केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भले ही रैंसमवेयर से भारत के ज्यादा प्रभावित न होने की बात कह रहे हों लेकिन साइबर सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट के मुताबिक भारत इस साइबर अटैक से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। दुनिया के 150 देशों में कंप्यूटर सिस्टम्स पर वार करने वाले रैंसमवेयर वानाक्राई के चलते इंडिया में 40,000 से ज्यादा कंप्यूटर इंफेक्शन के शिकार हुए हैं और भारत विश्व में तीसरा सबसे सबसे ज्यादा प्रभावित देश रहा। हालांकि न तो किसी बड़ी कंपनी और न ही किसी बैंक ने अपने कामकाज में कोई बाधा पड़ने की जानकारी दी है। इससे इस अटैक के बारे में इन कंपनियों के सही जानकारी देने पर शक पैदा हो रहा है।साइबर सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स ने कहा कि दुनियाभर में इस वायरस की चपेट में 2 लाख से ज्यादा कंप्यूटरों के आने के बाद कॉरपोरेट वर्ल्ड का कामकाज पटरी पर लौट आया और एक और अटैक का डर सच साबित नहीं हुआ। डीएसके लीगल के पार्टनर तुषार अजिंक्य ने कहा, ‘भारत में पारदर्शिता नहीं है। बैंकों और लिस्टेड कंपनियों के लिए अनिवार्य नियम है कि वे किसी भी साइबर अटैक का खुलासा करेंगी, लेकिन कुछ ही बैंक और कंपनियां ऐसा करती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पहले देखा है कि ऐसे अटैकर्स इंडियन वेबसाइट्स को मुख्य तौर पर डीफेस कर देते थे, लेकिन अब मकसद पैसा हो गया है।’
साइबर सिक्यॉरिटी फर्म क्विक हील टेक्नोलॉजीज की ओर से किए गए शोध में पाया गया है कि रैंसमवेयर वानाक्राई ने करीब 48000 कंप्यूटरों को निशाना बनाया और ज्यादातर घटनाएं वेस्ट बंगाल में हुईं। पिछले साल भारत में इंडियन कंपनियों और बैंकों पर कम से कम तीन रैंसवमेयर अटैक्स हुए थे। पहला हमला पिछले साल लुसिफर अटैक के रूप में हुआ, जिसमें बैंकों और दवा कंपनियों के कंप्यूटर लॉक हो गए थे। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि कम से कम तीन कंपनियों और बैंकों ने अपने सिस्टम्स अनलॉक करने के लिए बिटकॉइन में पेमेंट किया था। इस साल जनवरी में लजारस नामक रैंसमवेयर ने इंडियन कंपनियों पर हमला किया था।