बिलासपुर । मरवाही विधायक अमित जोगी ने विधानसभा के मानसून सत्र में जल उपयोग नीति निर्धारित करने के लिए उनके द्वारा संकल्प लाये जाने का ऐलान किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष समेत सभी विधायकों को एक पत्र लिखकर सभी विधायकों से दलगत और व्यक्तिगत निष्ठा से ऊपर उठते हुए प्रदेश के किसानों और मातृशक्ति के हितों की रक्षा के लिए इस संकल्प को समर्थन देने की अपील की है। जोगी ने कहा है कि ऐसा संकल्प उन्होंने विधानसभा के बजट सत्र 2017में भी प्रस्तावित किया था लेकिन उसे चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया गया था।प्रदेश के सभी 90 विधायकों को लिखे पत्र में जोगी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ का आमजन एक-एक बूँद पानी को तरस रहा है लेकिन रमन सरकार के जल संसाधन मंत्री बोलते हैं कि प्रदेश में पानी का क़ानून लागू करने की कोई ज़रूरत नहीं है। जल उपयोग के लिए प्रदेश में एक ऐसे क़ानून की सख्त आवश्यकता है जो सरकार को वैधानिक तौर पर बाध्य करे कि पहले पानी का उपयोग पीने और सिंचाई के लिए और उसके बाद ही कारख़ानों के लिए होना चाहिए।
अमित जोगी ने कहा कि पिछले 14 वर्षों से छत्तीसगढ़ में ठीक इसके विपरीत जल उपयोग किया जा रहा है, चाहे वो अरबों की लागत से महानदी पर बन रहे 7 बराज हो, तांडुला नहर हो, समोदा डायवर्शन हो या फिर स्वयं मुख्यमंत्री जी के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगाँव का मटिया नाला हो।इस सम्बंध में मैं भारत सरकार के प्रधानमंत्री का आभारी हूँ जिन्होंने मेरे निवेदन पर चिट्ठी लिख कर हमारे मुख्यमंत्री को प्रदेश में जल क़ानून पारित करने के लिए विधान सभा में संकल्प लाने को कहा है।
अमित ने कहा कि रमन सरकार ऐसा संकल्प लाए न लाए, मैं, एक जन प्रतिनिधि होने के नाते, वादा करता हूँ कि आने वाले विधान सभा के मानसून सत्र में ऐसा संकल्प ज़रूर लेकर आऊँगा ताकि पेयजल के लिए लम्बी क़तारों में खड़ी हमारी माताओं, बहनों और बेटियों को, और पिछले 2सालों से लगातार सूखे की मार झेल रहे और सरकार की वादा-खिलाफ़ी के कारण आत्म हत्या करने पर मजबूर प्रदेश के 70 लाख किसान साथियों को कुछ तो राहत मिल सके।
पत्र के अंत में जोगी ने कहा है कि अपनी दलगत और व्यक्तिगत निष्ठा से ऊपर उठ कर इस संकल्प कर समर्थन करके प्रदेश के विधायक अपनी ढाई करोड़ जनता के सामने पिछले 4 वर्षों में विधायकों के वेतन और सरकारी सुविधाओं में हुई 4 गुना से अधिक वृद्धि का औचित्य शायद सिद्ध कर पाएंगे।