शहर को सैम ने लगायी 100 करोड़ की चपत…जड़ा ताला..कर्मचारी फरार

BHASKAR MISHRA
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 IMG-20170606-WA0395 बिलासपुर— देशी विदेशी पुस्तकों की स्केनिंग कर पीडीएफ बुक बनाने वाली कंपनी सैम एडुसेट दो दिन से बंद है। कर्मचारी भी दो दिन से फरार हैं। बताया जा रहा है कि फरार कंपनी ने शहर वासियों को करीब 100 करोड़ का चपत लगाया है। जानकारी के अनुसार शहर के कई पत्रकार और व्यवसायियों ने बुक बनाने का ठेका लिया है। बहरहाल दो दिन से कंपनी बंद है। कर्मचारियों में आक्रोश है तो ठेकेदारों को पूजी डूबने की चिंता सताने लगी है। सेम टाइम एडुकेशन प्रायवेट कम्पनी लिमिटेड के कर्मचारियों ने जिला प्रशासन पर दबाव बनाकर कम्पनी डायरेक्टर के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग की है।

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                               मालूम हो कि इंदू चौक स्थित सेम टाइम एडुकेशन प्रायवेट कम्पनी का कार्यालय है। कम्पनी देश दुनिया की पु्स्तकों को पीडीएफ बुक बनाकर व्यापार करती है। कम्पनी ने शहर वा्सियों को देश विदेश की पुस्तकों को पीडीएफ बुक बनाने का ठेका दिया । ठेका लेने वालों में शहर के कई बड़े नामचीन चेहरे भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि पीडीएफ बुक बनाने का ठेका कुछ बड़े पत्रकार और नामचीन व्यवसायियों ने भी गया ।कम्पनी ने पीडीएफ बुक बनाने वाले ठेकेदारों से ठेके के बराबर रूपये भी जमा करवाए। शर्त के अनुसार तीन महीने बाद राशि वापस किया जाना था। लेकिन कुछ लोगों को छोड़कर अब कमोबेश सभी की पूंजी डूबने के कगार है।

                        जानकारी के अनुसार शुरूआती फायदे के बाद शहर के कई बड़े सेठों ने पचास पचास लाख रूपए का ठेका लिया। ठेका लेने वालों में कुछ पत्रकार और सरकारी कर्मचारियों का भी नाम सामने आ रहा है। लेकिन सेम टाइम कम्पनी का शटर दो दिन से बंद है। 150 से अधिक कर्मचारी कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। जिला प्रशासन से कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं। एक आकलन के अनुसार कम्पनी फरार होती है तो शहर के पीडीएफ बुक बनाने वाले लाखों छोटे बड़े ठेकेदारों को मिलाकर करीब 100 करोड़ का झटका लगना निश्चित है।

हार्ड कापी को साफ्ट बनाने का काम

     Screenshot_2017-06-06-20-14-54-46                 कम्पनी कर्मचारी मलय तिवारी ने बताया कि जानकारी नहीं है कि कम्पनी के सीनियर किन कारणों से कार्यालय को बंद किये हैं। बिलासपुर स्थित कार्यालय में करीब 150 कर्मचारी काम करते हैं। यहां सभी काम आन लाइन कम्प्यूटर पर होता है। शहर से जुड़े कई लोग ठेके पर काम कर रहे हैं। सभी से निश्चित राशि जमा करवायी गयी है। शर्तों के अनुसार राशि को वापस किया जाना है। फिलहाल किसी सीनियर से बातचीत नहीं हो पा रही है। मलय तिवारी ने बताया कि ठेकेदार देशी विदेशी किताबों को पीडीएफ बुक के रूप में कम्पनी को देते हैं। जिन्हें आनलाइन किया जाता है। बुक का भुगतान 6 रूपए प्रति पेज के हिसाब से किया जाता है।

कम्पनी पैसा लेकर भाग गयी

                     Screenshot_2017-06-06-20-15-59-86     आकाश सिंह ने बताया कि मैने भी कम्पनी में ढाई लाख रूपया जमाकर पीडीएफ बुक बनाने का ठेका लिया। ठेकेदारों को स्लाट के अनुसार बुक बनाने का ठेका दिया गया। तीस हजार और पचास हजार पेज का स्लाट होता है। हम लोग देशी विदेशी लोकप्रिय किताबों को पीडीएफ बनाकर देते हैं। इन्हें ई बुक का नाम दिया जाता है। आकाश ने बताया कि सैम टाइम कम्पनी में बच्चे से लेकर बूढे तक काम करते हैं। ठेका लेकर किताब बनाते हैं। मैने भी ठेका लिया। मुझे अभी तक कम्पनी से एक रूपया भी नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि कम्पनी फरार हो गयी है।

100 करोड़ का धोखा

                    हर्ष तिवारी ने बताया कि मैने लोन लेकर 2 लाख पचास हजार रूपया कम्पनी को दिया। बुक बनाने का स्लाट लेकर काम करना शुरू किया। तीन महीने में कम्पनी ने मुझे एक लाख पांच हजार रूपScreenshot_2017-06-06-20-17-10-35ये  ही दिए। मैने हार्ड कापी को साफ्ट कापी बनाकर दिया। पचास हजार का स्लाट मिला था। कम्पनी कर्मचारियों ने बताया कि बुक का भुगतान 6 रूपए प्रति पेज के हिसाब से किया जाएगा। बाकी रकम जल्द ही मिल जाएंगे। कम्पनी अधिकारियों ने आश्वासन दिया था समय पर रकम का भुगतान नहीं होने पर हर्जाना भी दिया जाएगा। मेरे पांच अन्य साथियों ने भी पीडीएफ बनाने का ठेका लिया है। सभी का रकम लेकर कम्पनी फरार हो गयी है।

 मुझ गरीब को भी दिया धोखा

               Screenshot_2017-06-06-20-17-21-49     कम्पनी कर्मचारी पुष्पा ने बताया कि उसे दो महीने का वेतन नहीं मिला है। हम लोग गरीब हैं। दिन भर कार्यालय में काम करते हैं। मेरे जैसे कई लोग कम्पनी में पांच से छः हजार रूपए पर काम करते हैं। मालूम हुआ कि दो दिन पहले कम्पनी के लोग फरार हो गये हैं। हम गरीबों का घर कैसे चलेगा। चिंता सताने लगी है। पुष्पा ने बताया कि पिछले महीने कुछ लोगों को दस की वजाय पन्द्रह तारीख को तनख्वाह मिली । कम्पनी अधिकारियों ने आश्वासन दिया था मई का वेतन एक हजार रूपए बढाकर दिया जाएगा।

                         पुष्पा ने बताया कि ई बुक स्लाट पाने के चक्कर में कई लोगों ने कर्ज लेकर ठेका लिया। किसी ने पचास लाख तो किसी ने दो लाख देकर स्लाट लिया।

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