सीवीआरयू में योग को जीवन में अपनाने का संकल्प

Chief Editor
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बिलासपुर। विश्व योग दिवस के अवसर पर डाॅ.सी.वी.रामन् विष्वविद्यालय में योगाभ्यास किया गया। जिसमें गायत्री शक्तिपीठ विद्यानगर के सदस्य और योग गुरू शंकर लाल पाटनवर ने विद्यार्थियों, प्राध्यापकों और अधिकारियों-कर्मचारियों को योग कराया। इस अवसर पर श्री पाटनवार ने योग के लाभ बताए और उसे नियमित करने की बात कही। योग दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव व सम-कुलपति ने योग को जीवन पद्दति का अंग बनाने और अधिक से अधिक लोगों को योग करने की अपील की।
भारत के नेतृत्व के बाद संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। इसके लिए भारत सहित विश्व के कई देशों में आज योग दिवस मनाया गया। इसी कड़ी में शासन के निर्देशानुसार डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में योग दिवस के अवसर पर प्रातः योग किया गया। इस अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ के सदस्य और योग गुरू श्री पाटनवार ने योग से पहले योग के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इसके जीवन में लाभ बताए। इस अवसर पर श्री पाटनवार ने सभी आसन  विधिवत् कराए।

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इस अवसर पर वि.वि. में एआईयू के समन्वयक व शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ.पी.के.नायक ने कहा कि योग से शरीर और मन स्वस्थ्य रहता है और इसके स्वस्थ्य रहने से ही शिक्षा ग्रहण करने के लिए हम तैयार हो पाते है। इसी तरह कोई शिक्षक यदि नियमित योग करता है तो उसका मन हमेशा नई उर्जा के साथ सक्रिय रहता है,जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलता है। इस अवसर पर वि.वि. के विद्यार्थी, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में वि.वि. परिवार के सदस्य उपस्थित थे। इस अवसर आभा देवांगन, अमित कुशवाहा और स्नेहलता को कुशल योग करने के लिए पुरस्कृत किया गया। श्री पाण्डेय ने योग गुरू को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
स्थिर प्रज्ञ की अवस्था योग से ही-डाॅ.दुबे
इस अवसर पर वि.वि. के सम-कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने कहा कि आज के तनावग्रस्त जीवन में मन और स्थिर रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है। इस बात के लिए व्यक्ति अपने-अपने तरीके और माध्यम से प्रयास करते हैं, लेकिन सही मायने में हमे हर अवस्था में मन को सामान्य रखना चाहिए। यानी कि खुशी में अति उत्साह और गम में अति दुख नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में योग ही ऐसा माध्यम से जिससे हम अपने मन की स्थिति को स्थिर प्रज्ञा में रख सकते है।

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समर्थ व क्षमतावान बनाता है योग-कुलसचिव
इस अवसर पर विस्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने कहा कि भारत ऋषियों का देश है और योग ऋशि परंपरा ही है, जिससे हम अपने आप को समर्थ और क्षमतावान बना सकते है, लेकिन आज की आधुनिक जीवन शैली में हम अपने आप की ध्यान भी नहीं रखते है और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होते जा रहे है। ऐसे में वह दिन लौट आया है, जब हमें अपने ऋशियों की परंपरा का अनुसरण करते हुए अपने आप को समर्थ और क्षमतावान बनाना है। आज इसकी शुरूआत विश्व योग दिवस के रूप में हो गई है। श्री पाण्डेय ने कहा कि हम सब आज इस बात का संकल्प लें कि योग को अपने जीवन में उतारकर हम भारत को विश्व गुरू के रूप में दुनिया के सामने खड़ा करेंगें।

 

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