काले कारोबार में सबकी हिस्सेदारी,गाँवों में जल संकट

Shri Mi
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madanpur_sp_index♦भीषण जल संकट की त्रासदी का शोर न्यायधानी से लेकर राजधानी तक सुनाई पडेगा
(सत्यप्रकाश पाण्डेय)
एक ओर जहां गर्मी की शुरुवात होते ही शहर से लेकर गाँव तक जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है वहीँ दूसरी ओर पानी की बर्बादी से रूपये कमाने वालों की करतूत पर प्रशासन आँखें मूंदे बैठा है। तालाब सुख रहे, हेण्डपम्प अब-तब में जवाब देने को हैं। लोग पानी के लिए यहां-वहां भटक रहे, पशु-पक्षी पानी तलाशते तलाशते अभी से बेजान हो रहे ऐसे में खेती-किसानी के लिए सरकार से सब्सिडी लेकर पम्प और बिजली लेने वाले कुछ किसानों के अलावा कई लोगों ने घरेलु बिजली कनेक्शन लेकर पानी की बर्बादी के साथ-साथ पर्यावरण के साथ खुला खिलवाड़ जारी रखा है। ये मामला और तस्वीरें बिलासपुर से रतनपुर के बीच ग्राम मदनपुर की हैं जहां पीडब्लूडी की जमीन पर कोयले से भरे और खाली वाहनों की धुलाई के साथ-साथ कोयले में पानी डालकर वजन बढ़ाने का काम सालों से बेख़ौफ़ जारी है।

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                                         मुख्य सड़क के किनारे सरकारी जमीन को अघोषित सर्विसिंग सेंटर बनाने वाले लोगों ने एक ओर इलाके में जल संकट की भयावह स्थिति खड़ी कर दी है वही दूसरी तरफ पानी के जमाव और कोयले के डस्ट से आम राहगीर खासे परेशान हैं। जानकारों की माने तो इन अवैध सर्विसिंग सेंटर्स की वजह से पास के गाँव रानीगाँव, मदनपुर में गर्मी शुरू होते ही जल संकट मुंह बाए खड़ा हो जाता है। वैसे भी इन गाँवों का जलस्तर काफी नीचे जा चुका है। वजह ये है की दिन भर बड़े वाहनों की धुलाई के चलते पानी का बहाव निरंतर होता है। हजारो लीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। इसके चलते मुख्य सड़क भी खराब होती है और कीचड़ पानी की वजह से अक्सर यहां हादसे होते हैं।

                                    रतनपुर निवासी मोहम्मद उस्मान कुरैशी ने बताया की इस काले कारोबार में बिजली,सिंचाई,पीडब्लूडी के अलावा समीपस्थ थाने की मिलीभगत है। कृषि उपयोग के लिए ली गई बिजली और पम्प का खुलेआम व्यावसायिक उपयोग होता है। प्रत्येक वाहन से 100/200 रूपये धुलाई ली जाती, दिन भर में 30 से अधिक वाहन एक जगह पर आते-जाते हैं। न्यूनतम व्यवसाय एक दिन का एक अवैध सर्विसिंग सेंटर का 3000 रूपये से ज्यादा का है। चूँकि इस काले कारोबार में सबकी हिस्सेदारी है लिहाजा संबंधित विभाग का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति इस ओर देखना पसंद नहीं करता।

                              नियमतः सिंचाई विभाग के अलावा बिजली विभाग को इस दिशा में सख्त होना चाहिए मगर रुपयों के वजन में भारी पड़ते कथित किसान खुलेआम इस कारोबार को करते हैं, इतना ही नहीं इस काले कारोबार को जब मैंने कैमरे की नज़र से देखा तो मुझे कुछ लोगों ने धमकाने की कोशिश भी की। इस पूरे मामले को लेकर मेरा नजरिया सिर्फ इतना है की पानी के बढ़ते संकट की ओर प्रशासन समय रहते ध्यान दे वरना इलाके में भीषण जल संकट की त्रासदी का शोर न्यायधानी से लेकर राजधानी तक सुनाई पडेगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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