दिव्यांगों से जुड़े मामलों के लिये बनाये जायेंगे अलग विभाग

Shri Mi
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implementation_rights_person_index.jpg-large♦15वीं राष्‍ट्रीय समीक्षा बैठक में 26 सिफारिशें की गई
नईदिल्ली
सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्री थॉवरचंद गहलोत ने ‘दिव्‍यांग जन अधिनियम 1995 के कार्यान्‍वयन पर गुरुवार को राज्‍य आयुक्‍तों की 15वीं राष्‍ट्रीय समीक्षा बैठक’ को संबोधित करते हुए कहा कि राज्‍यों को दिव्‍यांग व्‍यक्तियों से जुड़े मामलों के लिए अलग से विभाग बनाना चाहिए।इसके लिए दिव्‍यांग जन अधिनियम 1995 के प्रावधानों के अनुरूप पूर्णकालिक स्‍वतंत्र राज्‍य आयुक्‍त की नियुक्ति की जानी चाहिए,ताकि अधिनियम के साथ ही समाज में दिव्‍यांग जन के लिए कल्‍याण कार्यक्रम और शिक्षण योजनाओं, प्रशिक्षण, कौशल विकास और पुनर्वास योजनाओं का प्रभावी कार्यान्‍वयन किया जा सकें।

                                  गहलोत ने दो दिन की राष्‍ट्रीय समीक्षा बैठक के उद्घाटन सत्र की अध्‍यक्षता की। इसमें 11 राज्‍य आयुक्‍त, राज्‍य आयुक्‍तों/राज्‍य सरकारों के 15 प्रतिनिधि और समाज कल्‍याण मंत्रालय के अंतर्गत केन्‍द्रीय मंत्रालयों और राष्‍ट्रीय निकायों के प्रतिनिधि शामिल थे।

                                उन्‍होंने कहा कि अधिनियम में बताये गये दिव्‍यांग जनों के अधिकारों और उनके विशेषाधिकारों की सुरक्षा कर देश के दिव्‍यांग जनों को सशक्‍त और सुदृढ़ करना अति आवश्‍यक है। सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय समाज में दिव्‍यांग जनों के सम्‍मानीय जीवन के लिए बेहतर शिक्षा, व्‍यावसायिक शिक्षा और पुनर्वास के वास्‍ते किये गये प्रयासों के कारण केन्‍द्र सरकार के सभी मंत्रालयों में सबसे महत्‍वूपर्ण और प्रमुख बन गया है।

                              सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दिव्‍यांग जनों के लिए सहायता उपकरण वितरित करने, सभी प्रकार के विकास के लिए अभिनव कार्यक्रमों और योजनाओं का शुभारंभ करने और समाज में उनके सामाजिक आर्थिक पुनर्वास करने में विश्‍व रिकॉर्ड बनाया है। मंत्रालय के कार्यक्रमों और योजनाओं को विश्‍व स्‍तर पर मान्‍यता और सराहना मिली है तथा यह भारत सरकार का आदर्श मंत्रालय बन गया है।

                               दिव्‍यांग जन अधिनियम 2016 के नये अधिकारों के प्रावधानों को रेखांकित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि दिव्‍यांगता की मौजूदा सात श्रेणियों को बढ़ाकर 21 कर दिया गया है और अब दिव्‍यांग जन के विशेषाधिकारों और अधिकारों को विकसित देशों के समान कर दिया गया है।

                             दिव्‍यांग जन सशक्तिकरण विभाग में सचिव एन.एस केंग ने अपने भाषण में कहा कि राज्‍य सरकारों को अपने-अपने राज्‍यों में दिव्‍यांगों से जुड़े मामलों के लिए अलग विभाग बनाने पर विचार करना चाहिए।राज्‍य आयुक्‍त को राज्‍य में दिव्‍यांग जन अधिनियम और उनके कल्‍याण के कार्यक्रमों तथा नीतियों के प्रभावी कार्यान्‍वयन की निगरानी करनी चाहिए। उन्‍हें सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्‍य सरकार और स्‍थानीय निकायों के सभी कार्यक्रमों और योजनाओं में दिव्‍यांग जन को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। उन्‍हें विशेष अभियान के जरिये दिव्‍यांग जनों के लिए आरक्षित रिक्‍त पदों पर भर्ती के उपाय करने चाहिए और अपने राज्‍यों में  नये अधिनियम का व्‍यापक प्रचार करना चाहिए।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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