नाग नागिन तालाबः बुजुर्ग सहोरन ने कहा..पटवारियों ने बेच दिया पानी

BHASKAR MISHRA
8 Min Read

[wds id=”11″]
IMG20170415130405
बिलासपुर(सीजीवाल)।सहोरन साहू की उम्र 75 साल है..छड़ी के सहारे चलते हैं। IMG20170415125726साठ साल पहले नाग नागिन तालाब की गहराई नापते थे..डूबकर मिट्टी निकाला करते थे। आजकल तालाब की विधवा जैसी जिन्दगी देखकर उनकी आंखे भर आती हैं। 65 साल के लखन खांडे ने पचास साल तक नागिन तालाब को बिना पानी के नहीं देखा…खाण्डे ने नाग नागिन तालाब के तेवर को बहुत करीब से देखा है। बरसात के दिनों में मेड़ तोड़कर तालाब का पानी नाग की तरह फुफकारता था। खाण्डे के अनुसार नाग नागिन तालाब का क्षेत्र में बहुत सम्मान था। शादी के बाद वर वधू को तालाब से भी शादी करना पड़ता था। हाल फिलहाल छठ पर्व का आयोजन किया जाता है। रवि दिवाकर ने बताया कि मुझे तालाब की गहराई नापने की हिम्मत नहीं हुई।सीजीवाल,लेकिन अब जो देख रहा हूं…भगवान ऐसा किसी को ना दिखाए। यह पीड़ा है…कहानी है…बहतराई स्थित नाग नागिन तालाब के प्रत्यक्षदर्शियों की…किस्सा गोई के दौरान लोगों के आंखों में नाग नागिन तालाब का पानी देखना को मिला। जसोदा बाई की आखों से आंसू कुछ ऐसे निकल रहे थे जैसे तटबंध तोड़कर नाग नागिन तालाब का पानी बाहर आ गया हो।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                                    बहतराई स्थित  नाग नागिन तालाब को छल फरेब से कब्जा किया जा रहा है। लोगों को समझने में देरी हुई..क्योंकि तालाब को पिछले आठ साल से सोची समझी रणनीति के तहत पाटा जा रहा है। अब तालाब में एक बूंद पानी नहीं है। लेकिन बस्ती के जीवन में तालाब आज भी जिन्दा है…और पानी भी…।सीजी वाल पर खबर छपने के बाद बस्ती के लोग एक हो गए हैं। नाग नागिन तालाब को बचाने हस संभव प्रयास कर रहे हैं। साथ ही तालाब से जुड़ी किस्से कहानियां भी सामने आने लगी हैं।

                   IMG20170415130046  तालाब का निर्माण 100 साल पहले जनक देवी सिंह ने कराया। जनकदेवी बाई के पोते माधव सिंह ने बताया कि दादी धार्मिक विचारों वाली थीं। साठ साल की उम्र में दादा ने  तीसरी शादी की। उस समय दादी की उम्र करीब बीस साल थी। बहतराई बस्ती बहुत दूर हुआ करती थी। तालाब का निर्माण बीच जंगल में हुआ। रिकार्ड में हमारे परिवार का नाम तालाब में नहीं है। कुछ साल बाद घाट के किनारे मंदिर बनाया गया। टिकरापारा का एक व्यक्ति यहां पैदल आकर पूजा पाठ करता था। जो आस इस दुनिया में नहीं हैं।

                        माधव सिंह ने बताया कि शादी के बाद पिता और मां ने परिक्रमा कर तालाब से शादी की थी। मंदिर में पूजा अनुष्टान किया था। तालाब सूखने के बाद यह परंपरा कुछ कम हुई है। लेकिन लोग शादी के बाद आज भी तालाब आते हैं।  माधव सिंह ने बताया कि तालाब के बीच सरई का खंभा मछंदर में खड़ा है। नीचे कलश स्थापित है। पिताजी के अनुसार तालाब के बीच गहरा कुंआं हैं। तैराकों ने भी यही बताया था।

                               गांव के ही 75 साल के नौजवान सहोरन साहू तालाब की किस्सा गोई करते समय रोमांचित हो जाते हैं। सहोरन ने बताया कि मैने कई बारIMG20170415130543 तालाब की गहराई को नापा है। तालाब के बीच से मिट्टी निकालने शर्ते लगाईं जाती थीं। मेरा जीवन तालाब से ही शुरू हुआ है। पढ़ा लिखा नहीं हूं..कोटवार के अनुसार मेरी उम्र 75 साल की है। सहोरन ने बताया कि एक समय तालाब ही लोगों का सहारा हुआ करता था। मुसाफिर रात्रि को यहां ठहरते थे। तालाब का पानी पीते थे।सीजीवाल,सुबह स्नान के बाद मंदिर में ध्यान लगाते थे। अब तो तालाब की रौनक ही चली गयी। मेरी तरह तालाब भी बूढ़ा हो गया है। मै तो छड़ी के सहारे चल रहा हूं..काश कोई तालाब को भी छड़ी थमा दे…।

             पहलवान जैसे दिखने वाले लखन खाण्डे ने बताया कि तालाब गांव का है…किसी सेठ, साहूकार का नहीं। जबसे होश संभाला है…गांव के सारे सामाजिक धार्मिक अनुष्ठान तालाब के किनारे होते देखा हूं। शादी व्याह,मन्नत,छठ,भोजली जैसे पर्व तालाब के किनारे होते रहे हैं। जवानी के दिनों में बिना दो बार तालाब को पार किए मुझे चैन नहीं मिलता था। उस समय तालाब बहुत चौड़ा और लम्बा हुआ करता था।सीजीवाल,राज्य बनने के बाद तालाब की आधी जमीन बेजकब्जाधारियों ने दबोच लिया।  खाण्डे ने बताया कि घनश्याम अग्रवाल ने तालाब की जमीन मोहन को बेचा। मोहन के बच्चे आनंद और गौरव तालाब के 63 डिसिमिल जमीन पर दावा कर रहे हैं। उनके पास रिकार्ड है। लेकिन सारे रिकार्ड झूठे हैं। तालाब सरकारी जमीन पर है। पटवारियों ने रिकार्ड में हेर फेर कर तालाब को बेच दिया है।

                         रवि दिवाकर ने बताया कि 2013 में तालाब को सदानीरा बनाने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने नलकूप लगवाया। हमेंशा पानी निकलता था। लोगों का निस्तार तालाब के साथ नलकूप से होने लगा। कुछ साल बाद नलकूप को लोग उखाड़ ले गए। आज भी बोर के निशान हैं। बाद में पता चला कि लोगों ने ऐसा सिर्फ तालाब सुखाने के लिए किया।

            IMG20170415130055                                किस्सा गोई के दौरान जसोदा बाई की आंखे हमेशा नम देखने को मिली। जसोदा की आंखो से आंसू ऐसे निकल रहे थे मानो नाग नागिन तालाब का पानी तंटबंध तोड़कर निकल रहा हो। जसोदा ने बताया कि तालाब हमारी जिन्दगी है। मै शादी के बाद घर प्रवेश के पहले पति के साथ तालाब को पूजने आयी थी। तब से तालाब मेरी जिन्दगी का हिस्सा है।सीजीवाल,साल 2013 में आनंद और गौरव अग्रवाल ने तालाब में सैकड़ों हाईवा रेत और पत्थर डाला। विरोध और जिला प्रसासनिक दखल के बाद तालाब से पत्थर तो निकाला गया लेकिन रेत नहीं…इसके बाद तालाब सूख गया। हमें नहीं मालूम चला कि ऐसा तालाब को पाटने के लिए किया गया था। अब तालाब में पानी नहीं है…मिट्टी डालकर समतल बनाया जा रहा है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो श्रमदान कर तालाब को जिन्दा करेंगे।

                             प्रकाश सिंह ने बताया कि तालाब को करीब दस फिट पाटा गया है।ग्रामीणों ने साथ दिया तो इसे फिर से जिन्दा किया जाएगा। तालाब निर्माण करने वाले परिवार के सदस्य माधव सिंह ने कहा कि दादी मां की निशानी को बचा लिया गया तो मुझे खुशी होगी।

close