सरकार की विभागीय कार्रवाई पर नजर रखने आनलाइन साफ्टवेयर लांच

Shri Mi
5 Min Read

s20170622109024नईदिल्ली।केन्‍द्रीय पूर्वोत्‍तर विकास मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री, कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने गुरुवार को नई दिल्‍ली में विभागीय कार्यवाहियों के लिए ऑनलाईन सॉफ्टवेयर लॉंच किया।इस अवसर पर डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने इस दिशा में सामूहिक प्रयास के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), सीवीसी तथा अन्‍य विभागों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्र नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में सरकार ‘’अधिकतम शासन, न्‍यूनतम सरकार’’, के सिद्धांत, दायित्‍व के साथ पारदर्शिता, नागरिक केन्‍द्रीत और भ्रष्‍टाचार सहन नहीं करने के सिद्धांत पर काम कर रही है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                       उन्‍होंने कहा कि इस सॉफ्टवेयर का उद्देश्‍य यह देखना है कि भ्रष्‍ट अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा रही है और अधिक विलम्‍ब के कारण ईमानदार अधिकारियों को किसी तरह का नुकसान न हो। उन्‍होंने कहा कि नौकरशाही शासन के यंत्र के रूप में काम करता है और सरकार का उद्देश्‍य अधिकारियों को कार्य सहज वातावरण उपलब्‍ध कराना है।

                           उन्‍होंने कहा कि सॉफ्टवेयर इस बात का नियंत्रण रखेगा कि ईमानदान अधिकारियों को धमकाया नहीं जा रहा। यह सरकार के पारदर्शी कामकाज को प्रोत्‍साहन देगा। सॉफ्टवेयर यह सुनिश्चित करेगा कि गलत आचरण करने वालों को छोड़ा न जाए और अच्‍छे व्‍यवहार करने वालों को दंडित न किया जाए। उन्‍होंने कहा कि अनुशासनात्‍मक कार्यवाही दो वर्षों के भीतर पूरी करने के प्रयास किये गये हैं।उन्‍होंने कहा कि अनुशासन की कार्यवाही पूरी करने की समय सीमा घटाने से ईमानदार अधिकारियों को तेजी से राहत मिलेगी।

                             विभागी कार्यवाही के लिए ऑनलाईन सॉफ्टवेयर अखिल भारतीय सेवा (एआईएस), (डीएंडए) नियम 1969 के प्रावधानों के अनुरूप है। सरकारी सेवकों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही पूरी होने में काफी समय लगना चिंता का विषय रहा है। सीवीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक आदर्श रूप में विभागीय कार्यवाही दो वर्षों के अंदर पूरी हो जानी चाहिए। लेकिन इसके पूरे होने में 2 से 7 वर्षों का समय लग जाता है।

                           विलंब के अनेक कारण हैं। इनमें आरोपी अधिकारी द्वारा उत्‍तर देने में विलंब, आरोप सिद्ध करने के लिए दस्‍तावेजों (सूचीबद्ध दस्‍तावेज) का समय पर नहीं मिलना, सूचना देने और पाने में विलम्‍ब के कारण सुनवाई कार्य का स्‍थगन और जांच पूरी करने के काम में दायित्‍व का अभाव शामिल है।

                          विलम्‍ब को टालने और तेजी से जांच पूरी करने के लिए एआईएस (डीएंडई) नियम 1969 में संशोधन करके समय सीमा निश्चित की गई। इस संशोधन को 20.1.2017 को अधिसूचित किया गया। संशोधन में जांच पूरी होने के लिए 6 महीने की समय सीमा का प्रावधान है। जांच पूरी होने की अवधि आगे बढ़ाने के लिए सक्षम अनुशासन अधिकारी की स्‍वीकृति आवश्‍यक है। इसी तरह आरोप पत्र पर आरोपित अधिकारी के जवाब के लिए समय सीमा लागू की गई है। लोक सेवा आयोग की सलाह के लिए भी समय सीमा तय की गई है। 2.06.0017 की सूचना के माध्‍यम से केन्‍द्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में सीएसएस (सीसीए) नियमों के समरूप प्रावधानों में भी संशोधन किया गया है।

                      ऑनलाईन पोर्टल शुरू में केन्‍द्र सरकार में पद स्‍थापित आईएएस अधिकारियों के लिए होगा और बाद में केन्‍द्र सरकार में एआईएस अधिकारियों और केन्‍द्रीय ग्रुप ए अधिकारियों के लिए होगा। राज्‍यों में पद स्‍थापित एआईएस अधिकारियों पर विचार के लिए राज्‍यों को शामिल किया जाएगा।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close