रजिस्ट्रार के खिलाफ वकीलों का मोर्चा…सीएम और शिक्षा मंत्री से की शिकायत

BHASKAR MISHRA
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BUNewबिलासपुर—वकीलों ने बिलासपुर विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार की कार्यप्रणाली पर चिंता जाहिर की है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ अध्यक्ष ने कुलपति को पत्र लिखा है। रजिस्ट्रार के जजमेन्टल मोड और मीडिया ट्रायल की शिकायत की है।  बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार इंदू अनंत का विश्वविद्यालयीन कार्यकाल हमेशा विवादों में रहा है। ऐसे विवादित अधिकारी को बिलासपुर विश्वविद्यालय में जिम्मेदार पद रहना छात्रहित में उचित है…। क्योंकि दुराग्रह की मानसिकता का प्रभाव हजारों लाखो छात्र छात्राओं पर पड़ रहा है।

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                        हाईकोर्ट बार एसोसिएश अध्यक्ष सी.के.केशरवानी ने बिलासपुर विश्वविद्यालय कुलपति को पत्र लिखकर रजिस्ट्रार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया है। केशरवानी के अनुसार पिछले कुछ दिनों से विश्वविद्यालय से लगातार नकारात्मक खबरे आ रही हैं। ऐसी खबरें ना तो छात्र  हित में है..और ना ही विश्वविद्यालय के सेहत के लिए ठीक है। अभिभावक नकारात्मक खबरों से चिंतित हैं। 168 महाविद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों छात्र छात्राओं और स्टाफ पर विवाद का बुरा असर पड़ रहा है। विश्वविद्यालय में वकीलों के भी बच्चे पढ़ रहे हैं। इन परिस्थितियों का अंदाजा हम अच्छी तरह कर सकते हैं।

                         केशरवानी ने बताया कि जब डीएलएस के खिलाफ नैक टीम ने शिकायत नहीं की है…ना ही शिकायत कर्ता सामने आया है। ऐसी स्थिति में विषय को रबर की तरह क्यों खींचा जा रहा हैं। यदि शिकायत है तो कार्यवाही की जाए…मामले को खत्म किया जाए। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है। ऐसा लगता है कि इंदू अनंत ने जानबूझकर डीेएलएस को निशाना बनाया है।

                 केशरवानी ने बताया कि कुलसचिव बहुत संवेदनशील और जिम्मेदार पद है। बावजूद इसके वर्तमान रजिस्ट्रार ने पद की गंभीरता को पलीता लगाया है। छात्र हितों को नजरअंदाज कर मीडिया ट्रायल की जा ही है। डीेएलएस प्रबंधन ने इंदू अनंत के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज किया है। इससे रजिस्ट्रार पद की गरिमा को ठेस पहुंचा है। अनंत कार्यशैली से विश्वविद्यालय से संबध 168 महाविद्यालय सकते में हैं। उन्होने न्यायधीश की भूमिका में मान्यता खत्म करने की धमकी दी है। इस प्रकार का गैरजिम्मेदाराना बयान रजिस्ट्रार के लिए ठीक नहीं। आज डीएलएस तो कल दूसरा कालेज भी उनके रडार में हो सकता हैं । उन्हें बयान देने से पहले नाप तौल कर लेना चाहिए। क्या उन्हें मान्यता खत्म करने का अधिकार है…। क्या उन्हें अहसास है कि मान्यता खत्म होने के बाद बच्चों और स्टाफ का क्या होगा। ऐसा लगता है कि इंदू अनंत को अपने पद की गरिमा का थोड़ा भी अहसास नहीं है।

                            केशरवानी के अनुसार बिलासपुर विश्वविद्यालय में इस समय भय का वातावरण है। ऐसा लगता है कि मीडिया के माध्यम से प्रायोजित तनाव पैदा किया जा रहा है। मीडिया में अनाप शनाप बयान देकर पद की गरिमा को गिराया जा रहा है। 168 महाविद्यालयों के कर्मचारी अनजाने भय से परेशान हैं। इस प्रकार का वातावरण अपराध की श्रेणी में आता है।

                                             केशरवानी ने बताया कि विश्वविद्यालय के वर्तमान रजिस्ट्रार का विवादों से गहरा नाता है। बावजूद इसके उन्हें बिलासपुर विश्वविद्यालय का कुलसचिव बनाया गया। कहीं राजनीतिक तुष्टीकरण के लिए उन्हें रजिस्ट्रार का तोहफा तो नहीं दिया गया…। उनकी दुराग्रही कार्यशैली का असर होनहारों पर दिखाई देने लगा है। छात्रहित में जरूरी है कि उनकी नियुक्ति पर फिर से विचार किया जाए। अन्यथा परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं। क्योंकि सवाल केवल विश्वविद्यालय के कैम्पस में पढ़ने वाले छात्रों का ही नहीं…बल्कि सम्बद्ध 168 महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का भी है।

             केशरवानी ने राज्यपाल, उच्चशिक्षा मंत्री,मुख्यमंत्री,प्रभारी मंत्री और मुख्य सचिव को भी विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार की गतिविधियों की शिकायत की है।

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