अब 15 अगस्त तक चलेगा राजस्व समाधान अभियान

Chief Editor
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बिलासपुर ।संभागीय कमिश्नर सोनमणि  बोरा के निर्देश पर बिलासपुर संभाग में चलाया जा रहा राजस्व समाधान अभियान अब 15 अगस्त तक जारी रहेगा । पूर्व में उक्त अभियान के लिए 25 जून की तिथि निर्धारित की गई थी। संभागायुक्त ने कहा है कि अभियान के बाद भी राजस्व प्रकरणों का प्राथमिकता के साथ निराकरण करना है। यह सतत् चलने वाला अभियान है। उन्होंने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जिला कलेक्टरों को दिये हैं।
संभागायुक्त ने कहा है कि सभी राजस्व अधिकारी अपने न्यायालयों में नियत तिथि और समय पर अनिवार्य रूप से बैठेंगे और अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण के लिए प्रयास करेंगे। बिना कलेक्टर की अनुमति से वे अपने मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे। इसी तरह सभी जिला कलेक्टरों से भी कहा गया है कि वे संभागायुक्त की अनुमति के बगैर बाहर नहीं जायेंगे। संभागायुक्त ने कहा है कि इस अभियान के द्वारा संभाग के सभी पटवारी हल्कों के ग्रामों को राजस्व विवाद मुक्त ग्राम बनाने की कार्यवाही की जानी है। उन्होंने निर्देशित किया कि वरिष्ठ न्यायालय द्वारा प्रकरण की मांग किये जाने पर तत्काल भिजवाने की व्यवस्था की जाये। ताकि नियत तिथि पर सुनवाई की जा सके। सुनवाई के लिए जारी नोटिसों की तामिल समय पर होना चाहिए। अपील में अभिलेख दुरूस्तीकरण हेतु प्राप्त प्रकरणों पर तत्काल कार्यवाही करने कहा गया है। इसके साथ ही अभिलेख दुरूस्ती के तत्काल बाद प्रकरण अभिलेखागार में जमा करायें। इसी तरह भू-अर्जन के प्रकरण में भी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया है। संभागायुक्त ने निर्देशित किया है कि अधिक से अधिक राजस्व प्रकरणों का पंजीयन कर निराकरण करने का प्रयास करें। उन्होंने अभियान के दौरान प्रधानमंत्री बीमा योजना की जानकारी ग्रामीणों को देने के साथ ही अधिक से अधिक खाता खोलकर हितग्राहियों को लाभान्वित करने कहा है। इसी तरह कृषकों को खाद-बीज समय पर उठाव करने हेतु प्रेरित करें।
शासन के निर्देशानुसार नजूल पट्टों के नवीनीकरण अधिकार संभागीय मुख्यालय में कमिश्नर के पूर्वानुमोदन से जिला कलेक्टरों को तथा अन्य शहरों में जिला कलेक्टरों को प्रदान किया गया है। संभागायुक्त ने जिला कलेक्टरों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हुए कहा है कि नजूल नवीनीकरण का कार्य समयसीमा में कराया जाना सुनिश्चित करें।
राजस्व समाधान शिविरों के दौरान वन अधिकार पत्र के सत्यापन, स्थल सीमांकन एवं प्रविष्टि के दुरूस्तीकरण के लिए भी निर्देशित किया गया है। इसके साथ-साथ पूर्व में अस्वीकृत आवेदन पत्रों पर पुनर्विचार करते हुए पात्र हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र देने के लिए कहा गया है। इसके लिए वन परिक्षेत्राधिकारी एवं राजस्व विभाग के पटवारी संयुक्त रूप से सीमांकन का कार्य करें और अभिलेखों में नक्शा एवं खसरा दोनों विभागों में प्रविष्टि कराया जायेें।

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