खनिज विभाग पर भारी जिन्दल प्रेम…एसडीएम की रिपोर्ट…35 लाख की जगह 40 हजार की पेनाल्टी…

BHASKAR MISHRA
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khanijबिलासपुर—हम होते कौन हैं…बोलने वाले…तुम्हारी इच्छा…पेनाल्टी 40 हजार लगाओं या 35 लाख की…। सड़क तो जनता की बन रही है…हम कुछ नहीं बोलेंगे। क्योंकि लूट पैसा सबके जेब में जाता है। ठेकेदार चोरी करता है तो करने दो..।  बोलने से कोई असर नहीं होने वाला है। सरकार और जनता लुटे तो लुटे। जैसा की कोटा में हुआ…एसडीएम , तहसीलदार और पटवारी ने मिलकर 35 लाख की पेनाल्टी को 40 हजार रूपए में बदल दिया। चोरी सरकार की हुई…रिपोर्ट देने वाले भी सरकार के सेवक । जो भी बताएंगे सच ही बताएंगे। बावजूद इसके सीजी वाल ने कोशिश की है कि पर्दे के पीछे की सच्चाई को सबके सामने लाए।

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                          लगातार शिकायत के बाद कोटा एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी ने 25 नवम्बर 2016 को जिन्दल इन्फ्रास्ट्रक्चर को अवैध मुरूम निकालते रंगे हाथ पकड़ा। बिना माइनिंग की अनुमति से जिन्दल इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी खुलेआम सरकारी जमीन से मुरूम खोदते पाया गया। आश्चर्य की बात है कि इसकी भनक ना तो माइनिंग को लगी…ना ही रोजाना रास्ते से गुजरने वाले एसडीएम,पटवारी और तहसीलदार को…। जब शिकायत की हद हो गयी तो एसडीएम कोटा ने तहसीलदार और पटवारी से कम्पनी के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा। ठेकेदार के हाथ पांव फूल गए। कम्पनी ने माइनिंग से बिना अनुमति दो एकड़ जमीन से करीब 35 लाख रूपए का मुरूम निकाल चुका था।

शिकायत के बाद कार्रवाई

                     शिकायतं के बाद एस़डीएम डिलेराम डाहिरे ने तहसीलदार हेमलता डहरिया और पटवारी को कार्रवाई के लिए मौके पर भेजा। सूत्र ने बताया कि पटवारी और तहसीलदार के साथ एसडीएम भी मौके पर गए। उन्होने पर मुरूम का अवैध उत्खनन करते पाया। अधिकारियों ने दो पोकलेन…परिवहन करते 6 हाइवा को जब्त किया। उन्होने ने नाप जोंख के बाद पाया कि जिन्दल इन्फ्रास्ट्रक्चर ने बिना अनुमति दो एकड़ जमीन को दो फिट गहरे तक खोदा है। आनन फानन में अधिकारियों ने जिन्दल पर चालिस हजार रूपए का पेनाल्टी ठोंक दिया। माइनिंग विभाग को रिपोर्ट भेज दिया कि 195 घनमीटर क्षेत्र में कम्पनी ठेकेदार ने बिना अनुमति मुरूम का अवैध उत्खनन किया है।

                           सूत्रों के अनुसार जब्त दोनो पोकलेन हु्न्डर कम्पनी की थी। किराए पर मुरूम उत्खनन के लिए लगाया गया था। जब्त हाइवा के नम्बर CG-10-C-1944,CG -10-AD…5285, CG-10-C-1106, CG-10-C9601 और CG-10-C 2700 हैं। सभी हाइवा को थाने से मामूली पेनाल्टी पर छोड़ दिया गया।

35 लाख की जगह 40 हजार की पेनाल्टी

                               सूत्रों के अनुसार जिन्दल ने बिना अनुमति दो एकड़ से अधिक जमीन पर दो फिट गहरे से करीब लाखों टन मुरूम निकाला। कोटा प्रशासन को नियमानुसार करीब 35 लाख रूपए का पेनाल्टी लगाना था। लेकिन दरियादिली दिखाते हुए केवल 40 हजार का जुर्माना ठोंका गया। जिन्दल ने भी पेनाल्टी का भुगतान 28 जून को माइनिंग विभाग में कर दिया।

                                         यह कैसे सम्भव बै रि कोटा प्रशासन को दो एकड़ जमीन में अवैध मुरूम उत्खनन नहीं दिखाई दिया हो। सूत्र के अनुसार लेकिन सब कुछ सम्भव हुआ। अधिकारियों ने मिलजुलकर सब कुछ ठीक कर लिया। सूत्र की मानें तो 35 लाख की पेनाल्टी नहीं होने पर अधिकारियों को भी फायदा मिला। क्योंकि जिन्दल ने लम्बी पेनाल्टी से बचने के लिए करीब 10 लाख रूपए खर्च किए।

फील्ड में पटवारी और तहसीलदार गए

                       सूत्र ने बताया कि बेशक एसडीएम कहें कि मौके पर नहीं गया..बल्कि किसी काम से दूसरी जगह था। लेकिन इसमें थोड़ी भी सच्चाई नहीं है। मामले में सीजी वाल को एसडीएम ने बताया कि उस समय कलेक्टर के टीएल बैठक में था। पटवारी और तहसीलदार मौके पर गए थे। 195 घनमीटर क्षेत्र में अवैध उत्खनन पाया गया। डाहिरे के अनसुार यदि दो एकड़ जमीन में दो फिट गहरी खुदाई हुई है तो पेनाल्टी की रकम 25 गुना यानि 35 लाख रूपए के आस पास होती है।

195 घनमीटर अवैध उत्खनन बताया गया

                        माइनिंग अधिकारी राजेश मालवे ने बताया कि कोटा प्रशासन के रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गयी। रिपोर्ट के अनुसार 195 घनमीटर क्षेत्र में मुरूम का उत्खनन किया गया था।मुझे दो एकड़ में खुदाई करने की जानकारी नहीं है।

                 बहरहाल अधिकारियों के अपने अपने दावे हैं। यदि आज भी मौके पर अवैध उत्खनन के प्रमाण हैं। लोग सहज ही देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि मुरूम का अवैध उत्खनन 195 घनमीटर क्षेत्र में हुई है या दो एकड़ में…। खैर हमको क्या करना है…पेनाल्टी 40 हजार लगाए…या 35 लाख की….प्रशासन की ईच्छा..क्योंकि लोग कहते भी हैं…कि हमारे बाप का क्या जाता है।

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