नाबार्ड ने बताया है कि जिला सहकारी बैंक ने सकल पूंजी के खिलाफ सत्तर करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि का अर्जन किया है। बैंक के बैलेंस सीट में सत्तर करोड़ रूपए अतिरिक्त पूंजी दर्ज किया गया है। नाबार्ड ने जिला सहकारी बैंक को लोन के दायित्वों से भी मुक्त कर दिया है। मतलब अब जिला सहकारी बैंक पर किसी प्रकार का अन्य बैंकों का बकाया नहीं है।

tiwari sahkari

कलेक्टर और कर्मचारियों से मिला समर्थन

                 जिल सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक तिवारी ने बताया कि पिछले डेढ़ सालों में प्राधिकृत अधिकारी कलेक्टर अन्बलंगन पी ने बैंक को घाटे से उबारने जमकर मेहनत की है। जिला सहकारी बैंक के कर्मचारियों ने रात दिन एक कर बैंक को घाटे से निकाला है। ऐसा सामुहिक प्रयास से हुआ है। अभिषेक ने बताया कि पिछले डेढ़ सालों में किसानों के विश्वास को जीतने का प्रयास किया गया। भरपूर समर्थन भी मिला।

                                            अभिषेक के अनुसार सामुहिक प्रयास से पिछले डेढ़ सालों में रिकार्ड तोड़ वसूली के साथ जीरो शार्टेज में धान की खरीदी हुई है। लोगों का जब विश्वास डगमगा रहा था उस समय कलेक्टर के प्रयास के समेकित प्रयास से 410 करोड़ के मुकाबले 433 करोड़ की धान खरीदी हुई। देखते ही देखते जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक घाटे के गड्ढे से बाहर आ गया। इसी का परिणाम है कि अब बैंक नाकारात्मक सूची की धारा 11  है।  बैंक का बैलेस सीट उत्साहित करने वाला है। लेकिन बहुत कुछ किया जाना है। तिवारी ने बताया कि इस कुछ कठोर निर्णय भी लेने पड़े। जनहित में ऐसा होता है।

खुद की जमीन पर बैंक की बिल्डिंग

अभिषेक तिवारी ने बताया कि इस साल बैंक को बहुत बड़ी सफलता मिली है। कलेक्टर के प्रयास से सरकारी जमीन पर बना जिला सहकारी बैंक के पास अब अपनी जमीन है। सीईओ ने बताया कि आजादी से पहले साल 1924 में जिला सहकारी बैंक खोला गया। वर्तमान तक जिला सहकारी बैंक सरकारी जमीन पर थी। इस तरफ लोगों ने ध्यान नहीं दिया। जानकर आश्चर्य हुआ कि बैंक की उम्र 102 साल की हो गयी है। लेकिन उसकी बिल्डिंग सरकारी जमीन पर बनी है।

मामले को कलेक्टर ने संज्ञान में लेते हुए सत्र समापन से पहले जिस जगह जिला सहकारी बैंक की बिल्डिंग खड़ी है उस जमीन का रजिस्ट्री कराया गया। अब बैंक खुद के जमीन पर खड़ा है। यह सब किसानों और लोगों के सहयोग से संभव हुआ है।

 

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