रायपुर । प्रदेश कॉंग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने भिलाई-चारौदा स्कूल की करीब 30 एकड़ जमीन हथिया ली।बाजार मे अभी इस ज़मीन की कीमत 60 करोड़ है।छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ तो भूपेश राजस्व मंत्री बने और वो जमीन अपनी पत्नी के नाम करवा दी।धरम जीत सिंह ,विधान मिश्रा ,आरके राय ने सीएम से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर जमीन स्कूल को लौटने की मांग की है।उन्होने कहा की शासन की अनुमति के बिना ही भूपेश ने जमीन का नामांतरण करवा लिया।तत्कालीन पटवारी और तहसीलदार के जरिये स्कूल की बेशकीमती जमीन हथियाने का खेल खेला गया।
सागौन बंगले ( अजीत जोगी के निवास ) में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष धरम जीत सिंह , पूर्व विधायक विधान मिश्रा औऱ विधायक आरके राय ने बताया कि ये मामला प्रदेश कॉंग्रेस अध्यक्ष भूपेश के गृह गृह और निर्वाचन क्षेत्र का है।भिलाई-चरौदा मे ग्राम शिक्षा समिति भिलाई के द्वारा स्कूल संचालित थी 1980 के बाद उस स्कूल को साडा मे शामिल कर शासकीय करण कर दिया गया।उस स्कूल कि 29.90 एकड़ जमीन अध्यक्ष ग्राम शिक्षा समिति भिलाई के नाम पर दर्ज थी।1998-99 मे जमीन भूपेश बघेल वल्द नन्द कुमार बघेल के नाम दर्ज कर दी गई।रेकॉर्ड मे लिखा गया लोक अदालत खंड पीठ के प्रकरण क्रमांक 36 अ 94 के अनुसार रेकॉर्ड दुरुस्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि लोक अदालत आपसी विवादों का समझौता के तहत निबटारा करती है।सरकारी जमीन का लोक अदालत से कोई वास्ता ही नहीं है। और राजस्व रिकॉर्ड मे लोकअदालत का जिक्र नहीं किया गया है।30एकड़ जमीन भूपेश बघेल के नाम पर करने की जानकारी तहसीलदार द्वारा शासन, नगरनिगम और स्कूल को नहीं दी गई।भूपेश उस समय पाटन विधानसभा के विधायक थे। इसलिए लोक सेवक के अंतर्गत आते थे।धरम जीत सिंह ,विधान मिश्रा ,आरके राय के मुताबिक खेल यहीं खतम नहीं हुआ।छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद बघेल राजस्व मंत्री बन गए।उन्होने बटवारा बताकर उस ज़मीन अपनी पत्नी के नाम पर करवा दिया। जबकि सरकारी ज़मीन के आबंटन के लिए शासन से अनुमति जरूरी है।
शासन, नगर निगम और स्कूल प्रबंधन को भी खबर नहीं
उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन, भिलाई नगर निगम और स्कूल प्रबंधन को भी नहीं मालूम कि करोड़ों की जमीन आखिर कैसे भूपेश बघेल के नाम पर दर्ज हो गई। भिलाई नगर निगम ने 9 जुलाई 1999 को स्कूल प्रबंधन को एक चिट्ठी भेजी थी । जिसमें लिखा था कि शाला समिति की 29.90 एकड़ जमीन का स्वामित्व नगर निगम के पास है। इससे होने वाली आमदनी से स्कूल का खर्च चलेगा।
साडा भंग होने के बाद हुआ नामांतरण
विधान मिश्रा ने बताया कि 7 जून 1998 को भिलाई साडा भंग किया गया। 8 जून 1998 को भिलाई नगर निगम की स्थापना हुई थी। साडा भंग होने के तीन माह के भीतर तहसीलदार से स्कूल के जमीन के नामांतरण की पुष्टि करा ली गई।उन्होने कहा कि शासन की जमीन बिना राज्य सरकार – कैबिनेट की मंजूरी के आबंटित नहीं की जा सकती। फिर यह सब कैसे हुआ यह संदेह के दायरे में है।