प्राण चड्ढा।सन्त कबीर फरमाते हैं,- “अहिरन की चोरी करे, करे सुई का दान “। स्मार्ट सिटी बिलासपुर में पेड़ों की कटाई, नदी को बंज़र सा बनाने और इस बार गर्मी में तापमान 49.4 सेल्सियस तक पहुंचने के बाद शहर के व्यापार विहार में ढाई एकड़ याने करीब एक हेक्टर भूमि पर ऑक्सीज़ोन बनने की योजना है। मीलों तक फैले बिलासपुर में ये ऊंट के मुंह मे जीरा तुल्य होगा। सौ पौधे लगाने वाले और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वालों को ‘एन्वायरमेंट हीरो,का खिताब दिया जाएगा।पौधे लगाने का मौसम सिर पर है। ये खिताब दिया जाए पर आज पौधे लगाए और चार पांच साल इनको बचाये तक ये खिताब पाएं।केवल कागज़ की जिम्मेदारी काफी नहीं। जिनके पहले लगे पौधे बड़े हो गए उन संस्थानों को खिताब इस साल दिया जा सकता है।
शहर की पहले सा हरा भरा बने के लिए पहले ये देखे जो पौधे दो तीन साल में लगाये गए वो अभी कितने जीवित है। आगे पाठ पीछे सपाट का सिलसिला थम नहीं रहा। एक हेक्टर में आक्सीज़ोन, कोई अहमियत नहीं रखता। मीलों दूर तक शहर और रेलवे का इलाका, विवि, औद्योगिक प्रक्षेत्र फैला है।कितनी कालोनी बनीं है और बन रहीं है सबमें गार्डन का दशा क्या है, एक सर्वे हो जाए, एनटीपीसी और शहर के बीच सारी सरकारी जमीन पर आक्सीज़ोन बनाया जाए।ये काम देश मे मुनाफा में नाम अर्जित करने वाली कम्पनियो के कंधों पर डाला जाए।अब जो पेड़ लगे उनके नम्बर और पेड़ का नाम ट्री गार्ड और निगम के रजिस्टर में दर्ज हो। नगर निगम की नर्सरी पंप हाऊस परिसर में बनाई जाती है। बाहर निजी नर्सरी से महंगे पौधे लिए जाते हैं, जिसमें कमीशन की गुंजाइश रहती है। कुछ कलम ही ट्री गार्ड में पेड़ के नाम पर लगा दी जाती है।
वन विभाग और कृषि विभाग की नर्सरी में रियाती पौधे उपलब्ध रहते है, पर नहीं खरीदे जाते, कहा जाता हैं मर जाते हैं। जब इंजीनियर पेड़ लगाने की अगुवाई करें तो पौधा पेड़ नही बनेगा,इसके लिए बागवानी या कृषि से जुड़े लोग चाहिए।अरपा नदी के दोनों किनारे पर अर्जुन के पेड़ बड़े पैमाने पर लगाये जा सकते है। इसकी कोई योजना बने और सरकारी जमीन पर नदी नालों के तट पर अर्जुन इस बार खूब लगे।
ये सब काम राजनीति से ऊपर उठ कर करना होगा। पेड़ बचे ये निगरानी बड़ी ईमानदारी से करनी होगी।किस स्थान पर क्या पेड़ लगे जो सुंदर दिखे और तार के कारण काटना ना पड़े। ये सोच कभी नही दिखती,गुलमोहर, प्राइड आफ इंडिया,कचनार,जेकरण्डा, पेंटाफार्म,पाम अमलतास, आकाशनीम, कई पेड़ है, पर किस जगह कौन सा सुंदर शहर का श्रृंगार बनेगा ये सोच भी चाहिए।।